विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है कजरी तीज का व्रत

महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण कजरी तीज का व्रत 22 को या 23 को!

कजरी तीज का पर्व हिंदू धर्म के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है। कजरी तीज का त्योहार ज्यादातर राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में पूरे वर्ष तीन प्रकार की तीज का व्रत रखा जाता है। जिसमें हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज शामिल हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन के बाद भाद्रपद के महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्य और अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

आईए जानते हैं कि कजरी तीज व्रत तिथि और मुहूर्त क्या हैं . . .

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5 बजकर 15 से शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 22 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर होगा। उदय तिथि के हिसाब से कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5ः50 से सुबह 7ः30 के बीच रहेगा। वहीं कुछ विद्वानों के अनुसार पूजन का महूर्त सुबह 5 बजकर 54 मिनिट से सुबह 7 बजकर 32 मिनिट एवं शाम के समय 6 बजकर 53 मिनिट से रात रात 8 बजकर 16 मिनिट तक है।

आईए अब आपको बताते हैं कजरी तीज व्रत की पूजन सामग्री के बारे में . . .

कजरी तीज का व्रत करने के लिए आप पीला वस्त्र, कच्चा सूत, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर-गुलाल, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत रखें। इसके साथ ही मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करने के लिए एक हरे रंग की साड़ी, चुनरी और सोलह श्रृंगार से जुड़े सुहाग के सामान में सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर, कुमकुम, कंघी, बिछिया, मेहंदी, दर्पण और इत्र जरूर लाएं।

जानिए कजरी तीज व्रत की पूजन विधि,

कजरी तीज का व्रत रखने के लिए सुहागिन महिलाएं सुबह ब्रम्हा मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें। उसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें। उसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद चौकी पर लाल या पिले रंग का वस्त्र बिछाएं। उसके बाद चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद शिवजी का अभिषेक करें। साथ ही बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें और कजरी तीज की कथा का पाठ करें। रात्रि में चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें जल का अर्घ्य दें।

जानकार विद्वानों का कहना है कि वैसे कजरी तीज के अवसर पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति घी और गुड़ से पाल बांधकर बनाई जाती है और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीपक जलाकर रखते हैं। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं।

विद्वानों के अनुसार इसके उपरांत नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं। मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें। नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें। पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।

जानिए मां पार्वती के मंत्रों के बारे में

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

हीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।

गौरीशंकराय नमः।

नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं, हीं घ् गोरा पार्वती देव्यै नमः

इसके अलावा अगर ध्यान मंत्र की बात की जाए तो,

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।

नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताःस्म ताम।

श्रीगणेशाम्बिकाभ्यां नमः, ध्यानं समर्पयामि।

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

अब बताते हैं कजरी तीज व्रत का महत्व क्या है!

धार्मिक मान्यता के अनुसार,यह व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए इस व्रत को रखा था। इस व्रत को करने से परिवार में आपसी प्यार और सुख समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से कुंवारी लड़कियां को मनचाहा जीवन साथी मिलता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है और संतान के जीवन में भी खुशहाली और उन्नति बनी रहती है।

कजरी तीज के उपायों को जानिए

मान्यता है कि अगर किसी महिला के वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की पारिवारिक समस्या चल रही है तो कजरी तीज के दिन सूर्यास्त के समय माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होने लगता है और जीवन की सभी परेशानियां कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है।

अगर किसी महिला की सेहत बार-बार खराब हो जाती है तो ऐसी महिलाएं कजरी तीज के दिन राधा-कृष्ण के मंदिर में जाकर उन्हें मिश्री का भोग लगाएं। भोग लगाने के 15 मिनट बाद उसी मिश्री को थोड़े-थोड़े रूप एक सप्ताह तक सेवन करें। इस उपाय से कुछ ही दिनों में पूरी तरह सेहत ठीक हो जाएगी।

कजरी तीज के दिन काले वस्त्रों का दान करने से धन संबंधी सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है और आय के स्रोतों में वद्धि होने लगती है।

इस दिन महिलाओं गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसके लिए जानकार की सलाह लें, इससे दांपत्य जीवन में सुख की कमी नहीं होती। मनवांछित इच्छाएं पूर्ण हो सकती है।

कजरी तीज के दिन व्रती महिलाओं को पूजा करने के बाद कन्याओं को भोजन अवश्य कराना चाहिए। इससे घर की शांति बनी रहती है और धन आगमन भी बढ़ता है।

कजरी तीज के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें। इससे जीवन में कभी किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आती है।

कजरी तीज की कथा का पाठ करें। रात्रि में चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें जल का अर्घ्य दें।

इस व्रत के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कजरी तीज का व्रत चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है।

इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव लिखना न भूलिए।

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(साई फीचर्स)