जानिए किस तरह की जाए लंबोदर महाराज की प्रतिमा की स्थापना . . .

बुद्धिविनायक भगवान गणेश की स्थापना कब! 7 या 8 सितंबर, कब है गणेश चतुर्थी?
बुद्धि के देवता, प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जल्द ही जगह जगह विराजने जा रहे हैं। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। इस बार गणेश चतुर्थी शनिवार 7 या रविवार 8 को है, इसे लेकर तरह तरह की बातें प्रचलन में हैं। आईए जानते हैं गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और विसर्जन की दिनांक और विसर्जन करने का शुभ महूर्त अर्थात सब कुछ।
जानिए किस दिन रखा जाएगा गणेश चतुर्थी का व्रत
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुक्रवार 6 सितंबर, की दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन शनिवार 7 सितंबर, दोपहर 2 बजकर 6 मिनट पर रहने वाली है। उदया तिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत 7 सितंबर के दिन ही रखा जाएगा। इस दिन व्रत रखना शुभ होगा और इसी दिन से भगवान गणेश की पूजा-आराधना की जा सकेगी। इसके पश्चात 17 सितंबर, मंगलवार के दिन अनंत चतुर्दशी के साथ गणेशोत्सव का समापन होगा।
7 सितंबर 2024 गणेश स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त जानिए:
गणेश पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनिट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनिट तक रहेगा।
इस दिन अभिजीत मुहूर्त अपरान्ह 11 बजकर 54 मिनिट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनिट तक रहेगा।
7 सितंबर 2024 को विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 24 मिनिट से दोपहर 3 बजकर 14 मिनिट तक रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12 बजकर 34 मिनिट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 3 मिनिट तक रहेगा।
रवि योग सुबह 6 बजकर 2 मिनिट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनिट तक रहेगा।
अब जानिए गणेश विसर्जन का महूर्त मंगलवार 17 सितंबर 2024
जानकार विद्वानों का मत है कि विसर्जन के समय अनंत चतुर्दशी रहती है। गणेशजी के साथ भगवान अनंत की पूजा करें।
अभिजीत मुहूर्त रहेगा सुबह 11 बजकर 51 मिनिट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनिट तक।
विजय मुहूर्त रहेगा दोपहर 2 बजकर 18 मिनिट से दोपहर 3 बजकर 7 मिनिट तक।
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) सुबह 9 बजकर 11 मिनिट से 01 बजकर 47 मिनिट तक,
अपरान्ह मुहूर्त (शुभ) दोपहर 3 बजकर 19 मिनिट से 04 बजकर 51 मिनिट तक,
सायान्ह मुहूर्त (लाभ) शाम 7 बजकर 51 मिनिट से 09 बजकर 19 मिनिट तक,
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) रात्रि 10 बजकर 47 मिनिट से 18 सितंबर की मध्य रात्रि 3 बजकर 12 मिनिट तक
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ 16 सितम्बर 2024 को 3 बजकर 10 मिनिट,
चतुर्दशी तिथि समाप्त 17 सितम्बर 2024 को 11 बजकर 44 मिनिट,
गणेश विसर्जन पर चौघड़िया मुहूर्त जानिए
गणेश चतुर्थी पर गणेश विसर्जन शनिवार 7 सितम्बर 2024 को
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपरान्ह मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) अपरान्ह 1 बजकर 34 मिनिट से शाम 5 बजकर 1 मिनिट तक,
सायान्ह मुहूर्त (लाभ) शाम 6 बजकर 35 मिनिट से रात 8 बजकर 1 मिनिट तक,
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) रात्रि 9 बजकर 27 मिनिट से रविवार 8 सितंबर को मध्य रात्रि 1 बजकर 45 मिनिट तक,
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) रविवार 8 सितंबर को सुबह 4 बजकर 37 मिनिट से 6 बजकर 3 मिनिट तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी पर रहेगा चन्द्र-दर्शन निषिद्ध
जानकार विद्वानों का कहना है कि गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्जित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है जिसकी वजह से दर्शनार्थी को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की स्थिति देख के, नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है।
नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गये।
मिथ्या दोष निवारण मन्त्र
चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं। अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये जिस मन्त्र का जाप करना चाहिये वह है :
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः।।
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्यान्ह काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्यान्ह के समय को गणेश स्थापना और पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है। अंग्रेजी समय के अनुसार मध्यान्ह काल दोपहर के तुल्य माना गया है। मध्यान्ह मुहूर्त में, भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी पर बन रहे हैं शुभ योग
गणेश चतुर्थी पर इस साल कुछ शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। शुभ योग में पूजा करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रम्हा योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। ये तीनों ही योग बेहद शुभ होते हैं और फलदायी माने जाते हैं।
इस दिन चित्रा नक्षत्र दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा, इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा। इसके साथ ही इस दिन ब्रम्हा योग, इंद्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से 8 अगस्त की सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
इस तरह से करें गणपति बप्पा की प्रतिमा की स्थापना
जानकार विद्वानों का मत है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मध्यकाल के किसी शुभ मुहूर्त में गणेश जी की ऐसी मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें, उनकी सूंड दाईं ओर हो, जनेऊधारी हो और उसमें मूषक भी हो। प्रतिमा में गणेश जी बैठने वाली मुद्रा में होने चाहिए। गणेश जी की प्रतिमा को घर की उत्तर दिशा या ईशान कोण में ही स्थापित करना चाहिए। यह स्थान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।गणेशजी की मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं और उसके ऊपर गणपति बप्पा की स्थापना करें। उसके बाद गणेश जी की प्रतिमा को फिर वहां सिर्फ विसर्जन के समय ही हटाना चाहिए।
गणपति स्थापना के दौरान मन को पूरी तरह से पवित्र रखें। इस पर्व के दौरान शुद्ध और सात्विक भोजन ही घर में बनना चाहिए, हर तरह के तामसिक भोजन से परहेज करें। विसर्जन तक प्रतिदिन सुबह-शाम गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करें और भोग लगाएं। स्थापना के बाद गणपति जी की विधि विधान से पूजा अर्चना करें और आरती करें इसके बाद गणपति बप्पा को भोग लगाकर, प्रसाद का वितरण करें।
शुभ मुहूर्त में ही स्थापित करें, खासकर मध्यानकाल में किसी मुहूर्त में स्थापित करें।
गणेश मूर्ति को घर की उत्तर दिशा या ईशान कोण में ही स्थापित करें। वह जगह शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
गणेशजी की मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
लकड़ी के पाट पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर ही स्थापित करें।
एक बार गणेश मूर्ति को जहां स्थापित कर दें फिर वहां से हटाएं या हिलाएं नहीं। विसर्जन के समय ही मूर्ति को हिलाएं।
गणपति स्घ्थापना के दौरान अपने मन में बुरे भाव न लाएं और न ही कोई बुरे कार्य करें।
गणेश स्घ्थापना के दौरान घर में किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन न बनाएं। सात्विक भोजन करें।
गणेशजी की स्थापना कर रहें हैं तो विसर्जन तक प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा करें और भोग लगाएं।
स्थापना के बाद गणपतिजी की विधि विधान से पूजा-आरती करें और फिर प्रसाद वितरण करें।
अगर आप बुद्धि के दाता भगवान गणेश की अराधना करते हैं और अगर आप एकदंत भगवान गणेश के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय गणेश लिखना न भूलिए।
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