जानिए कार्तिक पूर्णिमा की तिथि एवं महूर्त एवं इसकी कथा के बारे में विस्तार से . . .

कार्तिक पूर्णिमा, देव दीवाली, पुष्कर स्नान पर्व से मिलने वाला पुण्य होता है बहुत विशाल
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कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन स्नान का सबसे बड़ा महत्व है। इस दिन राजस्थान स्थित पुष्कर सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म के अति पानव महीना कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि सबसे महत्वपूर्ण तिथि है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजस्थान स्थित पुष्कर सरोवर में महा स्नान होता है। वैसे तो यहां देवउठनी एकादशी से स्नान शुरू हो जाता है। लेकिन पुष्कर स्नान का महत्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन शास्त्रों में सबसे लाभदायक बताया है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विधान है। साथ ही गंगा स्नान और दान करने का भी विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। कार्तिक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं माता लक्ष्मी जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय माता लक्ष्मी एवं हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
सबसे पहले आपको बताते हैं पुष्कर जी के बारे में, राजस्थान के अजमेर शहर से लगभग 15 किलो मीटर की दूरी पर यह पावन पुष्कर झील पड़ती है। पौराणिक मान्यता है कि यह ब्रम्हा जी का एक मात्र देवालय यहां पर स्थित है। माना जाता है की यहां स्वयं ब्रम्हा जी के हाथ से पुष्प छूट कर गिरा था। जिस जगह यह पुष्प गिरा उस जगह ब्रम्हा जी द्वारा यज्ञ कराया गया। पुष्प गिरने के कारण इस पौराणिक स्थान का नाम पुष्कर तीर्थ पड़ गया। आज के समय में यहां सरोवर है जो अति पावन है। प्रत्येक पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं।
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माना जाता है कि पुष्कर स्नान करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यता है कि पुष्कर को तीर्थों का मुख कहा गया है और जिस प्रकार प्रयाग को तीर्थों का राजा कहा जाता है उसी प्रकार इसे पुष्कराज कहते हैं। पुष्कर तीर्थ में सिर्फ एक मात्र ब्रम्हा जी का ऐसा मंदिर है जहां उनकी पूजा होती है। यहां पर बम्हा जी का मंदिर है, सावित्री देवी, विष्णु जी और शिव जी का मंदिर है। इसी के साथ यहां कि मान्यता है कि ज्येष्ठ पुष्कर के देवता बम्हा जी हैं, मध्य पुष्कर के देवता भगवान विष्णु और कनिष्क पुष्कर के देवता भगवान शिव हैं।
आप सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में देव दीवाली का विशेष महत्व है, खासकर ये पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीवाली का पर्व मनाया जाता है। इस साल 15 नवंबर 2024 को देव दीवाली पड़ रही है। इस दिन स्नान दान के साथ दीप दान करने का विशेष महत्व है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के पर्व को त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके भव्य स्वागत के लिए दीपक जलाए जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था, क्योंकि राक्षस ने तीनों लोकों पर आतंक मचा रखा था। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख्खों एवं सिंधी समुदाय के गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गुरू नानक जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और ध्यान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के सभी पापों का नाश होता है।
अब जानिए कार्तिक पूर्णिमा 2024 की तिथि एवं समय के बारे में,
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 16 नवंबर को देर रात्रि को 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा पर्व 15 नवंबर को मनाई जाएगी।
इस दिन जो काम आपको जरूरी तौर पर करना चाहिए उनमें शामिल हैं, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के शिव परिवार की विशेष पूजा-अर्चना करें। साथ ही प्रिय भोग अर्पित करने चाहिए। इसके अलावा शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान भी करना चाहिए। मान्यता है कि स्नान करने से पापों का नाश होता है। चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। उपासना करने के बाद श्रद्धा अनुसार दान करना शुभ माना जाता है।
पुष्कर स्नान का महत्व जानिए,
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर स्नान करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यता है कि सरोवर पंच तीर्थाे में से एक है। यह जो भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करता है। उसके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है। इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से मन शांत हो जाता है और जीवन में सफलता की और बढ़ता है माना जाता है कि यदि किसी ने जीवन में ज्यादा तीर्थ दर्शन नहीं किए जो यहां स्नान कर के पंचतीर्थों के दर्शन का फल एक ही बार में मिल जाता है। पुष्कर स्नान के पीछे यह भी मान्यता है कि जो चार धाम की यात्रा करने के बाद पुष्कर तीर्थ में आकर स्नान नहीं करता है उसकी चार धाम यात्रा अधूरी मानी जाती है।
वहीं, जानकार विद्वानों के अनुसार ग्रहों की स्थिति के हिसाब से इस साल देव दीवाली पर काफी दुर्लभ राज योगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों के ऊपर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा हो सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, देव दिवाली के दिन चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे, जिससे गुरु के साथ युति करके गजकेसरी योग का निर्माण कर रहे हैं। इसके साथ ही शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहकर शश राजयोग, शुक्र और गुरु एक दूसरे की राशि में होकर परिवर्तन राजयोग, मंगल कर्क राशि में रहकर मीन राशि में मौजूद राहु के साथ नवपंचम राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा इस दिन व्यातिपात, वरीयान योग जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही देव दीवली के दिन ही शनि कुंभ राशि में मार्गी होने वाले हैं। आईए जानते हैं कि किन राशि वालों को इससे लाभ होने वाला है,
वृषभ राशि के जातकों को बंपर लाभ मिल सकता है। इस राशि में दसवें भाव मे शश राजयोग और लग्न भाव में गजकेसरी राजयोग का निर्माण हो रहा है। इससे इस राशि के जातकों को हर क्षेत्र में सफलता के साथ खूब धन लाभ मिल सकता है। वाहन, संपत्ति खरीदने का सपना पूरा हो सकता है। लंबे समय से रुके काम एक बार फिर से शुरू हो सकते हैं। परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा। इसके साथ ही करियर के क्षेत्र में आपके द्वारा की गई मेहनत रंग ला सकती है। इसके सा ही आपको कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। तरक्की और वेतन वृद्धि के भी योग बन रहे हैं। परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा। मां लक्ष्मी की विशेष कृपा हो सकता है। इसके साथ ही जीवन में सुकून बना रहेगा।
मिथुन राशि के जातकों के ऊपर भी अच्छा दिन जाने वाला है। लंबे समय से रुके काम पूरे हो सकते हैं। आप अपने करियर को लेकर कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। इससे आने वाले समय में आपको काफी लाभ मिल सकता है। साहस और आत्म विश्वास की वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही परिवार के साथ खुशियां मना सकते हैं। संतान की ओर से चली आ रही समस्याएं अब समाप्त हो सकती है। इसके साथ ही आय के नए स्त्रोत खुल सकते हैं। कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी सफलता हासिल हो सकती है। जीवन में खुशियां ही खुशियां आ सकती है।
कुंभ राशि के जातकों के लिए भी देव दिवाली का दिन काफी खास हो सकता है। शनि देव के साथ-साथ शुक्र और गुरु की विशेष कृपा बनी रहेगी। करियर के क्षेत्र में आपको काफी लाभ मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। नई ऑनसाइट नौकरी के अवसर भी मिलेंगे। व्यापार के द्वारा आप काफी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। लंबे समय से चली आ रही समस्याएं अब समाप्त हो सकती है। जीवन में सुकून बना रहेगा और संतान की ओर से भी थोड़ी सी परेशानी कम हो सकती है। हरि ओम,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं माता लक्ष्मी जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय माता लक्ष्मी एवं हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंत कथाओं, किंवदंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा ना मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें।
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(साई फीचर्स)