मानसून गर्मी से राहत दिलाता है लेकिन इसके साथ-साथ कई बीमारियां भी लाता है। पेट से संबंधित समस्यादयें इस मौसम में सबसे अधिक होती हैं। लेकिन बात अगर भारतीय मानूसन की हो तो इससे लोगों में इससे जुड़े कई प्रकार के भ्रम भी हैं। ये भ्रम स्वानस्य् इ और दिनचर्या से जुड़े हुए हैं। आइए एक नजर डालते हैं भारतीय मानसून से जुड़े मिथ के बारे में।
मिथ: दही नहीं खाना चाहिए
भारतीयों में एक कहावत है सावन में दही नहीं खाना चाहिए। भारतीय लोग सावन यानी मानूसन में दही खाने से परहेज करते हैं, उनका मानना है कि दही की प्रकृति ठंडी होती है इसलिए मानसून में इसका सेवन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा लोगों का मानना है कि गरम तासीर वाले खाद्य-पदार्थ यानी हल्दीअ और अदरक खाने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जबकि वास्तीविकता यह है कि इस मौसम में दही खाने से पाचन क्रिया पर कोई असर नहीं पड़ता और यह खाने को अच्छे से पचाने में सहयोग के साथ-साथ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। डायरिया और फूड प्वॉहइजानिंग की समस्यास होने पर दही का सेवन करने से लाभ मिलता है।
मिथ: बारिश में तैरना नहीं चाहिए
बारिश के मौसम में स्वीरमिंग पूल में तैरने से बचना चाहिए, क्योंहकि इस मौसम में पूल के पानी में नालों का बहता हुआ पानी मिल सकता है जिसके कारण पानी से संबंधित संक्रमण हो सकता है। लेकिन कई पूल ऐसे भी हैं जिनमें बारिश के पानी का असर नहीं पड़ता क्यों कि उनमें बाहर से पानी आने की कोई संभावना नहीं होती है, ऐसे में आप उन पूल्सस में तैर सकते हैं और आपको बीमारी भी नहीं होगी।
मिथ: भीगने से बीमार पड़ जायेंगे
आम भारतीयों में यह धारणा है कि मानसून में भीगने से हम बीमार पड़ सकते हैं। लोगों का यह मानना है जैसे ही बारिश के पानी से भीगेंगे उन्हेंत सर्दी-जुकाम हो जायेगा। जबकि वास्तहविकता यह है कि सर्दी और जुकाम के लिए बारिश नहीं बल्कि वातावरण जिम्मोदार होता है, अगर आपके आसपास का तापमान कम है तो आप बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए अगर मौसम सही है और तामपान आपका साथ दे रहा है तो आप बारिश का मजा भीगकर ले सकते हैं।
मिथ: भीगने के बाद ए.सी. में न बैठें
ऐसा माना जाता है कि बारिश के पानी में भीगने के बाद एसी में नहीं बैठना चाहिए इससे सर्दी लग सकती है। जबकि वास्त विकता यह है कि बारिश में भीगने के बाद एअर कंडीशन में बैठने से कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर अधिक टेम्प रेचर से आप अचानक कम तापमान में आये तो इसके कारण शरीर का तापमान बिगड़ सकता है और आपको कोल्डा हो सकता है। इसके कारण बुखार हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता।
मिथ: मछली नहीं खाना चाहिए
कई भारतीयों का मानना है कि बारिश के दूषित पानी में रहने से मछली भी दूषित हो जाती है जिसके कारण उसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंीकि इससे संक्रमण होने की संभावना रहती है। लेकिन वास्त विकता यह है कि बारिश का मछली के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। इसलिए बारिश के मौसम में भी आप मछली खाने का मजा ले सकते हैं।
अगर आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तब आपके ऊपर मानसून का असर नहीं पड़ेगा और इस मौसम का मजा आप बीमार हुए बिना उठा सकते हैं।
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