(हेल्थ ब्यूरो)
सिवनी (साई)। सर्दियों के मौसम में सीताफल, बाजार में बहुतायत में देखा जाता है। इस साल भी शरद ऋतु की दस्तक के साथ सीताफल बाजार में आ गया है।
इस मौसमी फल के जायके का दौर भी चल रहा है। हालांकि कुछ लोग देशी या सामान्य फल समझकर सीताफल को नजर अंदाज करते हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि सीताफल जैसा पौष्टिक और गुणों से भरपूर फल को नजर अंदाज नहीं करना चाहिये।
डायटीशियन्स के अनुसार सीताफल या शरीफा बेहद गुणकारी फल है, इसमें ढेरों पौष्टिक तत्व हैं। सुबह – सुबह खाया गया एक सीताफल न केवल आपके शरीर में कैलोरी की कमी की भरपाई कर देता है, बल्कि दिन भर के लिये शरीर में नयी स्फूर्ति भी प्रदान करता है। यह एक दवा का काम भी करता है। इसके सेवन से कई रोग आपके पास फटकते तक नहीं हैं।
इसमें हैं कई पोषक तत्व : सीताफल, आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में शामिल है। पकी हुई अवस्था में यह बाहर से सख्त व अंदर से नरम और बहुत ही मीठा होता है। इसके अंदर का भाग क्रीम सफेद रंग का और मलाईदार होता है। इसके बीज काले रंग के होते हैं।
बाजार में आजकल सीताफल की बासुंदी शेक और आईसक्रीम भी मिलती है। यह सेहत के लिये बहुत ही अच्छा होता है। इसमें कई विटामिन्स होते हैं। इसमें नियासिन विटामिन ए, राईबोफ्लेविन थियामिन आदि तत्व होते हैं। इसके इस्तेमाल से आयरन, कैल्शियम, मैग्नीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फॉस्फोरस मिलते हैं।
सीताफल में आयरन अधिक मात्रा में होता है, जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने में सहायक है। इसके अन्दर मौजूद पोटेशियम और मैग्नीशियम ह्रदय के लिये बेहद फायदेमंद हैं। मैग्नीशियम शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। इसमें फाईबर की प्रचुर मात्रा ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है। इससे कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।
सीता ने किया था भेंट : वहीं शास्त्रों के जानकारों का कहना है कि सीताफल के नाम से एक युगों पुराना वृतांत भी जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि वनवास के समय माता सीता ने यह फल भगवान श्रीराम को भेंट किया था। इसकी वजह से इस फल का नाम सीताफल हुआ।
शास्त्रों के जानकारों का कहना है कि यह बहुत शीतल होता है, इसलिये इसे सीतफल भी कहते हैं। आयुर्वेद में बताये गये गुणों के अनुसार इस फल का सेवन इंसान को लगभग एक दर्जन बीमारियों से बचाता है और चुस्त – दुरुस्त रखता है।
ये हैं औषधीय उपचार : आज के समय में बाल सफेद होना, झड़ना या गंजापन आम बीमारी का रूप ले चुका है। इस समस्या से दुनिया में ज्यादातर लोग जूझ रहे हैं। इसके बीज बकरी के दूध में घिसकर लगाने से गंजापन दूर होता है। यह फल पित्तशामक, तृषाशामक, उल्टी रोकने वाला, पौष्टिक, तृप्तिकर्त्ता, कफ एवं वीर्यवर्धक, माँस एवं रक्त वर्धक, बलवर्धक, वात दोष शामक और हृदय के लिये लाभकारी है।
कच्चा सीताफल खाने से अतिसार और पेचिश में फायदा मिलता है। कच्चे सीताफल को काटकर सुखा दें और पीसकर रोगी को खिलायें। इससे डायरिया दूर हो जाता है। इस फल को खाने से दुर्बलता दूर होकर मैन पॉवर बढ़ता है। थकान दूर होकर माँस पेशियां मजबूत होती हैं।
सीताफल एक मीठा फल है जिसमें कैलोरी काफी मात्रा में होती है। यह फल आसानी से पचने वाला और अल्सर तथा एसिडिटी में लाभकारी है। सीताफल के पत्तों को पीस कर फोड़ों पर लगाने से वो ठीक हो जाते हैं। सीताफल घबराहट दूर कर हार्ट बीट को सही करता है। कमजोर हृदय या उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये इसका सेवन बहुत ही लाभदायक है।
इसी तरह सीताफल में विटामिन सी, ए है जो कि स्वस्थ्य त्वचा, बेहतर दृष्टि और स्वस्थ्य बालों के लिये उत्तम है। इसमें मैग्नीशियम है, विटामिन बी 6 और पोटेशियम भारी मात्रा में होता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
सीताफल के पेड़ की छाल मे जो स्तंभक और टेनिन होता है वह दवाएं बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसके पेड़ के पत्तों को कैंसर और ट्यूमर जैसी बीमारी के उपचार के लिये अच्छा माना जाता हैं। इसकी छाल मसूड़ों और दांतों के दर्द को कम कर करने में इस्तेमाल की जाती है।
कई लोग इसे गर्भावस्था के समय का चमत्कारी फल कहते हैं जो मॉर्निंग सिकनेस, मतली, चिड़चिड़ेपन और स्वभाव में अचानक परिवर्तन की समस्या से लड़ने में सहायक होता है। बच्चे के जन्म के बाद माँ के स्तनों में दूध का अधिक उत्पादन करने में भी सीताफल सक्षम होता है।