सिवनी के आबकारी महकमे से मुझे शिकायत है जिसके द्वारा लंबे समय से निष्क्रियता ओढ़ ली गयी है और इसका फायदा अवैध शराब का धंधा करने वाले लोग जमकर उठा रहे हैं। इन परिस्थितियों में शांति पसंद आम इंसान परेशान है।
आबकारी विभाग इस बात से जान बूझकर अंजान बना दिख रहा है कि सिवनी में अवैध शराब की बिक्री जोरों पर है। जब चाहे तब पुलिस के द्वारा देशी-विदेशी अवैध शराब को पकड़ने की खबरें समाचार माध्यमों से मिल रहीं हैं। आबकारी विभाग का पूरा का पूरा ध्यान कच्ची शराब की ओर ही दिख रहा है। आबकरी विभाग के द्वारा कच्ची शराब और लहान की जप्ति बनाकर, मीडिया के जरिये अपनी पीठ ठोकी जा रही है।
सिवनी शहर के अधिकांश लोगों के पास इस बात की जानकारी मिल जायेगी कि हॉटल और ढाबों में इन दिनों अवैध शराब की बिक्री जोरों पर है। ऐसा नहीं है कि यह बात पुलिस या आबकारी अमले के संज्ञान में नहीं है। दोनों ही जिम्मेदार विभाग के कर्मचारी अनेकों बार वर्दी में ही इन ढाबों और हॉटलों में धूम्रपान करते हुए दिख जाते हैं।
मीडिया की तरफ जब भी ध्यान दिया जाये तब यही जानकारी मिलती है कि देशी और विदेशी शराब अब तक बड़ी तादाद में पुलिस के द्वारा ही पकड़ी जा रही है। यह शोध का ही विषय है कि आखिर आबकारी विभाग के मूल काम को पुलिस के द्वारा अंजाम दिया जा रहा है और आबकारी विभाग नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रहा है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय होगा कि अवैध शराब के बारे में सांसद-विधायकों को कोई लेना-देना नहीं दिखता है। हालांकि स्थानीय विधायक दिनेश राय के द्वारा एकाध बार अवैध शराब के बारे में प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया गया था लेकिन बावजूद इसके आबकारी विभाग के कानों में जूं नहीं रेंग पा रही है।
प्रशासन की जानकारी में यह बात अच्छी तरह से है कि शराब सामाजिक बुराई है और यह बात कई मौकों पर सिद्ध भी हो चुकी है। बताया जाता है कि शराब से प्राप्त होने वाले भारी भरकम राजस्व की सहायता से प्रदेश सरकार के द्वारा अनेकों योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जाता है। ऐसे में शराब बंदी अब संभव प्रतीत नहीं होती है। यहाँ सवाल यही उठता है कि अवैध शराब के जरिये कौन सा राजस्व सरकारी खजाने में जा रहा है?
सिवनी शहर में आज भी शाम ढलते ही शहर में मयजदों की टोलियां लहराती हुईं दिखायी दे जाती हैं। चौक – चौराहों, अण्डों के ठेलों आदि पर मयजदों को डकारें मारते हुए आसानी से देखा जा सकता है। जिला मुख्यालय में शाम ढलने के बाद कोतवाली पुलिस की पेट्रोलिंग भी अब दिखायी नहीं पड़ रही है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय होगा कि सिवनी शहर में शायद ही कोई ऐसा ढाबा होगा जिसमें शराब अवैध रूप से न बिक रही हो या जिस ढाबे में दिन या रात में सुरापान करते हुए लोगों को न देखा जाता हो। यक्ष प्रश्न यही है कि इस तरह से अगर बिना किसी लाईसेंस के ढाबों में शराब परोसी जा रही है तो इस नियम विरूद्ध काम को आबकारी विभाग रोकने की कवायाद क्यों नहीं करता है!
विजय ओक्टे

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