मुझे शिकायत यातायात और परिवहन जैसे विभागों से है जिनकी नजर के सामने ही शहर में और शहर के बाहर ट्रैक्टर से बंधी ऐसी ट्रॉलियां चल रहीं हैं जिन पर नंबर तो लिखा ही नहीं होता है साथ ही रेडियम आदि भी नहीं लगाया गया होता है।
ट्रैक्टर मालिक अपनी मनमानी करते हुए ट्रॉलियों को चला रहे हैं जो दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। ट्रैक्टर के पीछे लिखा गया नंबर, ट्रॉली लगने के बाद किसी को नजर नहीं आता है। कायदे से उस ट्रैक्टर की ट्रॉली पर भी नंबर लिखा जाना चाहिये लेकिन सिवनी जिले में कहीं भी ऐसा नहीं हो रहा है।
इसी तरह ट्रैक्टर की ट्रॉली के पीछे रेडियम या बैक लाइट जैसी कोई चीज न होने के कारण ये ट्रॉलियां, रात के समय अन्य वाहन चालकों के लिये किसी यमदूत से कम नजर नहीं आती हैं। रात में ये ट्रॉली स्पष्ट नहीं दिखती हैं और वाहन चालक या तो इनसे टकरा जाते हैं या फिर इन ट्रॉलियों के अचानक सामने दिखायी देने पर, वाहन चालक इनसे बचने का प्रयास करते हुए अन्य किसी वाहन से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
यातायात पुलिस को चाहिये कि उसके द्वारा वाहन में लगने वाली ऐसी ट्रॉलियों के विरूद्ध मुहिम चलाये जिनमें पीछे न तो बैक लाईट लगी है और न ही रिफ्लेक्टर ही उनमें लगवाये गये हैं। इन ट्रॉलियों पर वे जिन वाहनों से जुड़ी हुई हैं उनका नंबर भी चस्पा किया जाना चाहिये लेकिन सिवनी में शायद ही ऐसी कोई ट्रॉली हो जिसमें उसके वाहन का नंबर भी दिखायी दे रहा हो उसके बाद भी ऐसे वाहन धड़ल्ले से सिवनी में दौड़ रहे हैं।
ट्रॉलियों के पीछे रेडियम लगवाया जाना तुरंत ही आवश्यक कर दिया जाना चाहिये। इसके साथ ही इस बात की भी जाँच की जाना चाहिये कि कृषि कार्य के लिये पंजीकृत वाहन रेत, ईंट, गिट्टी को ढोने का कार्य नहीं कर रहे हैं। यदि ऐसा है तो दुर्घटना के समय ऐसे वाहन और भी ज्यादा नुकसान दायक साबित हो सकते हैं।
बिना रेडियम वाली ट्रैक्टर की ऐसी ट्रॉलियां सड़क हादसों का एक बड़ा कारण भी मानी जा सकती हैं लेकिन ट्रैक्टर मालिक किसी भी नियम का पालन करते नहीं दिख रहे हैं। देखने में यही आ रहा है कि ट्रैक्टर मालिकों की मनमानी पर न तो यातायात विभाग लगाम लगा पा रहा है और न ही परिवहन विभाग के द्वारा ही इस दिशा में कोई कार्यवाही की जा रही है।
मनोज कुमार गुप्ता
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