मुझे शिकायत उस तंत्र से है जिसके तहत सिवनी जिले की व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। स्थिति यह है कि जिला कलेक्टर के द्वारा भी यदि किसी विभाग में रूचि लेकर उसकी व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने का प्रयास किया जाता है तो वे भी सफल नहीं हो पा रहे हैं।
जिला चिकित्सालय सिवनी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। समाचार माध्यमों के जरिये आये दिन इस तरह की खबरें मिल रही हैं कि जिला कलेक्टर के द्वारा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया। अब तक जिला कलेक्टर भी शायद इस बात से वाकिफ हो गये होंगे कि जिला चिकित्सालय जैसे विभाग की पटरी से उतर चुकीं व्यवस्थाओं को पटरी पर लाना इतना आसान काम नहीं हैं।
इन परिस्थितियों के बीच ही जिला चिकित्सालय पहुँचने वाले कई मरीज असमय ही काल कलवित हो चुके हैं और कई मरीजों को अकारण ही सिवनी से रेफर कर दिया गया जबकि यदि व्यवस्थाएं पुख्ता होतीं तो उनमें से कई मरीजों का उपचार जिला चिकित्सालय में ही किया जा सकता था। ऐसा लगता है जैसे सिवनी में पदस्थ चिकित्सकों पर किसी का कोई बस नहीं रह गया है और वे मनमाने तरीके से ड्यूटी करते हुए उस कार्य की पगार पाये जा रहे हैं जिन्हें उनके द्वारा कर्त्तव्यनिष्ठा के साथ किया ही नहीं जा रहा है।
सिवनी में सिर्फ जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं ही पटरी से उतरीं हों, ऐसा भी नहीं है। लगभग-लगभग सभी विभागों में यही हाल चल रहा है। आश्चर्यजनक बात यह है कि जिला प्रशासन के द्वारा कुछ विभागों को समय-समय पर कार्य विशेष करने के लिये दिशा निर्देश दिये जाते हैं। सवाल यह उठता है कि जिन विभागों का कार्य ही वही है जिसके लिये उन्हें निर्देशित किया जा रहा है तो उन विभागों में सामान्य दिनों में काम ही क्या हो रहा है?
आम जनता हलाकान है। यदि कोई अपनी समस्या लेकर किसी विभाग के अधिकारी के पास जाया जाता है तो संबंधित अधिकारी के द्वारा एक कॉपी पेस्ट की तरह जवाब दिया जाता है कि ..आपके द्वारा हमारे संज्ञान में यह बात लायी गयी है जिसकी जाँच करवायी जायेगी। यह किस तरह की कार्यप्रणाली सिवनी में चल रही है जिसके तहत किसी विभाग के अधिकारी की जानकारी में ही यह बात नहीं आती है कि उसकी नाक के नीचे किस तरह की लापरवाही बरती जा रही है।
मजा तो तब है जब कलेक्टर किसी विभाग का निरीक्षण कर रहे हों और तब उस विभाग के अधिकारी के द्वारा किसी तरह की अनियमितता पर कलेक्टर को यह जवाब दिया जाये कि ..आपके द्वारा हमारे संज्ञान में यह बात अभी लायी गयी है! जिला प्रशासन की नजर में क्या वे खबरें नहीं आतीं हैं जिनमें इस बात का उल्लेख होता है कि अधिकारियों की जानकारी में कोई गंभीर अनियमितता आम जनता के द्वारा लायी जा रही हो!
इन सब बातों को देखते हुए यदि यह कहा जाये कि सिवनी की जनता को सिर्फ और सिर्फ लालीपॉप पकड़ायी जा रही है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा। आये दिन किसी आला अधिकारी के द्वारा किसी विभाग का निरीक्षण करने की रस्म अदायगी की जाना या दिशा निर्देश जारी किये जाना और उसके बाद उन दिशा निर्देशों का क्या हश्र हुआ, इस ओर कोई ध्यान न दिया जाना, आखिर किस बात की ओर इशारा करता है। सिवनी की जनता अपेक्षा ही कर सकती है कि यहाँ पदस्थ होने वाले अधिकारी-कर्मचारी अपनी पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्त्तव्यों का पालन करें ताकि जन सुनवायी जैसे महज रस्म अदायगी वाले किसी आयोजन की आवश्यकता ही शेष न रह जाये।
आशीष भटनागर
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