मुझे शिकायत ऐसे जन प्रतिनिधियों से है जिनके द्वारा आम जनता की समस्याओं को सुलझाने की बजाय आमतौर पर पार्टी लाईन की दुहाई देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया जाता है।
गौरतलब होगा कि इन दिनों सिवनी में पत्रकारों ही नहीं बल्कि नेताओं की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। नये नेताओं की बात यदि न भी की जाये तो स्थापित नेताओं के द्वारा आम जनता की समस्याओं की ओर ध्यान न दिया जाकर सिर्फ और सिर्फ संगठन की राजनीति में ही अपनी ऊर्जा को खपाया जा रहा है। इसके चलते सिवनी की आम जनता असहाय दिख रही है और सिवनी भी विकास के मामले में लगातार ही पिछड़ता चला जा रहा है।
स्पष्ट शब्दों में यदि कहा जाये तो सिवनी के नेताओं के पास अपने से बड़े नेताओं की जी हुजूरी करने के सिवाय और कोई काम नहीं रह गया दिखता है। इसके चलते वे कोई उपलब्धि भी सिवनी को नहीं दिलवा पा रहे हैं। किसी मामले में यदि ऐसे नेताओं से अपनी बात रखते हुए परेशानी बतायी जाये तो अधिकांश नेताओं के द्वारा पार्टी लाईन से इतर चलने से मना करते हुए, लोगों की मदद करने से ही इंकार कर दिया जाता है।
शायद यही कारण भी है कि पिछले कुछ दशकों में सिवनी के नेताओं के पास बड़े-बड़े पद भी रहे लेकिन वे सिवनी के लिये कुछ भी खास करने में असफल ही रहे। आम जनता की समस्या को दरकिनार करने वाले ऐसे खोखले सिद्धांतों को ओढ़ने वाले नेता राज्य स्तर तो दूर की बात है अपने ही जिले में सर्वमान्य छवि बनाने में असफल रहे हैं और निकट भविष्य में ऐसा लगता भी नहीं है कि सिवनी को कोई ऐसा नेता मिल सकेगा जो आम जनता की समस्या की खातिर अपनी पार्टी के सिद्धांतों को भी ताक पर रखने की हिम्मत जुटा सके।
सिवनी की जनता यहाँ मची अराजकता के कारण परेशान है और उसके चेहरे पर आयी मायूसी को दूर करने वाला कोई नहीं दिखायी दे रहा है। अधिकारी वर्ग जनता की समस्या को सुलझाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। स्थिति यह है कि अराजकता के इस दौर में हर मामले को संबंधित अधिकारी के संज्ञान में आम लोगों के द्वारा लाया जाता है। ..आपके द्वारा मेरे संज्ञान में यह बात लायी गयी है.. जैसी बातें सिवनी में हर विभाग के अधिकारियों से सुनने को मिल जाती हैं। जन प्रतिनिधि अपने अनुपयोगी सिद्धांतों के कारण आम जनता की समस्याओं को नजर अंदाज कर रहे हैं, ऐसे में आम जनता अपनी समस्याओं को लेकर जाये तो कहाँ जाये।
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