बिना पैसे दिये जिला चिकित्सालय में नहीं हो रहा उपचार!

 

 

मुझे शिकायत जिला चिकित्सालय सिवनी प्रबंधन से है जिसके द्वारा अपने मातहतों को शायद इस बात के लिये स्वच्छंद छोड़ दिया गया है कि वहाँ आने वाले मरीजों से उपचार के नाम पर अवैध वसूली की जाये।

इस तरह की व्यवस्था के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले गरीब वर्ग के लोग रोग के साथ ही साथ अर्थ रूपी दोहरी मार झेलने को विवश कर दिये गये हैं। पिछले कई वर्षों से समाचार पत्रों के माध्यम से यह जानकारी मिल रही है कि जो भी कलेक्टर सिवनी में पदस्थ हो रहा है उसके द्वारा जिला चिकित्सालय सिवनी की व्यवस्थाओं को लेकर सिर्फ और सिर्फ दिशा निर्देश ही जारी किये जा रहे हैं।

इसका मतलब साफ है कि जिला प्रशासन से भी जिला चिकित्सालय सिवनी की स्थिति नहीं छुपी है और यहाँ भर्राशाही अपने चरम पर है। आम जनता में यही संदेश गया है कि जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को पटरी पर लाना किसी भी कलेक्टर के बस की बात नहीं है। वरना क्या कारण है कि जो भी कलेक्टर सिवनी आता है उसके द्वारा महज आदेश दिये जाते हैं और उन आदेशों का पालन किया भी जा रहा है अथवा नहीं, यह देखने की फुर्सत किसी को नहीं रहती है जिसके कारण मरीजों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

सिवनी में अर्द्ध सैनिक बल की एक महिला जवान सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाती है लेकिन उसे समय पर उपचार नहीं मिलता है जिसके चलते उसकी मौत तक हो जाती है लेकिन जिला चिकित्सालय सिवनी में मोटी चमड़ी वाले अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं लाते हैं। ऐसा लगता है जैसे जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ के अधिकांश कर्मचारियों के लिये किसी इंसान का जीवन एक कीड़े मकोड़े से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

एक जाँबाज महिला सैनिक सिवनी में अपनी जान गवां देती है उसके बाद भी यह नहीं लगता कि यहाँ पदस्थ कोई आला अधिकारी यदि जिला चिकित्सालय सिवनी की व्यवस्थाओं के कारण किसी स्वास्थ्यगत गंभीर परेशानी में पड़ जाये तो उसके बाद भी यहाँ की व्यवस्थाएं सुधर सकेंगी। यहाँ सीज़र तो दूर की बात है नॉर्मल डिलेवरी भी बिना चिकित्सक को पैसे दिये करवाना असंभव हो चुका है।

कई मौकों पर तो किसी घाव की सामान्य मरहम पट्टी के लिये भी कम से कम पचास रूपये मरीजों से माँग लिये जाते हैं। वार्ड में भर्त्ती मरीजों को इंजेक्शन तो आमतौर पर निःशुल्क लगा दिये जाते हैं लेकिन ओपीडी में इंजेक्शन लगवाना कई बार बिना पैसे के संभव ही नहीं हो पाता है। चिकित्सकों का समय पर उपलब्ध न होना वर्षों पुरानी समस्या बनी हुई है जिसका समाधान अब तक नहीं निकाला जा सका है।

इसके लिये जिला चिकित्सालय प्रबंधन इतना तो कर ही सकता है कि जब चिकित्सक, सुबह दस बजे के पहले जिला चिकित्सालय नहीं पहुँचते हैं तो उनका मरीजों से मिलने का समय ही सुबह दस बजे से निर्धारित कर दिया जाये। यदि ऐसा किया जाता है तो मरीज नाहक ही परेशान होने से जरूर बच जायेंगे।

शशिराज सिंह

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