सिवनी में लगे यातायात के सिग्नल्स को लेकर क्या प्रशासन खुद अपने आप में कन्फ्यूज़ है, मैं इस स्तंभ के माध्यम से मैं इसी संबंध में अपनी बात रखना चाहता हूँ।
सिवनी संभवतः ऐसा पहला शहर होगा जहाँ यातायात के सिग्नल्स को लेकर न तो नागरिक गंभीर हैं और न ही यातायात को लेकर उससे जुड़े विभाग चाहे वह ट्रैफिक पुलिस हो या नगर पालिका प्रशासन और या फिर जिला प्रशासन। यदि यातायात के प्रति गंभीरता होती तो सिग्नल्स के संचालन पर गंभीरता से ध्यान दिया जाता जो न तो लगातार चालू रहते हैं और न ही जेब्रा क्रॉसिंग ही इन सिग्नल्स के सुचारू रूप से पालन के लिये बनवायी गयी है।
इस शहर में कई स्थानों पर यातायात सम्हालने के नाम पर सिग्नल्स स्थापित कर दिये गये हैं लेकिन ये सिग्नल अपने आप में ही अधूरे कहे जायेंगे। शायद यही कारण भी है कि अधिकांश वाहन चालक इन सिग्नल्स का पालन करने को ज्यादा अहमियत देते नज़र नहीं आते हैं। सिवनी के कचहरी चौक पर आकर पाँच दिशाओं से सड़कें मिलती हैं लेकिन इस चौराहे पर तीन सिग्नल्स ही स्थापित किये गये हैं और वाहन चालकों से अपेक्षा की जा रही है कि वे इन सिग्नल्स का पालन करे। सिंधिया तिराहा और कचहरी की ओर से आने वाले मार्ग के लिये कोई सिग्नल इस स्थान पर नहीं लगाये गये हैं।
कचहरी चौक एक महत्वपूर्ण चौराहा होने के बावजूद यहाँ पर प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था तक नहीं की गयी है जिसके कारण रात के समय इस चौराहे पर जब-तब दुर्घटनाओं की स्थिति निर्मित होते रहती है। कचहरी चौक या सिंधिया तिराहे की ओर से अचानक ही जब कोई वाहन चालक गतिमान यातायात में प्रवेश करता है तो वह यकायक ही दुर्घटना के कारणों को जन्म दे देता है।
कचहरी चौक पर लगाये गये सिग्नल्स में, पूर्व में सेकेण्ड्स भी चलते रहते थे लेकिन अब वे भी बंद कर दिये गये हैं। इसके चलते वाहन चालकों को यह पता ही नहीं चल पाता है कि किस रंग का सिग्नल कितनी देर चलेगा। वर्तमान में स्थिति तो ये है कि लगाये गये तीनों सिग्न्ल्स में कुछ सेकेण्ड्स के लिये लाल बत्ती ही दिखायी देती रहती है। तीनों सिग्नल में एक साथ लाल बत्ती का प्रकाशमान होना यातायात को अवरूद्ध करके रख देता है, जिसके कारण वाहन चालकों का समय व्यर्थ ही जाया होता है।
मजे की बात तो यह है कि यातायात विभाग के किसी पुलिसकर्मी की ड्यूटी तो इस कचहरी चौक पर नहीं लगायी जाती है अलबत्ता होमगार्ड का एक सिपाही इस स्थान पर एक तरफ खड़े होकर यातायात में बाधाएं उत्पन्न होते देखता रहता है। सिग्नल्स की व्यवस्था ही ऐसी है कि वह चाहकर भी वाहन चालकों को कोई दिशा निर्देश देने में स्वयं को अक्षम ही पाता होगा। यह व्यवस्था कब सुधरेगी, इसके बारे में नागरिक इंतजार ही कर रहे हैं ताकि वे सुरक्षित रूप से सिवनी की सड़कों पर गमन कर सकें।
शिरीष भट्ट
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