अमेरिकी फेड रिजर्व के फैसले का असर

 

 

 

 

470 अंक लुढ़का सेंसेक्स, बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ शेयर बाजार

(ब्यूरो कार्यालय)

मुंबई (साई)। अमेरिकी फेड रिजर्व द्वारा भविष्य में ब्याज दरें घटाए जाने को लेकर कुछ स्पष्ट संकेत न होने और बैंक ऑफ जापान द्वारा नीतिगत स्तर पर कोई बदलाव न होने से शेयर बाजार में भी निराशा दिखी।

वैश्विक मंदी को लेकर दोबारा चिंता बढ़ गई है और बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स आज फिर काफी नीचे आ गया। साप्ताहिक वायदा सौदों की एक्सपायरी से पहले बैंकिंग स्टॉक्स काफी कमजोर दिखाई दिए। गुरुवार को सेंसेक्स 470.41 पॉइंट की गिरावट के साथ 36,093.47 पर बंद हुआ वहीं निफ्टी में भी 100 अंकों की गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 50 अंकों की तेजी के साथ खुला था लेकिन बाद में गिरावट शुरू हो गई। दिनभर में सेंसेक्स में 500 अंकों की गिरावट देखी गई।

यस बैंक के शेयर 16 प्रतिशत तक गिर पए। निफ्टी में यह एक बड़ा नुकसान है। इसके अलावा IndusInd Bank और आईसीआईसीआई बैंकों के शेयर भी 3 प्रतिशत गिर गए। आइए जानें कि बाजार को किस बात का डर सकता रहा है।

अमेरिकी फेड रिजर्व कॉमेंट्री

फेड नीति निर्माताओं ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का फैसला लिया जबकि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बॉरोइंग कॉस्ट के प्रति सतर्क रुख और यूएस सेंट्रल बैंकर्स में बंटवारे की वजह से व्यापारी भी शांत हैं। अमेरिकी पॉलिसी दरों के प्रति अनिश्चितता का माहौल है। पॉवेल ने कहा कि रेट कट की वजह वर्तमान में चल रहे जोखिमों से सुरक्षित करना है। उन्होंने कहा कि कमजोर वैश्विक विकास और व्यापार में तनाव के नुकसान को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशल सर्विसेज के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘आज की गिरावट की बड़ी वजह यूएस फेडरल बैंक से मिलने वाले मिलेजुले संकेत हैं।

कर संग्रह में कमी

टैक्स कलेक्शन में कमी की चिंता दलाल स्ट्रीट के निवेशकों को भी सता रही है। सरकार ने इस साल के लिए 17.5 प्रतिशत ज्यादा टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य रखा था जबिक केवल 4.7 प्रतिशत ज्यादा कर संग्रह ही किया जा सका। 17 सितंबर तक 5.50 लाख करोड़ प्रत्यक्ष कर जमा हुआ जबकि पिछले साल 5.25 करोड़ जमा किया गया था।

बैंकिंग स्टॉक में बिकवाली

एजेंसी मूडीज ने कहा था कि रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश बैंकों के लिए मुनाफे का सौदा नहीं है। NBFC और HFC को कर्ज देने की वजह से बैंकों का रियल एस्टेट में अप्रत्यक्ष निवेश है। एनबीएफसी और एचएफसी रियल एस्टेट डिवेलपर्स को कर्ज देने का काम करते हैं।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली

विदेशी निवेशकों की बिकवाली थमने का नाम नहीं ले रही है। फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर (FIIs) पिछले तीन ट्रेडिंग सेशन में 1,850 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं। इस तिमाही की शुरुआत से 31,300 करोड़ के शेयरों की बिक्री हुई है।

इकनॉमिक बूस्टर की कमी

भारत की आर्थिक परिस्थितियों की वजह से शेयर बाजार में निराशा देखी जा रही है। कई सेक्टरों में सुस्ती देखी जा रही है और कॉर्पोरेट पर्फॉर्मेंस निवेशकों को आकर्षित करने में नाकाम है।

खेमका ने कहा, ‘आर्थिक सुस्ती और घटती मांग की वजह से विकास दर में कमी से हमारा बजार लगातार दबाव झेल रहा है। आय में भी वृद्धि नहीं देखी जा रही है।एक और जानकार ने कहा, ‘रिजर्व बैंक की घोषणाओं और पैकेज के ऐलान से मार्केट संतुष्ट नहीं है। मार्केट का मानना है कि जब तक और ज्यादा रेट कट और वैश्विक वित्त व्यवस्था में सुधार नहीं होता है, तब तक स्थिति सुधरनी मुश्किल है।