मोदी कोसो आगे, मैं कुछ भी लिखूं!

 

 

(हरि शंकर व्यास) हां,पाठक माईबाप, अपना लिखना भारत पर, हिंदूओं पर रोना है लेकिन पुलवामा से नरेंद्र मोदी की जो हवा बनी है वह अपनी जगह है। इसलिए न अंतरविरोध बूझे और न अनुभव-हकीकत के सत्य और मूर्खताओं की हवा को समझाने की अपनी कोशिश में कफ्यूजन पाले। जैसे सत्य बताना धर्म है तो हवा बताना भी धर्म है।

जान लिया जाए कि पुलवामा को भुनाते हुए मोदी-शाह ने एक-एक राज्य में अपने पाले को जैसा चाक चौबंद बनाया है उससे खटका बन रहा है कि मोदी कितनी बड़ी आंधी बनवाएंगे। लक्षण, मेहनत, साधन, समझ और कलेंडर की आगे की तैयारियों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह हद पार कर दे रहे हैं। इस सप्ताह भगवाई रंग का मैंने एक ऐसा वीडियो देखा जो सीधे कथित आजादी मांगने वालों को मारने का आव्हान लिए हुए था। मतलब देशभक्ति और हिंदू नौजवान छप्पन इंची छाती वालों का ऐसा प्रकटीकरण था कि मैं हिल गया। सो यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से भी आतंकवाद, पाकिस्तान को ठोकने, देशभक्ति, हिंदू गौरव लगातार झलका तो क्या होगा? सोशल मीडिया व घर-घर में माइक्रो प्रचार यदि हिंदू बचाओं की थीम पर पकता ही गया तो क्या अरुणाचल से गुजरात, जम्मू से केरल सुनामी नहीं बनेगी?

गौर वाली बात है कि मोदी-शाह एक-एक सीट जीतने की जिद्द में है। ताजा बड़ा प्रमाण इस सप्ताह मोदी-शाह का एनआरसी याकि कि बांग्लादेशियों, घुसपौठियों को भगाओं की थीम को ठंड़े बस्ते में डालना है। वापिस असम गण परिषद से एलायंस बनाना है। हिसाब से संघ-भाजपा के नागरिकता कानून और एनआरसी एजेंडे पर मोदी-शाह का हल्ला होना था कि देखों विदेशी घुसपैठियों को भगाने के लिए सरकार कैसी अडी। इसके चलते उत्तर-पूर्व राज्यों में भाजपा के खिलाफ कुछ माहौल बना था और असम गण परिषद ने भाजपा से एलायंस तोड़ा।

लेकिन कमाल देखिए कि मोदी-शाह ने एजीपी को पटा लिया। चुनाव में एनआरसी पर बात नहीं करने का फैसला लिया। कितनी बड़ी बात है यह? इसलिए ताकि असम में एक भी सीट का नुकसान न हो। मतलब एक-एक राज्य, एक-एक, दो-दो सीट की मोदी-शाह माइक्रों चिंता कर रहे है तो मकसद यही है कि देशभक्ति की आंधी को हर कोने, हर सीट पर जीत में कनवर्ट करना है।

ऐसे ही परसों यूपी में अपना दल को एक की बजाय दो सीट दे कर अमित शाह ने पटाया। अनुप्रिया पटेल के कहने पर मिर्जापुर में जिला भाजपा अध्यक्ष बदल दिया। इससे पहले राजभर की पार्टी को भी खुश किया गया। पहली बार है जो झारखंड में भाजपा लोकसभा की सीट एक छोटी पार्टी को दे रही है। भाजपा ने आजसू के लिए एक लोकसभा सीट छोड़ी है ताकि कुर्मी वोटों की गोलबंदी भाजपा के पक्ष में हो।

ठीक विपरित कांग्रेस, आप, सपा-बसपा और तृणमूल और लेफ्ट के हाल देखें। भाजपा ने त्रिपुरा की दो सीटों के लिए आदिवासी पार्टी को सिर पर बैठा रखा है। भाजपा दोनों ही सीट जीते इसकी मोदी-शाह खुद चिंता कर रहे हैं लेकिन इन दो सीट पर लेफ्ट, कांग्रेस और तृणमूल में यह सहमति नही बनी कि मिल कर चुनाव लड़ना है ताकि सीट भाजपा को न जाएं। जान ले भाजपा दोनों सीटों पर तभी हार सकती है जब लेफ्ट-कांग्रेस मिल कर चुनाव लड़े और तृणमूल समर्थक रहे।

कुछ जानकारों का तर्क है कि मोदी-शाह का छोटी पार्टियों के आगे झुकना घबराहट का प्रमाण है। ऐसा नहीं है। मोदी-शाह की पुरानी एप्रोच है जो एक-एक सीट पर फोकस कर कोई कमी नहीं रहने दंे और विपक्ष को चुनाव के दौरान उठने ही नहीं दे। ये इस सिनेरियों को मानते हुए तैयारी कर रहे है कि यदि यूपी में सपा-बसपा या दिल्ली में कांग्रेस-आप का एलायंस हुआ तो कैसे उससे पार पाया जा सकता है? हां, मैं भी मानता हूं कि यूपी या दिल्ली या भारत के किसी भी कोने में नरेंद्र मोदी मतदान में आधे से ज्यादा वोट याकि 51 प्रतिशत वोट नहीं प्राप्त कर सकते है। आज की तारीख में यूपी में मोदी-शाह का पहला टारगेट है कि वहां भाजपा को कम से कम 45 प्रतिशत वोट मिले। मतलब 80 में से भाजपा 75 सीटे जीते। ऐसे ही दिल्ली में कांग्रेस व आप इकठ्ठे हो तब भी भाजपा आधी सीटे जीत जाएं।

सोच सकते है कितना बेवकूफी वाला ख्याल है यह! लेकिन जान ले अगले 62 दिनों में दिनप्रतिदिन मोदी-शाह वह करेगी जिसकी राहुल गांधी, प्रियंका, केजरीवाल, मायावती, अखिलेश ने कल्पना नहीं की हुई होगी। मैं शुरू से लिखता रहा हूं कि कलेंडर की हर तारीख नरेंद्र मोदी की तैयारी लिए हुए होती है और उसके आगे विपक्ष का हर दिन इस किंकर्तव्यमूढता और सदमें वाला होता है कि करे तो क्या करे!

तभी देखिए, कल से चुनावी नोटिफिकेशन शुरू होने वाले है लेकिन राहुल गांधी- केजरीवाल, अखिलेश, किंकर्तव्यमूढ है कि क्या करे और क्या नहीं? मैं और मेरे जैसे सुधीजन चाहे जो लिखें, पांच सालों की हकीकत, देश भविष्य का चाहे जो पत्रा पढ़ें। लेकिन फिलहाल दूसरी तरफ उस नाते हम फेल साबित होने वाले है कि चलो उठो, ठोको आजादी, आजादी वालों को! जब मैदान ए जंग पानीपत का ही है तो उसके अंत नतीजों में हम दृआप कर क्या कर सकते हैं?

(साई फीचर्स)