पित्रोदाः तिल का ताड़ क्यों?

 

 

(डा. वेद प्रताप वैदिक)

ओवरसीज कांग्रेस के नेता सेम पित्रोदा ने भाजपा को अब नया टेका लगा दिया है। उनके बालाकोट हमले संबंधी बयान को भाजपा के नेता और हमारे खबर के भूखे टीवी चौनलों ने तिल का ताड़ बना दिया है। सेम पित्रोदा को मैं पिछले 20-25 साल से जानता हूं। वे जब शिकागो की एक बस्ती आकलैंड में रहते थे और उन्हें हृदयाघात हुआ था, तब मैं उन्हें देखने उनके घर भी गया था। वे नेताओं की तरह चतुर-चालाक नहीं हैं। वे सीधे-सादे आदमी हैं।

उन्होंने उस समय जो बात मुझसे कही थी, उसे आज मैं खोल दूं तो आज भी काफी तहलका मच सकता है लेकिन मैं वह कतई नहीं करुंगा। अभी पित्रोदा ने बालाकोट में मारे जानेवाले 300 लोगों के प्रमाण मांगें तो उन पर पाकिस्तान के प्रवक्ता, एजेंट और वकील होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। उनकी इस मांग को शर्मनाक बताया जा रहा है। यह मांग तो देश के सभी विरोधी दल और प्रबुद्ध विश्लेषक कर चुके हैं। सरकार के इस दावे को भारतीय फौज ने भी रद्द किया है।

हमारे विदेश सचिव ने भी इस सवाल पर टालू मिक्सचर टिका दिया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसे ठीक बताया लेकिन हमारे प्रचार मंत्रीजी ने इस मुद्दे पर एक बार भी मुंह नहीं खोला। इस मुद्दे पर हमारे प्रचार मंत्री ने अपने आप को प्रधानमंत्री सिद्ध किया। अब इस मुद्दे को तूल देकर भाजपा अपना ही नुकसान करेगी। पाकिस्तान के बालाकोट में कोई मरा या न मरा, इससे क्या फर्क पड़ता है ? सबसे बड़ी बात, यह हुई कि बालाकोट पर हमला करके हमारी फौज ने अदभुत और अपूर्व काम किया है।

यह हमारी फौज की पहल थी। इसका सारा श्रेय फौज को है। कोई भी दल इसका राजनीतिक फायदा उठाने या इसे निरर्थक सिद्ध करके सरकार को बदनाम करने की कोशिश करे, ये दोनों बातें गलत हैं। स्वयं पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि बालाकोट पर भारत का हमला हुआ है (और वहां एक कबूतर मारा पाया गया) तो अब उसका प्रमाण देने की जरुरत क्या रह गई है?

वहां एक कबूतर मरा पाया गया या कुछ शेर मारे गए या 300 आतंकी मारे गए, ये सवाल बेहद मामूली हैं। इन सवालों पर जोर देकर सरकार के प्रवक्ता और विरेाधी नेता हमारी फौज की इस जबर्दस्त पहल का रंग फीका कर रहे हैं। बालाकोट का सिर्फ एक ही संदेश है कि तुम हमें छेड़ोगे तो हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।

(साई फीचर्स)

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