(विवेक सक्सेना)
पिछले कुछ दिनों से मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया पर भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर हो रही चर्चा से परेशान हूं। हमारे एंकर जो कुछ कह कर दावे कर रहे हैं वे सच नहीं हो तो अच्छा है। शुरुआत हमारे गृहमंत्री राजनाथ सिंह के इस बयान से हुई थी कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद हमारी नजर अब पाक अधिकृत कश्मीर पर है। जवाब में पाकिस्तानी मंत्रियों ओर एंकरो ने यह कहना शुरू कर दिया कि इस बार आर-पार की लड़ाई होगी और दोनों देशों का भूगोल बिगड़ जाएगा।
मेरी समझ में यह बात नहीं आती है कि हमारे नेता पाक अधिकृत कश्मीर को अपने कब्जे में लेने के लिए क्यों उत्सुक है? अथवा हमारे चौनल पाकिस्तान की तुलना में भारत के हर क्षेत्र में बेहतर होने का दावा करते हुए यह क्यों कह रहे हैं कि एक दिन हमारा पाकिस्तान पर कब्जा हो जाएग!
जब वे यह कहते हैं तो मेरे दिमाग में सवाल उठने लगते हैं। आज की तारीख में पाकिस्तान या पाक अधिकृत कश्मीर को अपने कब्जे में लेने का विचार बहुत मूर्खता पूर्ण है। यह तो किसी कैंसर या कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति को अपने आश्रय में लेने जैसा है। मेरा तो शुरू से यह मानना रहा है कि इस देश का विभाजन बहुत अच्छी घटना थी। जब हम पड़ोसी पाकिस्तान की गतिविधियों को ही नहीं संभाल पा रहे हैं तो अगर हमारी सीमाएं खुली होती तो क्या हाल होता।
भारत का तो धार्मिक नक्शा ही बदल गया होता। धर्म विशेष के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हमारे दल किस स्तर पर राजनीतिक चालबाजियां चलते। अभी तो कुछ अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी बिन लादेन के लिए जी संबधोन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। फिर वे अमेरिका द्वारा उसकी हत्या के बाद इंडिया गेट सरीखे अहम स्थान पर राष्ट्रीय स्मारक की जगह पर उसकी मजार बनाए जाने की मांग करते। अथवा कोई अति उत्साही सांसद अपने बंगले के चार दिवारी के अंदर उसकी मूर्ति स्थापित कर देता। जैसा कि कुछ बंगलो के अंदर सरकार की अनुमति के बिना ही संजय गांधी व कांशीराम की मूर्तियां स्थापित करके किया गया है।
हमारे कट्टर हिंदूवादियों क राम मंदिर की तरह वे भी मंदिर बनाने की मांग करते। अपने वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए हरकते करते तो दूसरी और हाफिज सईद ने किसी सरकारी बंगले के अंदर अपना दफ्तर खोला होता। वह आए दिन किसी-न-किसी खबरियां चौनल पर बैठा हुआ जहर उगल रहा होता। आतंकवादी कनाट प्लेस से लेकर पहाड़गंज तक हथियार लटकाए टहल रहे होते। हमारे ही एंकर नेता ने आतंकवादी भिंडरावाले को साधू कहा था।
जब हमारे विधायको के घर से एके-47 बरामद हो रही हो तो आतंकवादियो के पास से बारूद होने वाले हथियारो का आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। अफगानिस्तान सीमा से लेकर नेपाल सीमा तक आतंकवादी आसानी से टहलते मिलते। जैसे उन्होंने सेना के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो का कत्लेआम किया था उस जैसी घटनाएं आए दिन यहां होती। जरा कल्पना कीजिए कि वहां की सरकार को चलाने वाली सेना अगर पाक पर कब्जे के बाद हमारी सेना में मिल जाती तो हमारी सेना व सरकार का क्या होता? वे हमारी सेना को गंगा में गिरने वाले नालो के गंदे पानी की तरह प्रदूषित कर देते।
राजघाट के पास ही जिन्ना का मकबरा बनाए जाने की मांग की जाने लगती। जरा सोचिए कि हमारी अर्थव्यवस्था का क्या हाल होता? आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है। 100 रुपए किलो आूल, 200 रुपए किलो गोभी व 500 रुपए किलो दूध खरीद रहे होते। एक जम्मू कश्मीर का तो भार सहते सहते हमारी कमर व अर्थव्यवस्था टूटी जा रही है तो बेहाली का शिकार हो रहा पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर का बोझ भी हमें उठाना पड़ता तो हमारा क्या हाल होता।
विकास का सारा पैसा वहां चला जाता। बेहिसाब महंगाई के कारण देश की आर्थिक हालात खराब हो जाते। हां, खबरिया चौनलो को जरूर वहां के आतंकी प्रशिक्षण केंद्रो व आतंकियो पर स्टोरी करने के मौके मिल जाते। आज हम लोग जो कुछ है उसकी एक वजह हमारा व पाकिस्तान से अलग अलग हो जाना है। पाक अधिकृत कश्मीर को अपने नियंत्रण में लेना तो मानो हलवाई की दुकान के बाहर झूठे दोने चाट रही खजही कूतिया को घर लाकर पालने की कोशिश करना है या दीमक लगी लकड़ी से तैयार किया हुआ फर्नीचर घर लाने जैसा है।
मेरी समझ में नहीं आता कि गंगा जुमना जैसी महान नदियो का पानी पीने वाले हमारे हुक्मरान व पत्रकार ऐसी बेहूदी बातों पर विचार ही क्यों करते है? यह तो बिन लादेन को जीवित करने जैसा है। उन्हें इतना तो सोचना चाहिए कि अगर यह मिलन हो जाता तो पाक सेना उन्हें अपने प्रसारण से पहले सेना की अनुमति लेने के लिए बाध्य कर चुकी होती। हमारी सेना के मुंह में भी सत्ता के सुख का खून लग गया होता। दुनिया का हर देश भारतीय नागरिको को भी पाक के नागरिको की तरह ही शक व नफरत की नजरो से देखता।
पाकिस्तान तो आत्मघाती हो चुका है। उसकी हालत तो उस व्यक्ति की तरह है जिसे भगवान ने वर देते हुए कहा था कि तुम जो कुछ पाने की कल्पना करोगे उसका दुगुना तुम्हारे दुश्मन को मिलेगा। इसलिए वह खुद के काना होने व घर के सामने एक कुंआ होने की इच्छा जता रहा है। हम पास रहकर दूर रहे इससे अच्छा कि रहकर पास रहे।
(साई फीचर्स)