जानिए आखिर आत्मा से संबंधित कौन से रहस्य छिपे हुए हैं गरूड़ पुराण में . . .
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सनातन हिन्दू धर्म के अठारह महापुराणों में गरुड़ पुराण एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रँथ हैं जिसमें मृत्यु के बाद और जीवन के पहले की घटनाओं, प्रेत लोक, यमलोक, नरक इसके साथ चौरासी लाख योनियों के नरक जीवन के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। इस पुराण के अधिपति भगवान श्रीविष्णुजी हैं तो वही इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास जी हैं। इस पुराण में श्रीहरि विष्णु और उनके वाहन गरुड़ पक्षी के बीच हुए उस संवाद का वर्णन है, जिसमें गरूड़देव ने अपनी जिज्ञासाओं के संबंध में भगवान विष्णु से प्रश्न किए थे। मान्यता है कि गरुड़ पुराण का नाम भगवान विष्णु के इसी वाहन गरुड़ के कारण रखा गया है। गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन के रूप में जाने के अलावा यह कश्यप ऋषि के पुत्र भी कहलाते हैं। गरुड़ ने अपने भगवान श्रीहरि नारायण से मृत्यु के बाद होने वाली घटनाओं के रहस्यों को जानना चाहा जिसके फलस्वरूप भगवान विष्णु ने इसको विस्तार से बताया जिसमें पाप और पुण्य, जीवन और मृत्यु, नरक और पुनर्जन्म का वर्णन है।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
अब जानिए कि गरुड़ पुराण में कितने अध्याय हैं और यह कितने खंडों में बंटा हुआ है,
जानकार विद्वानों के अनुसार गरुड़ पुराण में 289 अध्याय है जो कि पूर्वखंड और उत्तराखंड अर्थात दो खण्डों में बंटा हुआ है। जिसके पूर्वखंड में 240 अध्याय है और इसमें जीव और जीवन के संबंध में बताया गया है तो वही उत्तराखंड में 49 अध्याय है जो मृत्यु के बाद जीव की गति और उसके कर्मकांड के संबंध में बताया गया है, इसके साथ ही गरुड़ पुराण में कुल 19 हज़ार श्लोक है।
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अब जानते हैं कि आखिर गरुड़ पुराण को कब और किस लिए पढ़ना चाहिए,
जानकार बताते हैं कि धर्मशास्त्र के अनुसार गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद ही पढ़ा जाता है अर्थात घर में किसी परिजन की मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाता हैं चुकी गरुड़ पुराण में मृत्यु के पहले और बाद कि स्थिति को विस्तार से बताया गया है और मान्यता है कि मृतक तेरह दिनों तक अपने प्रियजनों के बीच रहता है और जब उसे गरुड़ पुराण सुनाया जाता है तो उसे स्वर्ग, नरक, गति, सद्गति, अधोगति, दुर्गति आदि गतियों का ज्ञान हो जाता है इसके साथ ही आगे की यात्रा में उसे किन चीजों का सामना करना पड़ेगा और वह किस लोक का भ्रमण कर सकता है यह सब उसे गरुड़ पुराण सुनने से पता चल जाता हैं। कहा जाता है की जब मृत्यु के बाद घर में गरुड़ पुराण का पाठ होता है तो इस बहाने मृतक के परिवार वाले को यह पता चल जाता है कि पाप क्या है, और किस तरह के कर्मों से मोक्ष मिलता है क्योंकि गरुड़ पुराण हमें अच्छे कर्मों के लिए प्रेरित करता है और अच्छे कर्मों और ज्ञान से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
अब जानिए गरुड़ पुराण के रहस्य के बारे में,
गरुड़ पुराण के अनुसार जब एक आत्मा शरीर त्यागने के बाद भी भूख, प्यास, क्रोध, द्वेष, वासना आदि भाव से भरी रहती है या किसी की मृत्यु दुर्घटना हत्या आत्महत्या के वजह से होती है या फिर आत्मा शरीर को प्राकृतिक रूप से नहीं त्यागती है या नहीं छोड़ती है तो उस स्थिति में आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है धार्मिक मान्यता है कि गरुड़ पुराण में 84 लाख योनियों के बारे में बताया गया है जिनमें पशु, पक्षी, वृक्ष, मनुष्य, और कीड़े मकोड़े आदि शामिल है इन योनियों में जन्म केवल कर्मों के आधार पर मिलता है। गरुड़ पुराण में यह भी बतलाया गया है कि जब मृत्यु के बाद आत्मा को शांति नहीं मिलती है तो उस स्थिति में वह आत्मा प्रेत योनि में भटकती रहती है यही कारण है कि शास्त्रों में तर्पण और श्रद्धा के नियम को बताए गए हैं। ग्रँथों के अनुसार पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से ही उनकी आत्मा को शांति मिलती है और मृत्यु लोक से स्वर्ग लोक चले जाते हैं किंतु जिनकी आत्मा अधूरे कर्मों के कारण शांत नहीं होती है वह मृत्यु लोक में ही भटकने से लोगों को किसी ने किसी रूप में परेशान करती है जिनमें से कुछ आत्माओं की शक्ति बहुत अधिक होने से वह भूत प्रेत और राक्षस आदि के रूप में जाने जाती है लेकिन कुछ ऐसी आत्मा होती है जो बलवान नहीं होती यह शक्तियां भी व्यक्ति के द्वारा अपने जीवन में किए गए कर्मों पर ही निर्भर होती हैं।
आईए अब बताते हैं गरुड़ पुराण को पढ़ने के नियम के संबंध में,
सनातन धर्म के महत्वूपर्ण अठारह पुराणों में से गरुड़ पुराण एक अति विशिष्ट और रहस्यों से भरा हुआ महापुराण है जिसको पढ़ने से पहले कुछ सावधानियां जरूर अपनाए जाने चाहिए। गरुड़ पुराण में मृत्यु की बात की परिस्थितियों के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है गरुड़ पुराण मृत व्यक्ति को ही सुनाया जाता है, मृत्यु के दिन से लेकर तेरह दिन तक व्यक्ति अपनों के बीच ही रहता है इसलिए इन तेरह दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ करने का विधान है मान्यता है कि घर में तेरह दिन का गरुड़ पुराण का पाठ करने से मृत व्यक्ति को सद्गति की प्राप्ति के साथ ही धर्म और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है और सत्कर्मों की प्रवृत्ति होती है मृत्यु के बाद मुक्ति का द्वार खुलता है।
गरुड़ पुराण को घर में रखने के महत्व भी जान लीजिए,
जिस घर में गरुड़ पुराण की ग्रंथ रहती है उसे घर में किसी भी प्रकार का भूत प्रेत आदि का भय व डर नहीं होता है, इस पुराण को घर में रखने से कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का शमन होता है और साथ ही विभिन्न प्रकार के रोग दोष आदि से भी मुक्ति मिलता है। गरुड़ पुराण का पाठ किसी परिजन की मृत्यु के पहले या कभी भी पढ़ा जा सकता है अगर कोई इसे पढ़ने की इच्छा रखता हो तो जरूर पड़ सकता है पवित्रता और शुद्ध मन के साथ गरुड़ पुराण का पाठ किया जा सकता है इसके पाठ करने से मनुष्य को यह पता चलता है कि कौन सा रास्ता धर्म और कौन सा रास्ता धर्म का है।
हिंदू धर्म में श्राद्ध और तर्पण को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह प्रक्रिया पितरों अर्थात पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा से परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। पितर पक्ष के दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान बड़ी संख्या में किया जाता है।
श्राद्ध का उद्देश्य पितरों की आत्मा को तृप्ति प्रदान करना है। मान्यता है कि पितरों का आशीर्वाद न मिलने से रक्त संबंधित व्यक्ति और उसके परिवार में समस्या आ सकती हैं। ब्रम्ह पुराण और विष्णु पुराण सहित अन्य पुराणों के अनुसार, श्राद्ध और तर्पण के माध्यम से हम पितरों को जल, अन्न और अन्य सामग्री अर्पित करते हैं, जिससे उनकी आत्मा संतुष्ट होती है। विशेष रूप से पितर पक्ष जिसे सोलह श्राद्ध भी कहा जाता है, में यह प्रक्रिया की जाती है।
जानिए श्राद्ध और तर्पण क्यों जरूरी है?
जानकार विद्वान बताते हैं कि भारतीय पुराणों में तीन ऋणों का उल्लेख है जिसमें देव ऋण, मनुष्य ऋण और पितर ऋण शामिल है। देव पूजन जितना आवश्यक है, पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सभी 18 महापुराणों में श्राद्ध, तर्पण और पितरों के पूजन का विभिन्न रूपों में उल्लेख मिलता है।
हिंदू धर्म के मुताबिक, जब किसी के घर में किसी का निधन हो जाता है, तो 13 दिन तक गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कोई आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है। इसके अलावा भी गरुड़ पुराण की कथा में बहुत कुछ बताया गया है।
मनुष्य को देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव और श्रीहरि भगवान विष्णु का चितंन करना,
गरुड़ पुराण के मुताबिक, जो व्यक्ति कुएं, तालाब या पानी के स्रोत को नुकसान पहुंचाता है या उसे खराब करता है तो उसे नरक में जाना पड़ता है। इसलिए हमेशा ऐसी जगहों का आदर करना चाहिए, जहां से जल मिलता हो। इसके अलावा इस ग्रंथ में बताया गया है कि जो व्यक्ति जीवन में भगवान का नाम नहीं लेता और ना ही भगवान शिव और विष्णु का चिंतन करता है। ऐसे लोगों को भी नरक की प्रप्ति होती है।
जानिए कोई अगर घर से भूखा जाए तो क्या होता है?
जानकार विद्वान बताते हैं कि इस धार्मिक ग्रंथ के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति भूखा प्यासा थका हुआ आपके घर पर आता है और वहां से उसे अपमानित होकर लौटना पड़े तो अपमान करने वाले व्यक्ति को नरक की प्राप्ति होती है। इसके अलावा आत्महत्या का प्रयास करने वाला व्यक्ति, स्त्री हत्या करने वाला, गर्भ हत्या या फिर किसी के खिलाफ झूठी गवाही देने वाले को भी नरक में स्थान मिलता है।
इसमें पितरों और देवताओं के लिए क्या कहा गया है?
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने बच्चों, पत्नी, नौकरों और मेहमानों को बिना खाना खिलाए ही खाना खाता है या जो पितरों और देवताओं की पूजा को छोड़ देता है, उसे नरक जाना पड़ता है। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि जो अनाथ बच्चे का सम्मान नहीं करता या रोगी, वृद्धों की सेवा नहीं करता उन पर दया नहीं करता तो वे लोग भी नरक की प्राप्ति करते हैं।
जानिए लालची व्यक्ति का क्या होता है?
जिस व्यक्ति के मन में लालच हो या वह दूसरे की संपत्ति धन को हड़पने पर नजर रखता हो। इसके अलावा, जो व्यक्ति ब्राम्हण, साधुओं, धार्मिक ग्रंथों की निंदा करता है ऐसे लोग भी नरक में ही स्थान प्राप्त करते हैं।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)