नक्सली सैनिकों पर नहीं कर पाएंगे जानलेवा अटैक

 

 

 

 

यहां बन रहे विशेष वाहन

(ब्‍यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरंगरोधी वाहन की उपयोगिता बढ़ रही है। इसलिए सेना के साथ अलग-अलग राज्यों की पुलिस और अर्धसैनिक बल इसे सुरक्षा का बड़ा हथियार बना रहे हैं।

महाराष्ट्र पुलिस भी पहले से नक्सल प्रभावित इलाकों में इसका इस्तेमाल कर रही है। इसलिए करीब ढाई दर्जन वाहन वीकल फैक्ट्री (वीएफजे) से मांगे थे। उसे आठ वाहन मिल गए हैं। जल्द ही सेना के लिए भी डिस्पैच का काम शुरू होगा।

वीएफजे में सुरंगरोधी वाहन (एमपीवी) का उत्पादन लम्बे समय से हो रहा है। बीच में रॉ मटेरियल नहीं होने से उत्पादन ठप था। खासकर सेना के लिए बनाए गए मॉडल में मॉडिफिकेशन के कारण उत्पादन रफ्तार नहीं पकड़ पाया। अभी बड़ी संख्या में हल (ढांचा) बनाए गए हैं। अब उन्हें कम्पलीट वाहन की शक्ल देने का काम शुरू होना है। इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस को इसकी सप्लाई तेज की गई है। अगस्त और सितम्बर लगातार दो माह में करीब आठ वाहन भेजे गए हैं।

विस्फोट में भी सैनिक सुरक्षित

इस वाहन की खासियत यह है कि यदि नक्सली या आतंकी जमीन में 14 किलो तक बारूद बिछा दें और वाहन उस पर गुजर जाए, तब भी उसमें बैठे जवान सुरक्षित रहते हैं। वाहन में शक्तिशाली आर्मर्ड प्लेट के साथ ही बुलेटपू्रफ कांच लगा होता है। इसका ज्यादा इस्तेमाल गश्ती के लिए होता है। दुश्मन पर जवाबी हमले के लिए इस वाहन में फायरिंग के लिए भी जगह दी गई है।

तीन प्रकार के ग्राहक

इस वाहन का मूलत: उपयोग सेना करती है। वीएफजे के पास 250 से ज्यादा वाहनों का ऑर्डर केवल सेना की तरफ से मिला है। इसी प्रकार अर्धसैनिक बल जैसे बीएसएफ, सीआरपीएफ, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र पुलिस वाहन के ग्राहक हैं। लगभग हर साल इनकी मांग फैक्ट्री भेजी जाती है। लेकिन, इसमें उपयोग होने वाले मटेरियल कई बार आसानी से नहीं मिलता। इसलिए उत्पादन उतनी तीव्र गति से नहीं होता।

सुरंगरोधी वाहन का उत्पादन तेज कर रहे हैं। सेना के साथ राज्य पुलिस को इसकी सप्लाई की जानी है। हाल में महाराष्ट्र पुलिस को आठ वाहन सुपुर्द किए गए हैं।

एके राय,

जनसम्पर्क अधिकारी, वीएफजे

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