(ब्यूरो कार्यालय)
इंदौर (साई)। हाई कोर्ट ने परिवहन आयुक्त से कहा है कि वे शपथ पत्र पर बताएं कि सेवा सूत्र बसों के परमिट आवेदन अब तक लंबित क्यों हैं। आयुक्त को 16 मई से पहले पत्र प्रस्तुत करना है। कोर्ट ने यह पत्र इस संबंध में दायर जनहित याचिका में मांगा है।
ये याचिका रघुनंदनसिंह परमार ने एडवोकेट जीपी सिंह के माध्यम से दायर की है। इसमें कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों का शहरी इलाके से सीधे संपर्क बनाए रखने के लिए प्रदेश को 500 बसें आवंटित हुई थीं। इनमें से 260 बसें इंदौर को मिली हैं। इनमें से पौने दो सौ से ज्यादा तो सड़क पर दौड़ रही हैं लेकिन बाकी मैदान में खड़ी धूल खा रही हैं। परिवहन विभाग इनके लिए परमिट ही जारी नहीं कर रहा।
याचिका में परिवहन विभाग सचिव, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ग्वालियर, इंदौर कलेक्टर, डिविजनल कमिश्नर क्षेत्रिय ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी इंदौर, चेयरमैन अटल इंदौर ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड पक्षकार हैं। पिछली सुनवाई पर एआईसीटीएसएल की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि कुछ बसों के परमिट अब भी जारी होना बाकी हैं। एडवोकेट सिंह ने बताया कि मंगलवार को कोर्ट ने परिवहन आयुक्त से कहा है कि वे शपथ पत्र पर बताएं कि बसों के परमिट अब तक लंबित क्यों हैं। मामले में अब 16 मई को सुनवाई होगी।
नहीं आया याचिकाकर्ता का जवाब
याचिका में परिवहन विभाग पर निजी बस ऑपरेटरों को आर्थिक फायदा पहुंचाने का आरोप है। कहा है कि उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए ही परमिट जारी नहीं किए जा रहे। कई निजी बस ऑपरेटरों ने याचिका में इंटरविनर बनने के लिए आवेदन दिया था। याचिकाकर्ता को मंगलवार को इनका जवाब देना था लेकिन उसने समय ले लिया।
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