स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बुद्धिमान थे। उनका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था। उनके बचपन का नाम नरेंद्र था। जब भी वो किसी साथी से बात करते तो वह तल्लीनता से उनकी बातों को सुनते थे।
एक बार ऐसी ही स्थिति में शिक्षक कक्षा में आ गये और पढ़ाना आरंभ कर दिया। छात्रों को पता ही नहीं चला। शिक्षक ने कहा, सभी छात्र वहाँ एक जगह क्यों एकत्र हैं। शिक्षक वहाँ तुरंत पहुँचे और छात्रों से प्रश्न पूछने लगे।
उनके प्रश्नों का उत्तर कोई छात्र नहीं दे सका, लेकिन नरेंद्र ने उस प्रश्न का उत्तर तुरंत दे दिया। शिक्षक ने सभी छात्रों को खड़े रहने की सजा दी। लेकिन नरेंद्र ने कहा कि मैं इन सभी छात्रों से बात कर रहा था तो इनका ध्यान वहाँ नहीं था, लेकिन मैं सुन रहा था।
(साई फीचर्स)