(शरद खरे)
गर्मी का मौसम आ चुका है। यह गर्मी पूरे शवाब पर दिख रही है। इसके बाद भी पानी का संकट किसी से छुपा नहीं है। नब्बे के दशक के आरंभ में चालू करायी गयी भीमगढ़ जलावर्धन योजना से पानी की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है। इसकी पूरक जलावर्धन योजना भी अभी तक परवान नहीं चढ़ पायी है। इसके बाद भी सियासी नुमाईंदों का मौन समझ से परे ही है।
इस योजना में ठेकेदार या जिन अधिकारियों के द्वारा इस योजना में आधा अधूरा काम होने के बाद भी ठेकेदार को भुगतान किया गया है उन पर कार्यवाही की जाना चाहिये, पर पता नहीं क्यों पालिका में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में बैठी काँग्रेस के पार्षद इस मसले पर मौन क्यों साधे हुए हैं।
सिवनी शहर के नागरिक इस बात को भली भांति जानते हैं कि ठेकेदार के द्वारा नियमों को बलाए ताक पर रखकर इसका काम किया गया है। पालिका के तकनीकि विभाग के कर्मचारियों के द्वारा माप पुस्तिका में किस तरह सत्यापन कर इंद्राज किये गये हैं इस बात की जाँच भी की जाना चाहिये।
पालिका के चुने हुए प्रतिनिधि सिवनी शहर के ही निवासी हैं इस लिहाज से वे भी इस बात को भली भांति जानते होंगे कि नवीन जलावर्धन योजना का काम किस गुणवत्ता के हिसाब से किया गया है। बिना प्रयोगशाला ठेकेदार के द्वारा किस तरह काम को संपादित करवा दिया गया, यह भी शोध का ही विषय माना जायेगा।
हमेें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस योजना के ठेकेदार के द्वारा कमोबेश हर जन प्रतिनिधि को शीशे में उतार लिया गया है। अगर यह सच नहीं है तो काँग्रेस और भाजपा के संगठनों के अलावा पालिका के पार्षदों और अन्य पदाधिकारियों के मौन का क्या कारण हो सकता है!
शहर में रोज ही किसी न किसी वार्ड में पानी की किल्लत की खबरें आ रही हैं। गर्मी के मौसम में वैसे भी पानी की माँग बढ़ जाती है। अगर इस जलावर्धन योजना को समय से पूरा कर लिया जाता तो कम से कम तीन चार सालों से शहर के नागरिकों को गर्मी के समय पानी की किल्लत से नहीं जूझना पड़ता।
एक बात पर आश्चर्य ही होता है कि ऐन गर्मी के मौसम में इस योजना में परीक्षण के कार्य कराये जा रहे हैैं। इससे निश्चित तौर पर पानी की बर्बादी हो ही रही है। ठेकेदार या नगर पालिका से यह पूछा जाना चाहिये कि 2016 से 2018 तक बारिश के समय इस योजना में पानी की पाईप लाईन का परीक्षण क्यों नहीं कराया गया? निश्चित तौर पर बारिश में पानी की कमी नहीं रहती और इस योजना का सफल परीक्षण भी करा लिया गया होता।
इस मामले में जिले के चारों विधायकों सहित काँग्रेस, भाजपा के जिला और नगर संगठनों का मौन भी आश्चर्य से कम नहीं है। संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे ही इस मामले में स्व संज्ञान से उचित कार्यवाही करें ताकि लोगों को पेयजल संकट से निजात मिल सके।