(शरद खरे)
जिले में काँग्रेस और भाजपा को तो मानो नागरिकों की परवाह नहीं रह गयी है। करोड़ों रूपये बहाने के बाद भीमगढ़ जलावर्धन योजना और उसकी पूरक (नवीन) जलावर्धन योजना का लाभ शहर के निवासियों को नहीं मिल पा रहा है। जिला कलेक्टर के द्वार निरीक्षण दर निरीक्षण किया जा रहा है, निर्देश दिये जा रहे हैं फिर भी मामला ढाक के तीन पात ही प्रतीत हो रहा है।
इसी बीच नागरिक मोर्चा के द्वारा हाल ही में पेयजल के मामले मेें सुध ली गयी है। नागरिक मोर्चा द्वारा जारी की गयी विज्ञप्ति में शहर में हो रही दूषित और कीड़े युक्त पेयजल सप्लाई पर चिंता व्यक्त की जाकर जिला कलेक्टर से इसकी शिकायत की गयी है।
मामला कितना संगीन है यह समझा जा सकता है। यह मामला सीधे-सीधे नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। नागरिकों को साफ पानी मुहैया कराने की जवाबदेही नगर पालिका परिषद की होती है। इसके लिये पालिका प्रशासन के द्वारा जलावर्धन योजनाओं का संचालन किया जाता है, जिसमें लाखों रूपये हर साल फूंके जाकर ब्लीचिंग पाऊडर और फिटकरी की खरीदी की जाती है ताकि जल शोधन किया जाकर लोगों को प्रदाय किया जाये।
उमर दराज हो चुके लोग बताते हैं कि ब्रितानी हुकूमत के समय में जब अंग्रेज अफसर घोड़ों पर सवार होकर शहर का भ्रमण करते थे उस समय अगर किसी नागरिक के द्वारा पानी और प्रकाश की बात कही जाती थी तो अंग्रेज अफसर दो टूक शब्दों में कह देते थे कि पानी और लाईट की उपलब्धता सुनिश्चित करना सरकार की जवाबदारी नहीं है। यही कारण था कि उस दौर में मोहल्ले-मोहल्ले कुंए खोदे जाते थे। नगर पालिका के वर्तमान रवैये को देखकर एक बार फिर आज़ाद भारत में ब्रितानी हुकूमत की बात सही साबित होती दिख रही है।
बहरहाल, नागरिक मोर्चा की बात में दम नजर आ रहा है। कई सालों से शहर में प्रदाय होने वाले जल की गुणवत्ता को देखने वाला कोई नहीं है। कुछ साल पहले सिवनी के पानी में मानव के लिये खतरनाक ई कोलाई बेक्टीरिया भी निकला था। उसके बाद से शायद ही कभी पानी की जाँच की गयी हो या हुई भी हो तो इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो पायी है।
चिकित्सक बताते हैं कि अधिकतर बीमारियों का कारण पानी ही होता है। अशुद्ध पेयजल के कारण पेट के रोग होते हैं। अस्पतालों में पेट से संबंधित रोगों के मरीजों की तादाद देखकर इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय में किस गुणवत्ता का पानी प्रदाय किया जा रहा है।
एक बात समझ से परे ही है कि जलावर्धन योजना अपने निर्धारित समय से लगभग तीन साल विलंब से चल रही है, फिर भी लगभग आधा दर्जन बार इस योजना का निरीक्षण करने के बाद भी जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा न तो ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही की गयी है और न ही पालिका के जिम्मेदार अफसरान के खिलाफ! इसका कारण क्या हो सकता है!
इस मामले में जिले के चारों विधायकों की चुप्पी भी आश्चर्य से कम नही है। जिला मुख्यालय की जनता ने दिनेश राय को जनादेश देकर चुना है, उन्हें इस मामले में पहल करना चाहिये किन्तु वे भी इस मामले में मौन ही दिख रहे हैं। जिला कलेक्टर बार-बार निरीक्षण कर रहे हैं, फिर भी व्यवस्थाएं नहीं सुधर रहीं है इसका मतलब यही है कि . . .!
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