(शरद खरे)
सिवनी जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह चरमरा चुकी हैं। जिले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, जिला चिकित्सालय, मलेरिया, क्षय नियंत्रण सहित कमोबेश सभी प्रभागों में शीर्ष अधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। जिला मुख्यालय सहित जिले भर में मरीज त्राहिमाम-त्राहिमाम करते नजर आ रहे हैं, पर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को इससे ज्यादा लेना-देना प्रतीत नहीं हो रहा है।
शासन के नियम कायदों को अधिकारियों ने मानो बिसार ही दिया गया है। जिले भर में चारों ओर अंधेरगर्दी का आलम है। सफाई और सुरक्षा के नाम पर लाखों करोड़ों फूंके जा रहे हैं पर नतीजा सिफर ही सामने आ रहा है। जननी एक्सप्रेस वाहनों एवं वाहन, किराये पर लेने के नाम पर नियम कायदों को ताक पर रखकर लाखों-करोड़ों रूपये फूंक दिये गये हैैं।
जिला चिकित्सालय की लीला तो अपरंपार ही है। जिला चिकित्सालय में मरीज कराह रहे हैं। गर्मी हो तो कूलर चालू नहीं, सर्दी हो तो हीटर गायब, बारिश में भी मरीज और उनके परिजन बुरी तरह हैरान परेशान ही रहते हैं। जिला चिकित्सालय में पेयजल के लिये मरीजों के परिजनों को भटकते देखा जा सकता है।
जिले में स्वास्थ्य विभाग के भण्डार गृहों (स्टोर्स) में दवाओं के घोटाले की आहट जब चाहे तब सुनायी दे जाती है। मरीजों को दवाएं नहीं मिल पाती हैं। इसके साथ ही जो दवाएं अस्पताल से वितरित हो भी रहीं हैं वे मरीजों को फायदा शायद ही पहुँचा रहीं हों। इतना ही नहीं खरीदी गयी दवाओं के प्रयोगशाला में परीक्षण के लिये भेजने और नतीजा आने के पहले ही इन्हें बाँटने के भी उदाहरण सामने आ चुके हैं।
जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों के द्वारा अपने निवास के अलावा अन्यत्र निजि चिकित्सा नहीं करने के लिये बकायदा शपथ पत्र दिया गया है। इसके बाद भी व्यवसायिक कॉम्प्लेक्सेज और निजि अस्पतालों में चिकित्सक बकायदा सशुल्क चिकित्सा सेवाएं देते नजर आ जाते हैं।
जिले में निजि अस्पतालों में रोज ही शल्य क्रियाओं को अंजाम दिया जा रहा है। इन चिकित्सालयों में निश्चेतना किन चिकित्सक के द्वारा दी जा रही है, यह बात भी शोध का ही विषय है। जिला अस्पताल में रात में शल्य क्रियाएं नहीं हो रही हैं। अस्पताल में मरीजों का इलाज होना चाहिये पर लगता है यह अस्पताल चिकित्सकों के वर्चस्व का अखाड़ा बनकर रह गया है।
जिले में अन्य प्रदेशों से चिकित्सक आकर न केवल मरीजों की जेब तराशी कर रहे हैं वरन, उनके द्वारा हेण्डबिल्स आदि के जरिये मरीजों को आकर्षित भी कराया जा रहा है। नियमानुसार अन्य प्रदेशों के चिकित्सकों को सिवनी में मरीजों के परीक्षण के पहले मध्य प्रदेश शासन में अपना पंजीयन (अस्थायी अथवा स्थायी) कराने की आवश्यकता है। यह सब कुछ देखने का काम मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन, विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी कार्यालयों का है पर सभी ने मौन ही साधे रखा है, जिससे अंततोगत्वा मरण गरीब गुरबों की ही हो रही है।
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