धूल खाते करोड़ों के भवन!

 

 

(शरद खरे)

सिवनी जिले के अधिकारियों, सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों को पता नहीं क्या हो गया है? जिले में सब कुछ सामान्य नहीं है, फिर भी सभी आनंद का अनुभव कर रहे हैं। सत्ताधारी दल हो या विपक्ष, किसी को भी स्थानीय मामलों से ज्यादा सरोकार ही नहीं दिख रहा है।

जिले में करोड़ों-अरबों की लागत से बनाये गये सरकारी भवन सालों से धूल खा रहे हैं पर इनकी ओर देखने की फुर्सत आज तक किसी के द्वारा भी नहीं उठायी गयी है। जनता हैरान है कि सांसद, विधायक और अन्य अधिकारी इस ज्वलंत मामले से आँखें कैसे चुरा सकते हैं!

जिला चिकित्सालय में ट्रामा केयर यूनिट का भवन सालों से बनकर तैयार है। यह भवन उपयोग के अभाव में जर्जर होता जा रहा है। जिले में लगभग रोज ही एक न एक दुर्घटना होती है और घायल को लेकर सीधे जिला चिकित्सालय पहुँचाया जाता है। इसके बाद अगर मरीज जरा सा भी गंभीर पाया जाता है तो बिना देर किये उसे उसकी आर्थिक स्थिति के मद्देनजर जबलपुर या नागपुर रेफर कर दिया जाता है।

इसके अलावा जिला मुख्यालय में ही पॉलीटेक्निक कॉलेज का कन्या छात्रावास भी चार सालों से बनकर धूल ही खा रहा है। यह विशालकाय भवन अब तक किसी के उपयोग में नहीं आ सका है। यह भवन जहाँ बना है वहाँ होने वाले निजि या सरकारी कार्यक्रमों में सांसद सदस्य और विधायक शिरकत करते हैं। जिले के आला अधिकारी भी इस मैदान के समारोहों में भाग लेते हैं पर किसी का ध्यान इस ओर न जाना अपने आप में आश्चर्य से कम नहीं है।

कृषि उपज मण्डी बोर्ड के द्वारा कृषि अनुसंधान विकास निधि से किसानों के लिये मिट्टी के परीक्षण हेतु छपारा में बनायी गयी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भी ताला ही झूल रहा है। 36 लाख रुपये की लागत से बनवायी गयी इस प्रयोग शाला का लाभ क्षेत्रीय किसान नहीं ले पा रहे हैं। इसके अलावा मछली बाजार का भवन भी आरंभ होने के पहले ही जर्जर होता जा रहा है।

इस तरह के अनेक उदाहरण जिले में हैं जिसमें अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कथित उदासीनता सामने आती दिखती है। पता नहीं अधिकारी और चुने हुए प्रतिनिधियों के द्वारा इस मामले में दिलचस्पी क्यों नहीं ली जाती है। जिले के पास दो सांसद और चार चार विधायक होने के बाद भी इस तरह की परिस्थितियां निर्मित होना अपने आप में आश्चर्य से कम नहीं माना जा सकता है।

देखा जाये तो अगर इन भवनों का उपयोग सालों साल नहीं करना था तो इन्हें बनाये जाने का क्या औचित्य था? इन भवनों का निर्माण भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में कराया गया है। ये भवन आरंभ होने के पहले ही जर्जर अवस्था को प्राप्त होते जा रहे हैं। इनका निर्माण जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से संचित राजस्व से किया गया है, जाहिर है इस बारे में शासन प्रशासन को जनता को बताना ही होगा कि आखिर क्या वजह है कि ये भवन सालों से रिक्त ही पड़े हुए हैं!

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