धूल से सराबोर है शहर

 

 

(शरद खरे)

भगवान शिव की नगरी सिवनी में जर्ज़र सड़कें न केवल दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रही हैं, वरन् चहुँओर उड़ती धूल, गंभीर नेत्र विकारों को भी जन्म दे रही हैं। गर्मी के दिनों में कई मरीजों के लिये यह धूल जानलेवा साबित हो सकती है। वर्चस्व, अहम, भ्रष्टाचार, बंदरबांट की भेंट चढ़ चुकी सिवनी की सड़कों से उड़ती धूल गंभीर नेत्र विकारों के लिये उपजाऊ माहौल तैयार कर रही हैं। गौरतलब है कि विशालकाय जिला चिकित्सालय के नेत्र विभाग में सदा ही सन्नाटा पसरा रहता है।

शहर के मुख्य मार्ग ज्यारत नाके से नागपुर नाके तक के रख रखाव न हो पाने से यहाँ चौबीसों घण्टे जबर्दस्त धूल उड़ती रहती है। शहर में धूल का स्तर खतरनाक सीमा को पार कर चुका है। सड़कों पर उड़ती धूल से लोगों के फेंफड़े छलनी हुए बिना नहीं हैं। लगातार धूल में आने जाने या इन मार्गों के दुकानदारों के चौबीसों घण्टे धूल के संपर्क में रहने से उनकी आँखों में अजीब सा संक्रमण देखने को मिले तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये। जानकारों का कहना है कि लगातार धूल के संपर्क में रहने से आँखों की नमी सूखने लगती है और अजीब सी जलन का अहसास होने लगता है।

चिकित्सकों के अनुसार लगातार धूल के संपर्क में रहने से आँखों में सूखापन, पलकों के इर्द गिर्द खुजली, आँखों का लाल होना, सुबह सोकर उठते समय आँखों का गड़ना, आँखों में कंकड़ जैसा लगना, आँख में पानी आना जैसे लक्षण पाये जाने पर तत्काल ही नेत्र चिकित्सक की सलाह ली जानी चाहिये। वैसे भी सर्दी के मौसम में अस्थमा और नेत्र विकार से ज्यादा सावधानी बरतने की हिदायत दी जाती है। सिवनी में नेत्र विभाग के हालात देखकर मरीजों को निजि चिकित्सकों के पास जाकर जेब ढीली करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

शहर में कमोबेश हर गली मोहल्ले में धूल का यही आलम है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वार्ड में सड़क किनारे की नालियों से कचरा निकालकर उसे सड़क किनारे ही रख दिया जाता है जिसे आवारा सूअर और कुत्ते पुनः फैला देते हैं। इससे इस कचरे में धूल के कण सड़क पर ही फैल जाते हैं। यह कचरा पुनः नालियों में चला जाता है पर धूल सूखकर, उड़कर सड़कों पर आ जाती है।

जरा सी भी हवा चलने पर सड़कों पर धूल के गुबार देखते ही बनते हैं। धूल के ये कण आवागमन को भी बुरी तरह बाधित करते नजर आते हैं। पता नहीं क्यों नगर के लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये पाबंद सिवनी की नगर पालिका परिषद का ध्यान लोगों की जरूरतों की ओर क्यों नहीं है।

पालिका में जो बयार लगभग एक दशक से चल रही थी, वह आज भी जारी दिख रही है। नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं से ध्यान हटाकर पालिका के अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा खरीदी और निर्माण कार्यों की ओर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया हुआ है। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि नगर पालिका को इसके लिये पाबंद किया जाये कि वह निर्माण कार्य और खरीदी से इतर नागरिकों को बुनियादी सुविधायें भी मुहैया कराये।

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