(शरद खरे)
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पता नहीं क्या हो गया है! जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं पटरी से पूरी तरह उतर चुकी हैं। लगभग दो दशक पहले जिस तरह पुराने आदेश को नया बनाकर साईकिलोस्टाईल (एक कागज की कई प्रतियां निकालने के लिये पहले इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक) के मानिंद ही कागजों पर ही दिशा निर्देश जारी किये जा रहे हैं।
हाल ही में प्रियदर्शनी जिला अस्पताल को मच्छरों से मुक्त कराने के लिये अस्पताल के कॉरीडोर में मोटर साईकिल पर फॉगिंग मशीन रखकर जहरीला धुंआ किये जाने की घटना अपने आप में अजूबी मानी जा सकती है। अजूबी इसलिये क्योंकि अस्पताल में बीमार लोग उपचार कराने आते हैं।
जिला अस्पताल की सफाई और सुरक्षा को आऊटसोर्स किया गया है। दोनों ही कामों के लिये पृथक-पृथक कंपनियों को ठेका दिया गया है। अव्वल तो अस्पताल के कॉरीडोर में मोटर साईकिल के प्रवेश की अनुमति आखिर किसने दी! मोटर साईकिल उस समय घूमी जब अस्पताल में आगंतुकों के प्रवेश का समय नहीं था। जाहिर है अस्पताल में प्रवेश के द्वार बंद होंगे और अस्पताल में सिर्फ पास धारकों को ही प्रवेश दिया जा रहा होगा, फिर मोटर साईकिल और फॉगिंग मशीन को किसने अंदर जाने की अनुमति दी!
जिला अस्पताल प्रशासन का दावा सदा से रहा है कि अस्पताल को सीसीटीवी की जद में रखा गया है। अगर यह दावा सही है तो जब फॉगिंग मशीन अस्पताल के अंदर प्रवेश कर रही थी उस समय प्रवेश द्वार पर किसकी ड्यूटी थी यह देखा जाये और उसके एवं आऊटसोर्स कंपनी के खिलाफ अनुशासनात्मक या दण्डात्मक कार्यवाही की जाना चाहिये।
फॉगिंग मशीन में जहरीले केमिकल डालकर धुंआ किया जाता है ताकि मच्छरों का शमन हो सके। अस्पताल में दमे और हृदय रोग सहित अनेक रोगों से पीड़ित रोगी रहे होंगे। इस जहरीले धुंए से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा ही होगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
देखा जाये तो अस्पताल परिसर में व्याप्त गंदगी के चलते मच्छरों के प्रजनन के लिये उपजाऊ माहौल तैयार होता है। अस्पताल परिसर में ही जिला मलेरिया अधिकारी का कार्यालय है। यहीं टांका भी बनाया गया है जिसमें मच्छरों के लार्वा का भक्षण करने वाली गंबूशिया मछली को पाला जाता है। सब कुछ हो रहा होगा पर कागजों पर ही!
यह लापरवाही क्षम्य तो कहीं से भी नहीं मानी जा सकती है। आश्चर्य तो इस बात पर है कि फॉगिंग मशीन के इस तरह से घूमने के सात दिनों बाद भी अस्पताल प्रशासन या मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा किसी तरह का पत्राचार भी आरंभ नहीं कराया गया है।
संवदेनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह की प्राथमिकता में लगभग पाँच माहों से जिला अस्पताल दिख रहा है। इस लिहाज से उन्हीं से अपेक्षा व्यक्त की जा सकती है कि वे ही इस मामले में अस्पताल प्रशासन को पाबंद करें कि इस घटना की जाँच करवायी जाकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये।
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