(शरद खरे)
सनातन धर्म में त्यौहारों की लंबी श्रंखला है। एक के बाद एक त्यौहार आता है, और घर परिवार में खुशियां भर जाती हैं। लोकसभा चुनाव के चलते नेताओं की होली पर प्रशासन की कड़ी नजर रहने की उम्मीद जतायी जा रही है। इसके पहले विधान सभा चुनावों के दौरान दीपावली में नेताओं का आनंद किरकिरा हो चुका है।
सिवनी जिले के नेता, होली के रंग में अपनी राजनीति नहीं चमका सकेंगे। यदि किसी मंच से किसी प्रत्याशी के नाम का ऐलान भी होता है तो उसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जायेगा। यह कार्यक्रम प्रत्याशी के खाते में दर्ज होगा और उसका खर्च उस प्रत्याशी के नाम पर डाला जायेगा।
इसके लिये चुनाव आयोग ने दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं। आयोग ने अपने आदेशों में साफ कहा है कि कोई भी प्रत्याशी धार्मिक स्थलों का प्रयोग चुनाव प्रचार के लिये नहीं कर सकता। यद्यपि इस तरह के निर्देश सिवनी में मीडिया में स्पष्ट रूप से नहीं आ पाये हैं, अतः इस पर संशय बरकरार है।
वहीं, कहा जा रहा है कि इसके अतिरिक्त धर्म के आधार पर यदि कोई अपील की जाती है तो उसे भी आचार संहिता का उल्लंघन माना जायेगा। केवल प्रत्याशी व्यक्तिगत तौर पर ही इन कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकता है। इसके अतिरिक्त यदि किसी भी कार्यक्रम के दौरान साड़ी, डायरी, कैलेण्डर, स्टीकर या अन्य कोई सामग्री बांटी जाती है तो उसे रिश्वत देना माना जायेगा और आयोग के सख्त नियमों के तहत कार्यवाही की जायेगी। इसे आईपीसी की धारा 171 बी के तहत अपराध माना गया है।
होली पर प्रशासन विशेषकर निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों और पुलिस को सतर्क रहने की आवश्यकता है। सिवनी में मतदान 29 अपै्रल को होना है। परिसीमन के उपरांत सिवनी लोकसभा का विलोपन हो गया है। बरघाट और सिवनी विधानसभा को बालाघाट में तो केवलारी और लखनादौन को मण्डला लोकसभा का हिस्सा बना दिया गया है। इन दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों में काँग्रेस एवं भाजपा की ओर से अभी तक प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं हो पायी है।
इस लिहाज से निर्वाचन से जुड़े सरकारी महकमों को नेताओं की होली पर बारीक नजर रखने की महती जरूरत महसूस होने लगी है। इसके लिये प्रशासन ने विशेष दलों का गठन भी कर लिया होगा। हो सकता है कि ये सरकारी दल, सियासी नेताओं की हरकतों को कैमरे में भी कैद करेंगे।
वहीं, सिवनी को संवेदनशील जिले की फेहरिस्त में रखा गया है। कुछ साल पहले होली के आसपास ही शहर की फिजां में जहर घोलने का प्रयास भी किया गया था। इस लिहाज से पुलिस को भी चौकस रहने की जरूरत है। वैसे शहर में अतिरिक्त पुलिस बल देखकर लग रहा है कि पुलिस और प्रशासन ने पर्याप्त व्यवस्थाएं मुकम्मल कर रखी हैं। नागरिकों से भी अपेक्षा की जाती है कि होली जैसे त्यौहार पर सभी, शांति, आपसी भाईचारे एवं प्रेम व्यवहार के साथ इस त्यौहार का आनंद लेकर पानी की फिजूलखर्ची को अवश्य ही रोकें।