कैसे रूके पॉलीथिन का उपयोग!

 

 

(शरद खरे)

हर साल पर्यावरण दिवस पर पॉलीथिन का उपयोग न करने की हिदायतों की रस्म अदायगी के साथ ही जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों के द्वारा अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है। सब जानते हैं कि निर्धारित माईक्रोन से कम वाली पॉलीथिन का उपयोग कितना घातक है, पर इसके बाद भी किसी के द्वारा इसका उपयोग प्रतिबंधित करने के लिये कड़ाई से पालन नहीं किया जाना आश्चर्य का ही विषय माना जायेगा।

सिवनी शहर में पॉलीथिन का उपयोग न हो इसके लिये नगर पालिका प्रशासन को पहल करना चाहिये। नगर पालिका के द्वारा रोज ही सैकड़ों क्विंटल कचरा उठाया जाता है, इसमें पॉलीथिन कितनी मात्रा में होती है यह बात किसी से छुपी नहीं है। आखिर क्या कारण है कि जानते बूझते हुए नगर पालिका के द्वारा पॉलीथिन को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की दिशा में पहल नहीं की जा रही है।

एक समय था जब दो पहिया वाहनों में साईकिल ही ज्यादा हुआ करती थीं। उस दौर में साईकिल की सीट के नीचे कपड़े की एक थैली फंसी दिख जाती थी, वह इसलिये कि अगर बाज़ार से कोई सामान लाना याद आ जाये तो उसमें रखकर ले जाया जा सकता था।

समय बदला और कपड़े की थैलियां इतिहास में शामिल हो गयीं। आज किराना हो या सब्जी या कुछ और, प्रत्येक स्थान पर पॉलीथिन की महीन पन्नियां आसानी से मिल जाती हैं। इनका उपयोग करने के बाद लोग इन्हें कचरे में डाल देते हैं। जब भी तेज हवाएं चलती हैं तो शहर में पॉलीथिन उड़ती साफ दिख जाती है। यहाँ तक कि सियासी दलों के नुमाईंदों के प्रतिष्ठानों में भी अमानक पॉलीथिन की थैलियां बहुतायत में मिल जायेंगी, जिसमें सामग्री प्रदाय की जाती है।

नगर पालिका के द्वारा जिस स्थान पर कचरा फेंका जाता है उसके आसपास पेड़ों पर झूलती हवा में फड़फड़ाती पॉलीथिन की थैलियां इस बात की चुगली करती दिखती हैं कि नगर पालिका परिषद के द्वारा पॉलीथिन की पन्नियों के उपयोग को हतोत्साहित करने का काम ईमानदारी से नहीं किया जा रहा है।

लंबे समय से प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के द्वारा भी जिले में अमानक पॉलीथिन की औचक जाँच की रस्म अदायगी नहीं की गयी है। नगर पालिका को मानो इसकी फुर्सत ही नहीं है। गैर राजनैतिक संगठनों के द्वारा भी इस मामले में मौन ही साधे रखा गया है।

पर्यावरण और मानव के लिये पॉलीथिन कितनी घातक है इस बात को सभी जानते हैं पर आसानी से मुहैया पॉलीथिन की पन्नियों का उपयोग सभी करते दिखते हैं। संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के इस धीमे जहर को रोकने की दिशा में वे ही कुछ मार्ग प्रशस्त करें।

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