अनुकरणीय रहा निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर

 

 

(शरद खरे)

वर्तमान समय में लोगों के लिये दो खर्चे ही सबसे बड़े उभरकर सामने आ रहे हैं। इसमें से पहला है स्वास्थ्य से संबंधित। आप संयमित रहें तो भी बीमार होने से नहीं बच सकते, कभी मौसम की करवट तो कभी किसी अन्य कारण से व्याधियां आपको घेर लेती हैं। ऐसे में सरकारी स्तर पर चल रहे अस्पतालों की दशा किसी से छुपी नहीं है। कहने को सरकारी स्तर पर सब कुछ निःशुल्क है पर कभी रोगी कल्याण समिति तो कभी रेडक्रॉस की पर्ची कटाने की बाध्यता मरीजों के साथ दिखायी देती है।

अस्पताल में निःशुल्क मिलने वाली दवाईयां कितनी असरकारक हैं यह बात भी आईने की तरह ही साफ है। जिम्मेदार लोगों के मौन के चलते सारी व्यवस्थाएं रिश्वत की भेंट चढ़कर सड़ांध मारने लगी हैं। अस्पतालों में चिकित्सकों का टोटा है, चिकित्सक हैं भी तो वे अपनी सेवाएं अस्पताल की बजाय निजि क्लीनिक्स में दे रहे हैं।

इन परिस्थितियों में बीमार पड़ने पर लोग निजि चिकित्सकों के पास जाने पर मजबूर हो जाते हैं। निजि चिकित्सकों की महंगी फीस और उसके बाद निजि स्तर पर महंगी जाँचों से उसकी कमर टूट जाती है। रही सही कसर महंगी दवाओं के जरिये निकल जाती है। कहने को केंद्र और प्रदेश सरकारों के द्वारा जेनेरिक दवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है किन्तु चिकित्सकों के द्वारा जेनेरिक दवाओं की बजाय ब्रांडेड दवाएं ही लिखी जाती हैं।

इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा खर्चा जो सामने आता है वह है बच्चों की पढ़ायी का। सरकारी शालाओं का स्तर भले ही कितना भी सुधरने का दावा सरकारों के द्वारा किया जाये पर सरकारी शालाओं में आज भी निजि शालाओं से बेहतर पढ़ायी शायद नहीं हो पा रही है।

सीबीएसई बोर्ड के मामले में जिले में केंद्रीय विद्यालय के अलावा दूसरा कोई स्कूल नहीं है जहाँ केंद्रीय शिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम लागू हो। केंद्रीय विद्यालय में सीमित सीट्स के कारण वहाँ दाखिला कराना बहुत ही टेड़ी खीर ही साबित होता है। इन परिस्थितियों में पालकों को निजि शालाओं में महंगी फीस, गणवेश, पाठ्य पुस्तकों को खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है।

हाल ही में गोपाल साव पूरन साव परमार्थिक ट्रस्ट के द्वारा निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में नागपुर के चिकित्सकों के अलावा शहर के अनेक नामी गिरामी चिकित्सकों ने अपना समय दिया। इस शिविर की विशेषता यह रही कि इस शिविर में स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत सभी प्रकार की जाँच भी निःशुल्क की गयीं और दवाएं भी निःशुल्क ही वितरित की गयीं।

इस शिविर में एक ही दिन में 1200 से ज्यादा मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड से कम नहीं है। इस शिविर के आयोजक निश्चित तौर पर बधाई के पात्र हैं। एक समय था जब लॉयंस और रोटरी क्लब्स के द्वारा इस तरह के शिविरों का आयोजन किया जाता था। सालों से इस तरह के शिविर लगने की परंपरा मानो समाप्त ही हो गयी है।

सिवनी में आये दिन नागपुर के चिकित्सकों के द्वारा यहाँ आकर सशुल्क परीक्षण की बात सामने आती है। यह निश्चित तौर पर क्लीनिकल एस्टबलिशमेंट एक्ट का खुला उल्लंघन है। जिला प्रशासन को चाहिये कि बाहर से आने वाले चिकित्सकों को कम से कम एक घण्टे जिला अस्पताल में निःशुल्क सेवाएं देने के लिये पाबंद किया जाये ताकि गरीब गुरबों को इसका लाभ मिल सके।