कराहता उपेक्षित अविकसित घंसौर

 

 

(शरद खरे)

सालों से उपेक्षित रहे आदिवासी बाहुलय घंसौर क्षेत्र का विकास अब सुनिश्चित माना जा सकता है। प्रदेश में कबीना मंत्री, प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष के साथ ही साथ राज्यपाल रहीं स्व.श्रीमति उर्मिला सिंह घंसौर क्षेत्र से विधायक रहीं हैं। अब इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व उनके पुत्र योगेंद्र सिंह कर रहे हैं।

घंसौर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि जिला मुख्यालय से घंसौर पहुँचने के लिये लखनादौन, कान्हीवाड़ा या केवलारी मार्ग से होकर गुजरना पड़ता है। सत्तर-अस्सी के दशक में सरकारी नुमाईंदों की पदस्थापना घंसौर होने पर वे इसे कालापानी में हुई पदस्थापना माना करते थे।

घंसौर क्षेत्र में भोले-भाले आदिवासी बहुतायत में रहते हैं। क्षेत्र में कुछ लोगों के द्वारा इन्हें बहला-फुसला कर इनका शोषण किया जाता रहा है. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। क्षेत्र में विकास की किरणें प्रस्फुटित नहीं हो पायी हैं, यह कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

क्षेत्र में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पॉवर लिमिटेड के द्वारा 1260 मेगावाट का कोल आधारित पॉवर प्लांट इस क्षेत्र में लगाया जा रहा है। शासन और संयंत्र प्रबंधन के बीच हुए करार के अनुसार इस संयंत्र में बिजली का उत्पादन 2013 से आरंभ हो जाना चाहिये था।

इस संयंत्र के घंसौर में संस्थापित होने का लाभ भी क्षेत्रीय लोगों को नहीं मिल पाना सबसे बड़ी विडंबना ही माना जा सकता है। स्थानीय क्षेत्र, विकास के तहत संयंत्र की संस्थापना की कुल लागत का पाँच प्रतिशत खर्च किया जाना चाहिये था। बताते हैं कि सब कुछ महज कागजों पर ही हुआ है।

संयंत्र में मशीनरी लाने एवं कोल आपूर्ति के लिये भारी वाहनों ने क्षेत्र की सड़कों के धुर्रे उड़ा दिये गये। इसके बाद जिला प्रशासन के द्वारा लगभग पाँच साल पहले संयंत्र प्रबंधन को सड़कों को दुरूस्त करने के लिये निर्देश दिये गये। विडंबना ही कही जायेगी कि संयंत्र प्रबंधन ने जिला प्रशासन के निर्देशों को भी दरकिनार कर सड़कों की बर्बादी का सिलसिला जारी ही रखा।

इतना ही नहीं जब ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँचा और ग्रामीणों ने कोयले के वाहनों की आवाजाही रोक दी तब संयंत्र प्रबंधन ने दबंगाई दिखाते हुए सरकारी और किसानों की जमीन पर ही कोयले का भण्डारण करना आरंभ कर दिया। प्रशासन भी संयंत्र प्रबंधन के सामने बौना ही नजर आया।

इस संयंत्र का एक भी कार्यालय जिला मुख्यालय में नहीं होना, अपने आप में आश्चर्य से कम नहीं माना जायेगा। संयंत्र में कितने स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया है, यह बात भी शोध का ही विषय है। पता नहीं भाजपा शासित राज्य सरकार भी किस दबाव में संयंत्र के खिलाफ कठोर कदम उठाने से हिचकती रही।

बहरहाल, उपेक्षा का दंश झेल रही कहानीपास (घंसौर) तहसील के लिये यह बात खुशखबरी से कम नहीं है कि घंसौर में ब्रॉडगेज़ की आमद हो गयी है। नैनपुर तक अमान परिवर्तन का काम लगभग पूरा ही है। जल्द ही बालाघाट से नैनपुर के बीच भी काम पूरा हो जायेगा। इसके बाद रायपुर की ओर से आने वाली सवारी और माल गाड़ियां जो अभी नागपुर इटारसी होकर जबलपुर जाती हैं वे घंसौर होकर जबलपुर जायें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।

रेल विभाग के आला अधिकारियों का यह कहना है कि जैसे ही जबलपुर से घंसौर, नैनपुर, बालाघाट होकर गोंदिया का रेल मार्ग ब्रॉडगेज़ हो जायेगा तो अनेक सवारी गाड़ियां जो रायपुर से गोंदिया नागपुर होकर भोपाल, दिल्ली या जबलपुर की ओर जाती हैं उन्हें इस रूट पर डायवर्ट किये जाने से रेल्वे का समय, नागपुर इटारसी मार्ग पर यातायात का दबाव और ईंधन की बचत होगी। अधिकारियों ने यह भी कहा था कि हो सकता है नई दिल्ली से बिलासपुर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस को भी इसी मार्ग से होकर गुजारा जाये।

अभी शुरूआत है, आने वाले सालों में और बेहतर परिणाम सिवनी जिले विशेषकर घंसौर के निवासियों को देखने को मिल सकते हैं। जाहिर है ब्रॉडगेज़ आने के बाद घंसौर में व्यापार तेजी से बढ़ेगा। अभी सड़क मार्ग से माल ढुलाई में आने वाली परेशानियों से लोगों को निजात तो मिलेगी, साथ ही सस्ती दरों पर रेल द्वारा लोग अपना सामान बुलवा सकेंगे।

घंसौर क्षेत्र में झाबुआ पॉवर प्लांट किसी सौगात से कम नहीं है, किन्तु नेता नुमा ठेकेदारों ने संयंत्र प्रबंधन के साथ सांठगांठ कर स्थानीय निवासियों को जमकर भरमाया है। झाबुआ पॉवर संयंत्र प्रबंधन और इन नेतानुमा ठेकेदारों के बीच की सांठगांठ पहले तो किसी को पता नहीं चल पायी पर अब घंसौर क्षेत्र के लोग इस बात से भली भांति वाकिफ हो चुके हैं कि यहाँ के निवासियों को संयंत्र में नौकरी आदि मिलने में बीच के रोड़े कौन-कौन थे!

बहरहाल, देश भर में जिन छोटे शहरों से होकर ब्रॉडगेज़ गुजरती है उनका विकास तेजी से होता आया है, इस बात का इतिहास साक्षी है। घंसौर में भी आने वाले दिनों में विकास की किरणें प्रस्फुटित अवश्य होंगी, ऐसी उम्मीद अगर की जाये तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिले में ब्रॉडगेज़ की आमद से लोगों का दिल निश्चित तौर पर गदगद होगा। लोग उम्मीद लगा रहे होंगे कि घंसौर के साथ ही साथ जिला मुख्यालय सिवनी में भी जल्द ही ब्रॉडगेज़ की ध्वनि सुनायी दे। इसके लिये जिले के दोनों सांसदों के प्रयास अब तक तो नाकाफी ही रहे हैं, पर आने वाले समय में चुने गये सांसदों से इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि . . .!

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