सरकार के नौ माह . . .

 

 

(लिमटी खरे)

भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में डेढ़ दशक तक काबिज रही। इसके बाद 2018 में काँग्रेस ने पूरा जोर लगाया और सत्ता में वापसी के मार्ग प्रशस्त किये। प्रदेश काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल नाथ के द्वारा बनायी गयी रणनीति के चलते काँग्रेस का लंबा वनवास समाप्त हुआ और प्रदेश में काँग्रेस की सरकार काबिज हुई।

इन नौ माहों में मुख्यमंत्री कमल नाथ की सुलझी और दूरगामी सोच के चलते जनता के हित में अनेक निर्णय लिये गये हैं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। जैसे-जैसे समय बीतेगा वैसे-वैसे प्रदेश की जनता को सरकार के फैसलों, नयी नीतियों के बारे में विस्तार से पता चलेगा।

विडंबना ही कही जायेगी कि काँग्रेस सरकार की जनहितकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में जिला स्तरीय संगठन ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेता दिख रहा है। सरकार के द्वारा समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति के उत्थान के लिये योजनाओं का आगाज़ किया गया है, पर इनके प्रचार-प्रसार के अभाव में सिवनी जिले में ये योजनाएं सफेद हाथी ही साबित होती दिख रही हैं।

इसके साथ ही सालों से एक बात और उभरकर सामने आयी है कि काँग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही दलों के नुमाईंदों के द्वारा जिला स्तर की समस्याओं को उठाने से गुरेज किया जाता है! दोनों ही दलों के जिला स्तर के नेताओं के द्वारा मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री सहित प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जबकि वे भूल जाते हैं कि वे प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर की कार्यकारिणी के अंग नहीं हैं, वरन जिला स्तर के संगठन के सदस्य हैं। इस लिहाज़ से उनके द्वारा जिला स्तर की समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाया जाना चाहिये।

याद पड़ता है कि जब प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेत्तृत्व वाली भाजपा सरकार काबिज थी, उस समय नगर पालिका की झींगामस्ती को लेकर जिला स्तर पर कभी कभार समस्याओं को उठाया गया था। दिसंबर 2018 के पहले मॉडल रोड और जलावर्धन योजना के बारे में खतो खिताब की सियासत करने वाले नेताओं के द्वारा इन नौ माहों में इस ओर ध्यान देना ही बंद कर दिया गया है . . . जनता पशोपेश में ही होगी कि आखिर इसका कारण क्या हो सकता है!

फरवरी माह की 17 तारीख को जिला काँग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता जनाब जकी अनवर खान ने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली। इसके बाद काँग्रेस के अनेक नेताओं ने जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण उनके निधन के आरोप लगाये थे। इसकी शिकायत काँग्रेस के जिला अध्यक्ष राज कुमार खुराना के द्वारा मुख्यमंत्री से भी की गयी थी। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस मामले की जाँच के लिये जिला प्रशासन को निर्देशित भी किया गया था। सात माह बीतने को आ रहे हैं पर इस मामले में जिला काँग्रेस कमेटी के द्वारा अपने ही उपाध्यक्ष के निधन के मामले की जाँच को ही मुकम्मल नहीं करवाया गया है . . .!

इसी तरह जिले की गागर में अनगिनत सौगातें डालने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा ने 17 मई को जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन के उपरांत उनकी पार्थिव देह को आईसीसीयू से बाहर तक लाने के लिये स्ट्रेचर ढकेलने के लिये वार्ड ब्वाय तक नहीं मिला। उनके परिजनों यहाँ तक कि जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना ने भी स्ट्रेचर को ढकेला था। इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। सुश्री विमला वर्मा प्रदेश और केंद्र में मंत्री भी रहीं हैं। उनकी पार्थिव देह को अस्पताल से घर ले जाने के लिये सरकारी वाहन तक नसीब नहीं हुआ था।

माना जाता है कि जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना के द्वारा सियासत का ककहरा सुश्री विमला वर्मा के सानिध्य में ही सीखा गया था, इस लिहाज़ से उम्मीद की जा रही थी कि इस मामले में राज कुमार खुराना के द्वारा पूरे मामले की जाँच की मांग की जायेगी, पर . . .!

2013 में जब तत्कालीन केद्रीय मंत्री कमल नाथ सिवनी आये थे तब उनके द्वारा नगर काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इमरान पटेल के आग्रह पर सिवनी के जिला काँग्रेस कमेटी के भवन के निर्माण की घोषणा की गयी थी। उनकी इस घोषणा के उपरांत 2018 तक डीसीसी भवन को लेकर काँग्रेस के नेता मौन साधे रहे, इसकी क्या वजह हो सकती है! इसके बाद 2018 के मध्य में अचानक ही डीसीसी भवन का काम युद्ध स्तर पर जारी हुआ। देखा जाये तो यह काम 2014 से ही आरंभ करवाया जा सकता था।

जिले में स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्थाएं ऑक्सीजन पर हैं। सड़कों के धुर्रे उड़े हुए हैं। समाचार पत्र और अन्य मीडिया में जिला स्तर पर भ्रष्टाचार की गूंज सुनायी दे रही है, पर इन सभी मामलों में जिले के काँग्रेस के नेता मौन ही साधे हुए हैं। जिला मुख्यालय में लोग गंदा पानी पीकर बीमार हो रहे हैं। मॉडल रोड समयावधि में पूरी नहीं हो पायी है। जलावर्धन योजना का काम विलंब से चल रहा है। शहर पूरी तरह अतिक्रमण से बजबजा रहा है। बारिश के दिनों में बुधवारी बाज़ार के हाल इस तरह दिखते हैं मानो यहाँ तालाब बन गया हो। लाखों रूपये फूंककर संस्थापित कराये गये यातायात सिग्नल्स ठूंठ की तरह खड़े हुए हैं। शहर में जहाँ देखो वहाँ गंदगी पसरी हुई है। सरकारी चिकित्सक अपनी-अपनी दुकानें खोलकर बैठे हैं। सरकारी शिक्षक सरेआम ट्यूशन का व्यवसाय कर रहे हैं। शालाओं की फीस, महंगी किताबें और गणवेश से पालक लुट रहे हैं। इस तरह की एक नहीं अनेक समस्याएं हैं जिन मामलों में काँग्रेस और भाजपा दोनों ही पूरी तरह मौन हैं। जिले में जिस तरह की व्यवस्थाएं चल रहीं हैं, उन्हें देखकर यह अहसास नहीं हो पा रहा है कि प्रदेश सरकार का नियंत्रण जिले पर रह गया है . . .! प्रभारी मंत्री को भी अफसरान या संगठन के नेताओं के द्वारा शायद ही जिलेे के वास्तविक हालातों से अवगत करवाया गया हो . . . कहने को बहुत कुछ है . . . शेष फिर कभी . . .!

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