(शरद खरे)
सिवनी जिले की पुण्य सलिला का अघोषित दर्जा बैनगंगा नदी को मिला हुआ है। बैनगंगा नदी का उद्गम स्थल, जिला मुख्यालय सिवनी से 12 किलोमीटर दूर गोपालगंज के समीप मुण्डारा ग्राम है। मुण्डारा में आबू वाले बाबा ने धूनी रमायी हुई थी। आबू वाले बाबा के कारण मुण्डारा से निकलने वाली पुण्य सलिला का कुण्ड काफी हद तक साफ रखा जाने लगा था, वरना इसकी सुध किसी ने भी नहीं ली थी।
याद पड़ता है कि नब्बे के दशक के आगाज़ के साथ ही तत्कालीन जिला कलेक्टर पंडित जय नारायण शर्मा के द्वारा मुण्डारा के उद्धार के लिये जतन किये गये थे। इसके बाद से प्रशासन ने भी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा है। बैनगंगा नदी यहाँ से गोल घूमकर लखनवाड़ा पहुँचती है। लखनवाड़ा के तट पर एक स्टॉप डेम बना हुआ था, जहाँ मकर संक्रांति के अवसर पर मेला लगता है। विडंबना ही कही जायेगी कि लखनवाड़ा तट के हाल भी बदहाल हो चुके हैं। यहाँ भी बैनगंगा नदी बेहद उथली नजर आती है।
तत्कालीन जिला कलेक्टर धनराजू एस. के द्वारा अवश्य मुण्डारा के जल कुण्ड की साफ सफाई करवायी गयी थी, किन्तु उनके तबादले के बाद बैनगंगा के उद्गम मुण्डारा की सुध फिर किसी के द्वारा नहीं ली गयी है। अब लोक निर्माण विभाग के द्वारा बीस लाख रूपये की लागत से इस स्थान के विकास का खाका तैयार किया गया है। बात तो तब बने जब यह मामला परवान चढ़ जाये।
इसके बाद बैनगंगा नदी का अगला पड़ाव छपारा है। छपारा के उपरांत यह एॅशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बाँध (संजय सरोवर परियोजना के भीमगढ़ बाँध) में तब्दील हो जाती है। छपारा शहर की शान में बैनगंगा नदी चार चाँद लगाती है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। छपारा शहर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाँक-7 पर अवस्थित है। यहाँ से गुजरने वालों को यह नदी अपनी ओर आकर्षित किये बिना नहीं रहती है।
यह वाकई दुःख का ही विषय है कि नगर पंचायत के दर्जे के लिये तरसती ग्राम पंचायत छपारा की अनदेखी के चलते छपारा में बैनगंगा के तट बुरी तरह से प्रदूषित हो चुके हैं। छपारा में बैनगंगा के तट के इर्द-गिर्द मरे जानवरों के शव फेंक दिये जाते हैं। आज बैनगंगा के तट पर रेस्ट हाउस के आसपास शहर का कूड़ा-करकट डाला जा रहा है।
यहाँ से गंदगी उड़कर बैनगंगा के पावन जल में समाहित हो रही है। एक तरफ तो देश के वजीरे आजम नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान के आगाज़ के बाद सांसद-विधायकों सहित सभी ने हाथों में झाड़ू उठाकर मीडिया की सुर्खियां बटोरीं पर उसके बाद यह अभियान भी टांय-टांय फिस्स हो गया।
वैसे बैनगंगा की सफाई का बीड़ा स्थानीय जागरूक नागरिकों के बैनगंगा सेवा अभियान सहित अनेक समूहों द्वारा उठाया गया है जो वाकई सराहनीय माना जा सकता है पर जिला प्रशासन से उम्मीद की जा सकती है कि कम से कम जिले की पुण्य सलिला बैनगंगा की वह सुध ले। साथ ही साथ सांसद-विधायकों से भी उम्मीद की जानी चाहिये कि वे भी इस दिशा में कारगर पहल करें। छपारा के बैनगंगा के तट को गंदा होने से बचाने के लिये ग्राम पंचायत छपारा को भी आवश्यक कदम उठाना चाहिये।