0 हम शर्मिंदा हैं शुभाश्री . . . 03
(लिमटी खरे)
यह राहत भरी बात मानी जा सकती है कि 26 अप्रैल को सड़क दुर्घटना में घायल सीआरपीएफ की महिला आरक्षक शुभाश्री साहू की दुर्घटना में हुई मृत्यु के उपरांत निर्वाचन आयोग की तरफ से उनके परिजनों को 15 लाख रूपये की राशि देने की घोषणा की है। सीआरपीएफ के नियमों के हिसाब से उन्हें जो भी राशि मिलना होगा वह तो मिलेगी ही। चूँकि उनका निधन चुनाव की ड्यूटी के दौरान हुआ था इसलिये निर्वाचन आयोग के नियमों के हिसाब से यह राशि उनके परिजनों को दी जायेगी।
सिवनी में हर साल कितनी दुर्घटनाएं हुईं, इनमें से फोर लेन पर कितनी हुईं, कितने लोग इसमें घायल हुए, कितने लोगों ने इन दुर्घटनाओं में दम तोड़ा, इस बात की जानकारी प्रशासन को एकत्र कर, इस बात पर विचार करना चाहिये कि अब तक ट्रामा केयर यूटिन की स्थापना सिवनी में आखिर क्यों नहीं हो पायी।
इसके अलावा अब जबकि सीआरपीएफ की एक महिला जवान को सिवनी में दुर्घटना के उपरांत जिस तरह का प्राथमिकोपचार मिलना चाहिये था, वह नहीं मिल पाया तब अगर सिवनी में एक भी ट्रामा केयर यूनिट होता तो संभव था कि शुभाश्री को बचाया जा सकता था।
जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह ने इस मामले में शुरूआती सक्रियता दिखायी है। इसी बीच मतदान आ गया, निश्चित तौर पर वे मतदान में व्यस्त हो गये होंगे। अब मतदान भी संपन्न हो गया है। मतदान दल भी सोमवार की देर रात तक वापस आ जायेंगे। आचार संहिता अभी प्रभावी है इसके निष्प्रभावी होने में अभी भी लंबा समय शेष है।
इसके बाद भी एनएचएआई के ट्रामा केयर यूनिट की संस्थाना और अस्पताल के ट्रामा केयर यूटिन को आरंभ कराने में शायद आचार संहिता का अड़ंगा शायद ही आये। इसका कारण यह है कि दोनों ही, सालों पहले से स्वीकृत हैं। हमें आश्चर्य इस बात पर हुआ जब जिला कलेक्टर के द्वारा यह बताया गया कि एनएचएआई के द्वारा सिवनी के नये बायपास पर प्रस्तावित ट्रामा केयर यूनिट को अस्पताल के अंदर बना दिया गया है।
जिला कलेक्टर के अनुसार उन्हें यह बताया गया कि एनएचएआई के द्वारा जिस ट्रामा केयर यूनिट को बायपास पर बनाया जाना था उसी पैसे से जिला चिकित्सालय के अंदर ट्रामा केयर यूनिट का भवन खड़ा कर दिया गया है। देखा जाये तो यह पूरा का पूरा गलत ही है।
इसका कारण यह है कि एनएचएआई के द्वारा ट्रामा केयर यूनिट को सिवनी बायपास पर इसलिये प्रस्तावित किया गया था ताकि दुर्घटना में घायलों को कम से कम समय में चिकित्सकीय मदद मिल जाये। इसके लिये ही इसे फोरलेन पर ही बनाया जा रहा था। जिला अस्पताल में बने ट्रामा केयर यूनिट तक आने में मरीज को दस से बीस मिनिट का अतिरिक्त समय लग सकता है और दुर्घटना में घायल के लिये एक-एक सेकेण्ड अत्यंत कीमती होता है।
इस बात की जाँच भी होना आवश्यक है कि किन अधिकारियों के द्वारा फोरलेन पर बनने वाले ट्रामा केयर यूनिट के फण्ड का उपयोग कर जिला चिकित्सालय में ट्रामा केयर यूनिट बनाने के लिये स्वीकृति प्रदाय की गयी। यह काम जिन अधिकारियों के द्वारा किया गया उनके खिलाफ कार्यवाही की जाना चाहिये।
बहरहाल, जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह अगर चाहें तो एनएचएआई के आला अधिकारियों को एक कड़ा पत्र लिखकर सिवनी में एक साल में हुईं दुर्घटनाओं, इसमें कितने लोग घायल हुए, कितने लोगों को सिवनी से उपचार के लिये नागपुर या जबलपुर रेफर किया गया एवं इसमें कितने लोगों ने दम तोड़ा, इस बात की जानकारी एकत्र कर उस पत्र में फोरलेन बायपास पर ट्रामा केयर यूनिट बनाये जाने की बात रखी जा सकती है।
देखा जाये तो सीआरपीएफ की महिला जवान शुभाश्री सिवनी के फोरलेन पर दुर्घटना में घायल हुईं थीं। सिवनी के निवासी उनको उपचार न मिल पाने के कारण हुए निधन पर शर्मिंदा हैं। उन्हें सच्ची श्रृद्धांजलि यही होगी कि उनके नाम पर ही जिला मुख्यालय में बायपास पर एक ट्रामा केयर यूनिट की संस्थापना के प्रयास किये जायें!

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