(लिमटी खरे)
शुक्रवार को बण्डोल थानांतर्गत हुए एक हादसे ने सभी को हिलाकर रख दिया है। अर्द्धसैनिक बल (सीआरपीएफ) की महिला जवान सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुईं। उसके उपरांत उनको नागपुर ले जाते समय तक जो कुछ हुआ वह सिवनी को शर्मसार करने के लिये पर्याप्त माना जा सकता है।
यह मामला चूँकि अर्द्ध सैनिक बल से जुड़ा था इसलिये अस्पताल में जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक का उपस्थित होना स्वाभाविक ही था। जिला अस्पताल में जिस तरह का उपचार घायल आरक्षक शुभाश्री को मिला वह जिला कलेक्टर ने खुद देखा होगा।
बताते हैं घायल की एमआरआई की रिपोर्ट जिला कलेक्टर के द्वारा जब माँगी गयी तब उपस्थित चिकित्सक के द्वारा यह कहकर टालने का प्रयास किया गया कि एमआरआई का काम आऊट सोर्स किया गया है और इसकी रिपोर्ट जयपुर से कम से कम डेढ़ घण्टे में आयेगी। इसके बाद जिला कलेक्टर के हस्तक्षेप से यह रिपोर्ट महज चंद मिनिटों में ही जयपुर से सिवनी पहुँच गयी।
सिवनी से होकर फोरलेन गुजर रहा है। एनएचएआई के नियमों के हिसाब से सिवनी में एक ट्रामा केयर यूनिट की संस्थापना की जाना चाहिये थी। यह 2010 में बनकर तैयार हो जाना था। एनएचएआई के नियमों के हिसाब से उस समय पब्लिक सेफ्टी और सिक्योरिटी के जो मानक बनाये गये थे, उन मानकों को किसी भी कीमत पर कम नहीं किया जा सकता था। इन मानकों को हर तीन साल में रिव्यू किया जाकर अपग्रेड किया जाना चाहिये था।
इसके अलावा लगभग पाँच साल पहले जिला अस्पताल में एक ट्रामा केयर यूनिट की स्थापना की गयी है। यह भवन अब तक उपयोग में नहीं आ पा रहा है। इस भवन के बारे में यह बताया जा रहा है कि यह भवन एनएचएआई के द्वारा दिये गये फण्ड से निर्मित किया गया है।
अगर यह सच है तो जिनके कार्यकाल में इसकी अनुमति दी गयी, उनके नामों को सार्वजनिक किया जाना चाहिये, ताकि जिले के लोगों को यह पता तो चल सके कि जिस जिला मुख्यालय में दो-दो ट्रामा केयर (एक एनएचएआई अर्थात केंद्र सरकार का और दूसरा राज्य सरकार का) यूनिट मिलने थे उसकी बजाय एक ही ट्रामा केयर यूनिट के लिये महज भवन बनाकर ही खड़ा कर दिया गया है।
वैसे देखा जाये तो ट्रामा केयर यूनिट को सड़क के समीप ही बनाया जाता है, ताकि दुर्घटना में घायल मरीज को तत्काल कम से कम समय में ही उपचार मिल सके। जिला चिकित्सालय में बनाया गये ट्रामा केयर यूनिट तक अगर हाईवे में हुई दुर्घटना के मरीज को लाया जायेगा तो जबलपुर रोड से नगझर होते हुए और नागपुर रोड से सीलादेही होकर बाजार के संकरे रास्ते अर्थात लंबा रास्ता तय कर जिला चिकित्सालय पहुँचना होगा, उसके बाद जिकजेक (घुमावदार सड़क) के जरिये यहाँ तक पहुँचा जायेगा।
इस ट्रामा केयर यूनिट को सिवनी बायपास पर ही बनाया जाना चाहिये था। यह केंद्र सरकार का मामला था। 2010 के बाद के.डी. देशमुख, बसोरी सिंह मसराम, बोध सिंह भगत, फग्गन ंिसंह कुलस्ते जिले के सांसद रहे पर उनके द्वारा इस मामले में कभी भी उचित मंच (संसद) में आवाज बुलंद करने का प्रयास नहीं किया गया।
रही बात जिला अस्पताल के ट्रामा केयर यूनिट की तो इसके लिये प्रदेश सरकार से चिकित्सक उपलब्ध कराने की जवाबदेही तत्कालीन निर्दलीय (वर्तमान भाजपा के) दिनेश राय, श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मर्सकोले, अर्जुन काकोड़िया, स्व.ठाकुर हरवंश सिंह, रजनीश हरवंश सिंह, राकेश पाल सिंह, श्रीमति शशि ठाकुर, योगेंद्र सिंह की रही है जो विधायक थे या वर्तमान में विधायक हैं।
इसके अलावा 2010 के बाद सिवनी में पदस्थ रहे जिलाधिकारी मनोहर दुबे (मार्च 2009 से जून 2011), अजीत कुमार (जून 2011 से मार्च 2013), भरत यादव (मार्च 2013 से जनवरी 2016), धनराजू एस. (जनवरी 2016 से जून 2017), गोपाल चंद्र डाड (जून 2017 से दिसंबर 2018) एवं प्रवीण सिंह अढ़ायच (दिसंबर 2018 से अब तक) की नैतिक जवाबदेही थी कि वे इस संवेदनशील मामले में कोई उचित पहल करते। विडंबना ही कही जायेगी कि सभी के द्वारा शायद इस मूल मंत्र को आधार मानकर ही काम किया गया कि उनका कार्यकाल शांतिपूर्वक तरीके से निपट जाये . . .!
बहरहाल, जिला अस्पताल के ट्रामा केयर यूनिट के लिये मेडिसिल विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, निश्चेतना विशेषज्ञ एवं सर्जन के तीन-तीन पद सृजित किये गये हैं। इसके अलावा भेषज विशेषज्ञ (मेडिसिन) आठ पदों के अलावा भारी मात्रा में पेरामेडिकल स्टॉफ के पद भी सृजित किये गये हैं ताकि इस यूनिट को तीन पालियों में चलाया जा सके। लोगों को यह जानकार आश्चर्य होगा कि इस ट्रामा केयर यूनिट के लिये दस वेंटीलेटर्स भी स्वीकृत हैं।
फोरलेन पर अगर एनएचएआई का ट्रामा केयर यूनिट अस्तित्व में होता तो घायल शुभाश्री को समय रहते ही बेहतर चिकित्सकीय सुविधा मिल पाती और उन्हें बचाया जा सकता था। इसके अलावा अगर यह सब कुछ जिला अस्पताल के ट्रामा केयर यूनिट में होता तो भी ये संभावनाएं बलवती थीं कि शुभाश्री आज हमारे बीच होतीं।
यह सारी जिम्मेदारी जिले के आला अधिकारियों और जनता के द्वारा जनादेश प्राप्त नुामाईंदों की है। सिवनी में किस तरह का नेत्तृत्व और अधिकारी हैं अथवा रहे हैं इसकी एक बानगी है शुक्रवार का पूरा घटनाक्रम। इस पूरे मामले में हम यही कह सकते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम के लिये सिवनी का हर एक निवासी बुरी तरह शर्मिंदा है शुभाश्री . . ., हो सके तो सिवनी के नागरिकों को माफ कर देना क्योंकि सिवनी के नागरिकों ने सालों से इतना सब कुछ आरंभ न हो पाने के बाद भी अपना मौन नहीं तोड़ा . . . (क्रमशः जारी).

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