कहां हैं सार्वजनिक शौचालय!

 

 

(शरद खरे)

आजाद भारत में सिर पर मैला ढोने की प्रथा सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आयी थी। कालांतर में सरकारों के द्वारा शुष्क शौचालयों का निर्माण कराया जाकर सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त कराया गया। वर्तमान में समग्र स्वच्छता अभियान जारी है जिसके तहत घरों घर शुष्क शौचालय बनाये जा रहे हैं।

एक समय था जब लोगों के घरों में शौचालय नहीं थे तो महिलाएं मुँह अंधेरे ही नित्यकर्म से निवृत्त हो जाया करतीं थीं, पुरूष दिन निकलने के बाद भी दिशा मैदान की ओर जाते दिख जाते थे। छोटे बच्चे तो घरों के आसपास नालियों में ही निवृत्त हो लिया करते थे।

वैसे देखा जाये तो बढ़ती आबादी के साथ ही उनके लघु एवं दीर्घ शंका के लिये व्यवस्था करना शासकों की जवाबदेही है। महानगरों में तो हर सौ मीटर पर एक सशुल्क सार्वजनिक शौचालय दिख जाता है, किन्तु छोटे और मंझोले शहरों में सार्वजनिक शौचालय खोजने पड़ते हैं। सिवनी शहर वाकई हिन्दुस्तान का पहला शहर होगा जहाँ बीएसएनएल और जनपद पंचायत कार्यालय के बीच की आवागमन की गली ही मूत्रालय में तब्दील हो चुकी है। इसी तरह सर्किट हाऊस से बाहुबली चौराहा मार्ग से गुजरते ही अजीब सी गंध का सामना लागों को करना पड़ता है।

सिवनी नगर पालिका परिषद में चुने हुए प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों ने कभी इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। शहर के बुधवारी बाजार में सार्वजनिक शौचालय का अभाव बुरी तरह खटकता है। नित्य कर्म एक ऐसा काम है कि उसके लिये कई बार इंतजार भी नहीं किया जाता।

बुधवारी बाजार में महिलाओं के लिये शौचालय की व्यवस्था पृथक से नहीं है। यही आलम बारापत्थर के बाजार में भी है। रोगी कल्याण समिति की दुकानों के प्रथम तल पर राजधानी भोपाल के न्यू मार्केट की तर्ज पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जा सकता है पर इच्छा शक्ति के अभाव में लोग सड़क किनारे ही लघुशंका करते दिख जाते हैं।

पिछले साल पेड वूमेन माया विश्वकर्मा को भी बाहुबली चौराहे पर वॉश रूम के लिये यहाँ-वहाँ भटकना पड़ा था, वे क्या इमेज लेकर गयीं होंगी सिवनी की छवि अपने जेहन में! बाहुबली चौराहे के आसपास शापिंग काम्पलेक्स हैं। रोगी कल्याण समिति के काम्पलेक्स में भी शौचालयों की व्यवस्थाएं नहीं हैं। लोग सड़कों पर ही निवृत होते देखे जा सकते हैं।

एक तरफ तो मयार्दा अभियान के तहत घरों घर शौचालय बनाये जाने की योजना चल रही है वहीं, दिया तले अंधेरा की तर्ज पर सिवनी शहर में सार्वजनिक शौचालयों का टोटा साफ दिखायी दे रहा है। देखा जाये तो बारापत्थर, बुधवारी, शुक्रवारी, छिंदवाड़ा चौक सहित झुग्गी बस्तियों के आसपास सार्वजनिक शौचालय बनाये जाने की योजना नगर पालिका द्वारा बनाकर, अब तक इसे अमली जामा भी पहनाया जाना चाहिये था, पर दीगर गैर जरूरी कार्यों में उलझी नगर पालिका परिषद को इसके लिये शायद समय नहीं मिल पाया है।

संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि शहर में आवश्यकता के हिसाब से सार्वजनिक शौचालय बनवाने के लिये नगर पालिका को निर्देशित अवश्य करें एवं यह काम समय सीमा (टाईम फ्रेम) में अवश्य ही बाँधा जाये ताकि शहर को साफ सुथरा रखने की पहल आरंभ हो सके।