क्यों बनाया गया ट्रामा केयर के लिये भवन!

 

(शरद खरे)

जिला मुख्यालय में स्थित इंदिरा गांधी जिला अस्पताल के परिसर में लगभग तीन करोड़ रूपये की लागत से ट्रामा केयर यूनिट, इमरजेंसी एवं प्रसूति प्रभाग के लिये भवनों का निर्माण 2015 में कराया गया था। 12 फरवरी 2016 को इन भवनों का लोकार्पण तत्कालीन प्रभारी मंत्री गौरी शंकर बिसेन के द्वारा किया गया था। विडंबना ही कही जायेगी कि लंबे समय तक ये तीनों भवन रिक्त ही पड़े रहे। बाद में आपातकालीन प्रभाग और प्रसूति प्रभाग में काम आरंभ हुआ। इतना ही नहीं लगभग चार साल बीतने को आये हैं और अब तक ट्रामा केयर यूनिट का भवन धूल ही खा रहा है। उपयोग के अभाव में चार सालों में यह भवन अगर ज़र्जर भी हो गया हो तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।

हाल ही में विधान सभा में सिवनी के भाजपा विधायक दिनेश राय के द्वारा पूछे गये प्रश्न पर प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी राम सिलावट ने बताया कि जिला चिकित्सालय में बने ट्रामा केयर सेंटर में कुल आठ चिकित्सकों के पद सृजित किये गये हैं। इनमें चिकित्सा विशेषज्ञ, निश्चेतना विशेषज्ञ, अस्थि रोग विशेषज्ञ के एक-एक एवं मेडिकल ऑफिसर के पाँच पद हैं, जो रिक्त हैं।

देखा जाये तो ये सारे के सारे पद 2016 में इसके लोकार्पण के बाद से ही रिक्त हैं। जिले में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत डेढ़ दर्जन प्रशासनिक पदों पर चिकित्सकों को प्रभारी बनाकर बैठाया गया है। जो जानकारी स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा विधान सभा में दी गयी है उसमें जयज काकोड़िया की पदस्थापना जिला अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में दर्शायी गयी है जबकि उनको क्षय रोग अधिकारी का प्रभार दिया गया है। बताते हैं कि वे जिला अस्पताल में सेवाएं नहीं दे रहे हैं। इस लिहाज़ से यह जानकारी गलत ही मानी जा सकती है। इस जानकारी में कुछ चिकित्सकों को अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित दर्शाया गया है, अगर ऐसा है तो इन चिकित्सकों का वेतन भी काटा गया होगा, पर शायद ऐसा हुआ नहीं है। इनमें से कुछ चिकित्सकों को पूरा-पूरा वेतन दिया गया है। इस लिहाज़ से यह जानकारी भी गलत ही है जो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विधान सभा में परोस दी गयी है।

बहरहाल, जब 2016 से 2019 के अंत तक जिला अस्पताल में बने ट्रामा केयर यूनिट का उपयोग करना ही नहीं था, यहाँ चिकित्सकों की तैनाती करना ही नहीं था तो लाखों खर्च करके इसके बनाने का औचित्य ही क्या था! क्या यह जनता के गाढ़े पसीने से संचित राजस्व की होली खेलना नहीं माना जायेगा!

जिला चिकित्सालय में इनमें से सभी श्रेणी के चिकित्सक पदस्थ हैं। क्या इन चिकित्सकों को ट्रामा केयर यूनिट में सेवाएं देने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है! इन चिकित्सकों के द्वारा अस्पताल में भी कमोबेश वे ही सेवाएं दी जा रहीं होंगी जो सेवाएं इनसे ट्रामा केयर यूनिट में ली जा सकती हैं। इस सेंटर में कितने उपकरण खरीदे गये, कितनी राशि व्यय की गयी, इस बात की जानकारी भी विधायक दिनेश राय बिना विधान सभा में प्रश्न किये ही सीधे-सीधे स्वास्थ्य विभाग से ले सकते हैं। उनके द्वारा इस संवेदनशील मामले में ध्यान दिया गया है इसलिये उम्मीद की जानी चाहिये कि उनके प्रयासों से ही सही शीघ्र ही सिवनी मे ट्रामा केयर यूनिट आरंभ होने के मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं।

 

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