अतिक्रमण पर कार्यवाही क्यों नहीं!

 

 

(शरद खरे)

सालों से अतिक्रमण एक नासूर बना हुआ है, जिस पर कार्यवाही करने से स्थानीय निकाय और अन्य जिम्मेदार विभाग पता नहीं क्यों कतराते आ रहे हैं। स्थानीय निकायों सहित लोक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग के द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्यवाहियां की भी जाती हैं तो महज नोटिस जारी कर, रस्म अदायगी ही कर दी जाती है।

जिला मुख्यालय, कान्हीवाड़ा, बरघाट, केवलारी, छपारा, लखनादौन सहित कमोबेश जिले के हर बड़ी आबादी वाले कस्बों में अतिक्रमण के कारण सड़कें बहुत ही संकरी हो चली हैं। दिनों दिन वाहनों की बढ़ती तादाद के कारण अब सड़कों पर जब चाहे तब जाम भी लगते दिख जाया करते हैं।

कान्हीवाड़ा में अतिक्रमण हटाने को लेकर पूर्व में कई बार नोटिस जारी करने की कार्यवाही की गयी थी। इसके बाद लोक निर्माण विभाग मानो सुसुप्तावस्था में ही चला गया है। कुछ दिनों बाद बारिश का मौसम आरंभ हो जायेगा, तब अगर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाती है तो व्यापारियों के द्वारा बारिश बीत जाने की गुहार लगायी जायेगी। अतिक्रमण हटाने के लिये माकूल मौसम कौन सा है यह शोध का ही विषय माना जा सकता है।

छपारा शहर में भी मनमाने अतिक्रमण से नागरिकों का चलना दूभर हुआ है पर न तो ग्राम पंचायत को इसकी परवाह है और न ही जनपद पंचायत को। यही आलम लखनादौन, धूमा, घंसौर, केवलारी, भोमा, बरघाट आदि का है।

विडंबना ही कही जायेगी कि लगभग छः सालों में भी शहर की मॉडल रोड से अब तक अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका है। इसके चलते मॉडल रोड अब भी पूरी नहीं हो पायी है। मॉडल रोड पर बीच में लगे बिजली के खंबों के कार्य को भी अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। मॉडल रोड बीरबल की खिचड़ी बनकर रह गयी है।

इसके अलावा जिला मुख्यालय के अंदरूनी मार्गों से भी अतिक्रमण अब तक नहीं हटाया जा सका है। शहर की नेहरू रोड पर दिन में अधिकांश समय जाम की स्थिति निर्मित होती है। इसके अलावा बुधवारी बाजार के भी यही हाल हैं। गाँधी चौक से मिशन स्कूल तक का मार्ग हो या फिर गणेश चौक से बरघाट रोड हर जगह सड़कें दिन में संकरी तो देर रात में चौड़ी नजर आती हैं।

दरअसल, अधिकारियों में इच्छा शक्ति का अभाव साफ परिलक्षित हो रहा है। सालों से एक बात उभरकर सामने आ रही है कि अपनी तैनाती के दौरान अधिकारी यही चाहते दिखते हैं कि उनका कार्यकाल बिना किसी विवाद के शांति से पूरा हो जाये। वे किसी पचड़े में फंसकर सवाल-जवाब से बचते ही नजर आते हैं।

संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह और जिला पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार से जनापेक्षा है कि राजस्व अधिकारियों, स्थानीय निकायों के अधिकारियों और प्रतिनिधियों, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, यातायात पुलिस की एक संयुक्त बैठक आहूत कर जिले को अतिक्रमण मुक्त बनाने की कार्ययोजना तैयार कर इसे समय सीमा में अमली जामा पहनाने की कवायद करें। हो सके तो इसका आगाज़ जिला मुख्यालय से ही किया जाये ताकि इसका बेहतर संदेश जिले भर में जाये और लोग स्वप्रेरणा से ही अपने-अपने अतिक्रमण हटाने का मानस बनायें।