जानिए किस तरह पढ़ी जाए सावन सोमवार की व्रत कथा

श्रावण मास भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह माना जाता है। इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव जरूर लिखिए।
देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव के सबसे प्रिय सावन महीने में सावन सोमवार के दिन पूजा करने और व्रत रखने वालों को इससे संबंधित व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। व्रत कथा पढ़े या सुने बिना व्रत संपन्न नहीं माना जाता है। आइये जानते हैं सावन सोमवार से जुड़ी व्रत कथा के बारे में।
जानकारों के अनुसार पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसे धन की कोई कमी नहीं थी। लेकिन कमी थी तो केवल संतान की। साहूकार देवाधिदेव महादेव भगवान शिव का भक्त था और प्रतिदिन उनका पूजन करता था। साहूकार की भक्ति देख एक दिन माता पर्वती ने भोलेनाथ से कहा, आपका यह भक्त दुखी है। इसलिए आपको इसकी इच्छा पूरी करनी चहिए। भोलेनाथ ने माता पार्वती से कहा कि, इसके दुख का कारण यह है कि इसे कोई संतान नहीं है। लेकिन इसके भाग्य में पुत्र योग नहीं है। यदि उसे पुत्र प्राप्ति का वारदान मिल भी गया तो उसका पुत्र सिर्फ 12 वर्ष तक ही जीवित रह सकेगा। शिवजी की ये बातें साहूकार भी सुन रहा था। ऐसे में एक ओर जहां साहूकार को संतान प्राप्ति की खुशी हुई तो वहीं दूसरी ओर निराशा भी। लेकिन फिर भी वह पूजा-पाठ करता रहा।
एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई। उसने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। देखते ही देखते बालक 11 वर्ष का हो गया और साहूकार ने उसे शिक्षित करने की गरज से शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसे मामा के पास काशी भेज दिया। साथ ही साहूकार ने अपने साले से कहा कि, रास्ते में जहां भी कोई ब्राह्मण मिले उसको भोज करा जरूर दें।
काशी के रास्ते में एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था, जिसका दुल्हा एक आंख से काना था। उसके पिता ने जब अति सुंदर साहूकार के बेटे को देखा तो उनके मन में विचार आया कि क्यों न इसे घोड़ी पर बिठाकर शादी के सारे कार्य संपन्न करा लिया जाए। इस तरह से विवाह संपन्न हुआ। साहूकार के बेटे ने राजकुमारी की चुनरी पर लिखा कि, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हो रहा है। लेकिन मैं असली राजकुमार नहीं हूं। जो असली दूल्हा है, वह एक आंख से काना है। लेकिन विवाह हो चुका था और इसलिए राजकुमारी की बिदाई असली दूल्हे के साथ नहीं हुई।
इसके बाद साहूकार का बेटा अपने मामा के साथ काशी आ गया। एक दिन काशी में यज्ञ के दौरान भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया। जब उसके मामा ने कमरे के भीतर जाकर देखा तो भांजे को मृत पाया। सभी ने रोना-शुरू कर दिया। माता पार्वती ने शिवजी से पूछा हे, प्रभु ये कौन रो रहा है?
तभी माता को पता चलता है कि यह भोलेनाथ के आर्शीवाद से ही जन्मा साहूकार का पुत्र है। तब माता पार्वती ने कहा स्वामी इसे जीवित कर दें अन्यथा रोते-रोते इसके माता-पिता के प्राण भी निकल जाएंगे। तब भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी जिसे वह भोग चुका है।
लेकिन माता पार्वती के बार-बार कहने पर भोलेनाथ ने उसे जीवित कर दिया। साहूकार का बेटा ओम नमः शिवाय कहते हुए जीवित हो उठा और सभी ने शिवजी को धन्यवाद दिया। इसके बाद साहूकार ने अपने नगरी लौटने का फैसला किया। रास्ते में वही नगर पड़ा जहां राजकुमारी के साथ उसका विवाह हुआ था। राजकुमारी ने उसे पहचान लिया और राजा ने राजकुमारी को साहूकार के बेटे के साथ धन-धान्य देकर विदा किया।
साहूकार अपने बेटे और बहु को देखकर बहुत खुश हुआ। उसी रात साहूकार को सपने में शिवजी ने दर्शन देते हुए कहा कि तुम्हारी पूजा से मैं प्रसन्न हुआ। इसलिए तुम्हारे बेटे को दोबारा जीवन मिला है। इसलिए तब से ऐसी मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करेगा और इस कथा का पाठ या श्रवण करेगा उसके सभी दुःख दूर होंगे और मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
आईए जानते हैं सावन सोमवार का महत्व
सावन सोमवार का व्रत करने से व्यक्ति को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो सकता है। यदि आपके वैवाहिक जीवन में कोई समस्या आ रही है तो आप सावन सोमवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। कार्यों में सफलता, रोग, दोष, कष्ट आदि से मुक्ति, धन, सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति के लिए सावन सोमवार का व्रत रखना चाहिए।
वैसे इस बार का सावन बेहद शुभ माना जा रहा है क्योंकि इस दौरान कई अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है। वहीं इस बार का सावन इस वजह से और भी खास है क्योंकि इसकी शुरुआत सोमवार से हो रही है और समापन भी सोमवार को होगा तो चलिए इस दौरान बनने वाले कुछ अद्भुत संयोग के बारे में जानते हैं।
साल 2024 में सावन महीना सोमवार को शुरू और सोमवार पर ही समाप्त होगा सावन, बन रहा है अद्भुत संयोग ही माना जाएगा। सावन का महीना बेहद पावन माना जाता है। यह पूरा महीना भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित है। देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी की पूजा से सभी परेशानियों का अंत होता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन का महीना दिन सोमवार, 22 जुलाई से शुरू होगा। वहीं, इसका समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर होगा। इसके साथ ही सावन माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई, 2024 दिन रविवार को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर शुरू हुई, उदयातिथि को देखते हुए 22 जुलाई से सावन आरंभ हो गया है। इस बार सावन के पहले सोमवार यानी 22 जुलाई को प्रातः से लेकर रात्रि 11 बजकर 40 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहा।
सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय समय होता है। इस महीने में पड़ने वाले सोमवार के दिन शिवजी की खास पूजा अर्चना की जाती है। भक्त सावन के सोमवार का व्रत रखते हैं। शिव भक्तों के लिए सावन में पड़ने वाले सोमवार का बहुत महत्व होता है। कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए सावन सोमवार का उपवास करती हैं, तो वहीं सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए सोमवार का व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन उपवास करने और भोलेनाथ के दर्शन व पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती है। ऐसे में अगर आप भी सावन के सोमवार का उपवास करने जा रहे हैं तो ये जान लीजिए कि सावन सोमवार के व्रत में क्या खाना चाहिए।
बरसात उमस के मौसम में अगर उपवास हैं तो खुद को हाइड्रेट रखने के लिए तरल पदार्थों का सेवन करते रहें। सावन सोमवार के व्रत में दिन की शुरुआत शिकंजी, नींबू पानी या नारियल पानी पीकर कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आपके पेय जल में नमक न हो। क्योंकि व्रत में साधारण नमक का सेवन नहीं किया जाता है। साथ ही कुछ लोग व्रत में खट्टी चीजों जैसे नींबू का सेवन नहीं करते हैं। अपनी मान्यताओं के मुताबिक ही नींबू का सेवन करें। पूरा दिन व्रत के दौरान बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीते रहें। घर पर तैयार किया जूस भी पी सकते हैं।
इसके साथ ही सावन सोमवार के व्रत में सात्विक भोजन करना चाहिए। इसमें आप सेंधा नमक से तैयार भोजन कर सकते हैं। हालांकि कई लोग सोमवार के व्रत में सेंधा नमक का सेवन भी नहीं करते हैं। ऐसे में उबले आलू, दही के साथ या कुछ मीठा जैसे लौकी या आलू का हलवा खा सकते हैं। उबले आलू खाने के जल्दी भूख नहीं लगती और पूरा दिन ऊर्जा बनी रहती है।
शरीर के लिए भोजन जरूरी है। हालांकि उपवास में कई चीजों का सेवन वर्जित है। इसलिए सोमवार उपवास में फलों का सेवन कर सकते हैं। दोपहर में या शाम के नाश्ते में भूख लगने पर सेब, केले, अनार, तरबूज, खीरा या आम जैसे फलों का सेवन कर सकते हैं। ये फल शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं। ड्राई फ्रूट्स भी खा सकते हैं। हालांकि व्रत में खट्टी चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है।
व्रत में थोड़े थोड़े अंतराल में कुछ चीजों का सेवन करते रहना चाहिए। फलों के अलावा अगर आपको भूख महसूस हो तो भुने मखाने, मूंगफली, दही, पनीर आदि का सेवन कर सकते हैं। इसका सेवन आपको हाइड्रेट रखता है और कमजोरी आने से बचाता है।
इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)