सप्ताह भर बाद विधायक ने दी मीडिया को सफाई

 

 

विधायक पर पानी फेंकने की घटना को बताया निंदनीय

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। बरघाट के काँग्रेसी विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया जब किसानों के अंदोलन करने वाले स्थल पर पहुँचे तब उन पर पानी फेंके जाने की घटना के सप्ताह भर बाद उनके द्वारा मीडिया के समक्ष अपना पक्ष रखा गया। उन्होंने किसी का नाम लिये बिना इस घटना की निंदा की है।

इस मामले में जिला काँग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया ने कहा कि उन्होंने और जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना के द्वारा मुख्यमंत्री कमल नाथ से चर्चा के बाद जिन किसानों का पंजीयन रूका हुआ था उनके लिये पोर्टल खुलवाने का आग्रह किया गया था।

उन्होंने बताया कि इस बात की जानकारी उन्हें मिली कि सरकार के द्वारा दो दिन के लिये पोर्टल खोला जा रहा है। उस समय वे किसी कार्यक्रम के सिलसिले में कुरई क्षेत्र में थे। उनको इस बात की जानकारी भी मिली कि बरघाट क्षेत्र में कुछ किसानों के द्वारा पोर्टल नहीं खुलने को लेकर आंदोलन किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि उन्होंने फोन पर ही किसानों को समझाने का प्रयास किया कि पोर्टल खुल रहा है। इसके बाद किसानों के आग्रह पर वे किसानों को जानकारी देने के लिये मौके पर पहुँचे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ शरारती तत्वों के द्वारा माहौल खराब करने के उद्देश्य से उनके ऊपर न केवल पानी डाला गया वरन उन्हें गालियां भी दी गयीं।

विधायक अर्जुन काकोड़िया का कहना था कि उनके द्वारा सब कुछ सहा गया और जब बात बर्दाश्त से बाहर होती दिखी तो उनके द्वारा इन शरारती तत्वों को ऐसा करने से रोका गया। उन्होंने यह भी कहा कि इन लोगों के द्वारा उन्हें (विधायक को) डराने का प्रयास भी किया गया। वे इस बात का जवाब नहीं दे पाये कि उन्हें डराने का प्रयास किसके द्वारा किया जा रहा था!

पत्रकारों ने जब यह पूछा कि मौके पर पुलिस मौजूद थी तब उनके द्वारा पुलिस को कार्यवाही के लिये क्यों नहीं कहा गया! इसके अलावा जो वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है उस वीडियो को भी उनके द्वारा आधा अधूरा निरूपित किया गया।

उनसे जब यह पूछा गया कि चूँकि यह किसान आंदोलन था तो निश्चित तौर पर इस दौरान पुलिस की वीडियोग्राफी भी हो रही होगी, तब पुलिस के वीडियो को देखकर उनके द्वारा बदसलूकी करने वालों के खिलाफ पुलिस में नामजद शिकायत दर्ज क्यों नहीं करायी जा रही है! उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वे किन्ही तत्वों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं! इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वे संगठन से चर्चा करने के बाद कदम उठायेंगे।

उनसे जब यह पूछा गया कि कुछ दिन पूर्व हुई बारिश के बाद उनके हवाले से यह बात कही गयी थी कि बारिश में उनके द्वारा किसानों के गीले हो रहे धान का निरीक्षण किया गया। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाही की बात पर उनके द्वारा यह कहा गया कि उन्होंने सरकार से माँग की थी कि किसानों का धान अगर अंकुरित भी हो जाये तो उसे खरीदा जाये, और वह हो भी रहा है।

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