(ब्यूरो कार्यालय)
घंसौर (साई)। आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर क्षेत्र के अनेक ग्राम क्षेत्रों में खेतों में लगे मक्के की फसलों में जहां पत्तों पर अभी तक इल्लियों का प्रकोप देखा जा रहा था वहीं अब मक्का में हुई छोई (दाने के पूर्व की स्थिति) पर इल्लियों का काफी प्रकोप देखा जा रहा है। इससे किसानों में खासी चिंता व्याप्त है।
किसानों में डब्बल पटेल, केसरी प्रसाद तिवारी, सुन्दरलाल धार्मिक, मोहम्मद अली खान, बासित खान, हरिचरण यादव, तीरथ कुशवाहा, नारायण पटेल आदि ने बताया कि मक्का फसल में फाल आर्मीवर्म का प्रकोप देखा गया। दर्जनों गांव के किसान अब मक्का की छोई में दाने आने के बाद अच्छी फसल होने से जहां काफी खुश थे वहीं अब इन छोई में हुई इल्लियों और इल्लियों के द्वारा दाना खाने से मक्का फसल के उत्पादन में काफी गिरावट देख खासे परेशान हैं।
हालांकि इस मामले में कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि फाल आर्मी वर्म एक बहुभक्षी कीट है जो कि 880 से अधिक प्रकार की फसलों पर क्षति करता है। लेकिन मक्का संदीदा फसल है। अंडों से निकली छोटी-छोटी इल्लियां पत्तियों के हरे भाग को खुरच-खुरच कर खाती हैं। फलस्वरूप पत्तियों में सफेद रंग के धब्बे बन जाते हैं। इल्लियां पौधों की पोगली के अंदर छुपी रहती हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बड़ी इल्लियां पत्तियों को खाकर उसमें छोटे से लेकर बड़े-बड़े गोद छेद कर नुकसान पहुंचाती हैं। बड़ी इल्लियां पत्तियों को खाकर उसमें छोटे से लेकर बड़े-बड़े गोल छेद कर नुकसान पहुंचाती हैं। बड़ी अवस्था की इल्लियां भुट्टों व मंजरियों को भी खाकर नुकसान पहुंचाती हैं।
उन्होंने बताया कि इस कीट के पतंगे हवा के बहाव के साथ एक रात में करीब 100 किलोमीटर तक प्रवास कर सकते हैं। इसकी प्रजनन क्षमता भी बहुत अधिक है। माता अपने जीवनकाल में करीब एक से दो हजार अंडे दे सकती है। यह कीट झुंड में आक्रमण कर पूरी फसल को कुछ ही समय में नष्ट करने की क्षमता रखता है।
मक्का फसल में इल्लियों के बचाव के लिए कृषि विभाग द्वारा तथा कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को दवाओं डाले जाने की सलाह दी जा रही है। वहीं अनेक किसानों को फसल से बचाव के साथ-साथ मौसम, बारिश हवाओं की भी जानकारी दी जा रही है।
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