मुख्य सचिव को भेजे पत्र में लगाये संगीन आरोप!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। जिला चिकित्सालय में 04 मई को जिला कलेक्टर के द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान एक संविदा कर्मचारी पर कलेक्टर का नज़ला टूटने वाला विवाद सुलगता दिख रहा है। एक तरफ स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संविदा कर्मचारी की बखिया उधेड़ने की तैयारी की जा रही है तो दूसरी ओर संविदा कर्मचारी के द्वारा संगीन आरोप लगाते हुए जिला कलेक्टर की शिकायत मुख्य सचिव से कर दी गयी है।
स्वास्थ्य विभाग के एड्स कंट्रोल सेल में पदस्थ संविदा कर्मचारी (मूलतः परामर्शदाता) अशोक गौवंशी के द्वारा समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया गया कि जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के साथ हुए वार्तालाप के उपरांत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा उन पर अनैतिक दबाव बनाना आरंभ किया गया है।
अशोक गौवंशी के द्वारा एक शिकायती आवेदन जो उनके द्वारा मुख्य सचिव को भेजा गया है की प्रति भी समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को दी गयी है। इस आवेदन में उनके द्वारा कहा गया है कि 04 मई को जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा जिला अस्पताल के निरीक्षण के दौरान उनके कक्ष में टीवी और अन्य स्थानों पर धूल लगी देखी गयी।
उन्होंने अपने शिकायती आवेदन में कहा है कि जिला कलेक्टर के द्वारा धूल देखकर कहा गया कि यहाँ सफाई नहीं होती क्या! इसके जवाब में उनके द्वारा कहा गया कि कमरे में सफाई कर्मी नियमित रूप से नहीं आते हैं। जब आते भी हैं तो वे कमरे की सफाई ठीक तरीके से नहीं करते हैं।
उन्होंने अपने शिकायती आवेदन में कहा है कि यह जवाब सुनकर जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह बेहद नाराज़ हो गये और उन्होंने कहा कि यह काम उनका (अशोक गौवंशी का) है, उनको सफाई कर्मियों की क्या जरूरत है! यहाँ सफाई उन्हें ही करना चाहिये।
उन्होंने अपने शिकायती आवेदन में कहा है कि इसके जवाब में उनके द्वारा कहा गया कि वे आईसीटीसी के परामर्शदाता के पद पर पदस्थ हैं। उनका काम परामर्श देने का है न कि सफाई करने का!
उन्होंने अपने शिकायती आवेदन में कहा है कि यह जवाब सुनकर जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह अत्याधिक क्रोधित हो गये। इसके बाद जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा उन्हें अनावश्यक एवं सार्वजनिक रूप से फटकार लगायी जाकर उन्हें अपमानित किया गया।
उन्होंने अपने शिकायती आवेदन में कहा है कि इसके उपरांत जिला कलेक्टर के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.के.सी. मेश्राम से यह जानने का प्रयास किया गया कि उनकी (अशोक गौवंशी की) की सेवाएं नियमित हैं या संविदा पर! जब सीएमएचओ के द्वारा यह बताया गया कि अशोक गौवंशी की सेवाएं संविदा वाली हैं तो उनके द्वारा सीएमएचओ से यह कहा गया कि उन्हें (जिला कलेक्टर को) इस तरह के क्वालिफाईड परामर्शदाता की जरूरत नहीं है। इनकी सेवा तत्काल समाप्त की जायें।
उन्होंने अपने शिकायती आवेदन में कहा है कि इसके साथ ही जिला कलेक्टर के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को उनका (अशोक गौवंशी का) नाम एवं पदनाम नोट करने की हिदायत दी गयी। इसके कुछ देर बाद एसडीओ राजस्व वापस आये और उनके द्वारा अशोक गौवंशी को कमरे से बाहर निकलने के निर्देश दिये गये। उन्होंने कहा कि वे मरीजों को उसी हाल में छोड़कर कक्ष के बाहर निकल गये।
(क्रमशः जारी)

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