बारिश के पहले हो नालों की सफाई

 

(ब्यूरो कार्यालय)

छपारा (साई)। बरसात का मौसम आरंभ होने में लगभग एक पखवाड़ा का समय शेष हैं लेकिन वर्षाकाल के पूर्व ग्राम पंचायत छपारा के सरपंच – सचिव द्वारा की गयी कोई भी तैयारी नजर नहीं आ रही है।

शहर की नालियां गंदगी से सराबोर हैं, वहीं दूसरी ओर शहर के बीचों बीच बहने वाले नालों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जबकि इन सभी नालों का पानी जाकर बैनगंगा नदी में मिलता है। यदि मौके पर जाकर देखा जाये तो ये नाले कचरा और गंदगी से सराबोर हैं।

इधर, दवाखानों से निकलने वाला दूषित कचरा भी इन्हीं नालों में लाकर फेंक दिया जाता है। सड़ी – गली सब्जियों से लेकर गंदगी का पूरा अंबार इन्हीं नालों में फेंका जा रहा है। साथ ही नालों के किनारे रहने वालों लोगों ने अपने टॉयलेट के ओवर फ्लो का पाईप भी नालों की ओर निकाल दिया है।

प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो ग्राम पंचायत के सफाई कर्मी भी शहर से निकलने वाला कचरा इन्हीं नालों में फेंक देते हैं। वर्षाकाल के पूर्व यदि ग्राम पंचायत द्वारा तैयारी की जाती है और इन नालों की सफाई की जाये तो यह दूषित कचरा जाकर नदी में नहीं मिलेगा। यदि इन नालों की सफाई नहीं की गयी तो बारिश के दिनों में यह पूरा कचरा बैनगंगा नदी में जाकर मिल जायेगा और बैनगंगा के पानी को छपारा नगर से लेकर सिवनी शहर में पेयजल के लिये सप्लाई किया जाता है, लेकिन ग्राम पंचायत की ऐसी कोई तैयारी अभी तक नजर नहीं आ रही है कि बरसात के पहले इन सभी नालों की साफ सफाई की जाये। उनका पूरा ध्यान निर्माण कार्यों में लगा हुआ है।

नालों के किनारे रहने वाले रहवासियों का कहना है कि उन्होंने आज तक इन नालों की साफ – सफाई होते हुए कभी नहीं देखी, यदि समय – समय पर ग्राम पंचायत द्वारा इन नालों की साफ – सफाई की जाती तो अभी जो टनों से कचरा भरा हुआ है वह नहीं इकट्ठा हो पाता। नगर के लोधी वार्ड स्थित बहने वाले नाले के किनारे दोनों तरफ दो वैवाहिक लॉन स्थित हैं। वैवाहिक सीजन में बचा हुआ भोजन इन्हीं नालों में फेंक दिया जाता है। इसको लेकर भी स्थानीय प्रशासन ने इन लॉन के मालिकों को नोटिस दिया है।

वर्तमान में इस नाले की स्थिति यह है कि यहाँ इतना कचरा फेंका गया है कि यह पूरी तरह भर गया है। यदि इसकी समय रहते सफाई नहीं की गयी तो बारिश के दिनों में गन्दा पानी आसपास के घरों में भी घुसेगा, साथ ही यह बैनगंगा नदी को भी प्रदूषित करेगा। पंचायत की ढुलमुल कार्य प्रणाली के चलते और आम जनता की उदासीनता के चलते लगता नहीं कि बरसात के पूर्व इन नालों की साफ – सफाई हो पायेगी।

देखने वाली बात यह भी है कि बैनगंगा नदी को लोग जीवन दायिनी कहते हैं और आस्था से जोड़ते हैं, इस तरह लोगों की आस्था और भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। नालों की गंदगी बैनगंगा नदी में बहायी जा रही है, जिससे पवित्र बैनगंगा भी दूषित हो रही है। इसको लेकर भी ग्राम पंचायत द्वारा जरा भी सतर्कता नहीं बरती जा रही है।

स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण नालों के ऊपर जमकर अतिक्रमण कर लिया गया है। इन नालों में जो गंदगी बजबजा रही है, इसके चलते वे पूरी तरह चोक हो चुके हैं। समय रहते इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो बरसात के मौसम में रिहायशी इलाकों में भी पानी घुसने की प्रबल संभावनाएं दिखने लगी हैं। विगत वर्षों में तेज बारिश के दौरान नालों से पानी न बहकर, वह घरों में तक घुस गया था। इसके बाद भी पंचायत और स्थानीय प्रशासन ने सबक नहीं लिया है।

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