ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई के लाभ

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। रबी फसलों की कटाई के पश्चात मई माह के अंतिम सप्ताह तक ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई का कार्य किया जाता है। इसके अनेक लाभ हैं।

जानकारों के अनुसार ग्रीष्म कालीन जुताई से 08 से 10 इंच तक मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने पर मिट्टी नीचे स्थित कड़ी परत टूट जाती है एवं वर्षा होने पर खेतों में भूमि द्वारा अधिक पानी सोख लिया जाता है जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है एवं मिट्टी की जलधारण क्षमता में वृद्धि हो जाती है। ग्रीष्म कालीन जुताई के अनेक लाभ बताये गये हैं।

खेतों में कई इस प्रकार के खरपतवार होते हैं जिसकी जड़ें काफी गहरायी तक होती हैं जैसे कांस, मोथा, दूब आदि ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई से इनकी जड़ें ऊपर निकल आती हैं एवं सूर्य के तपन से सूखकर नष्ट हो जाती हैं।

जल संरक्षण : जानकारों के अनुसार फसलों की आवश्यकता अनुसार एक निश्चित गहरायी तक ही प्रतिवर्ष जुताई की जाती है जिससे इस गहरायी के नीचे मिट्टी की एक कड़ी परत बन जाती है, जिसके कारण वर्षा जल अंदर रिसाव नहीं कर पाता है। ऐसी स्थिति में ग्रीष्म कालीन जुताई द्वारा इस कड़ी परत को तोड़कर, वर्षा जल को सुगमता से अंदर प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

कीट व्याधि नियंत्रण : फसलों को हानि पहुँचाने वाले रोग के रोगजनक, रोगाणु हानिकारक कीट, अण्डे आदि खेतों की दरारों में सुसुप्ता अवस्था में पड़े रहते हैं। गहरी जुताई होने से ये भूमि की ऊपरी सतह पर आकर नष्ट हो जाते हैं।

मृदा उर्वरता में वृद्धि : गहरी जुताई के कारण वर्षा का संपूर्ण जल खेतों के द्वारा सोख लिया जाता है। ऐसी स्थिति में खेतों की उर्वरता में वृद्धि के साथ ही जल धारण क्षमता में भी वृद्धि होती है।

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