गाजर घास बन रही परेशानी का सबब

 

 

जिलाधिकारी की चेतावनी के बाद भी नहीं चेती पालिका!

(सादिक खान)

सिवनी (साई)। बारिश का दौर भले ही थम गया हो पर दिन भर में एकाध बार पानी जरूर गिर रहा है। बारिश के मौसम में शहर भर में गाजर घास ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है। गाजर घास के संपर्क में आने के कारण लोगों को चर्मरोग और खुजली जैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो जानवर भी इससे परेशान ही नज़र आ रहे हैं।

शहर के खाली पड़े मैदानी हिस्सों, खाली प्लाट आदि में इन दिनों गाजर घास बहुतायत में दिख रही है। गाजर घास के कारण दूर से तो प्लाट हरा भरा तो दिखता है किन्तु जैसे ही समीप जाकर देखा जाता है तो गाजर घास के सफेद फूल देखकर लोगों को इससे एलर्जी साफ होते दिखायी पड़ने लगती है।

गाजर घास वैसे भी नुकसानदेह ही मानी जाती है। इसमें काफी मात्रा में हानिकारक रसायन भी होते हैं। जानकारों का कहना है कि इस खरपतवार के लगातार संपर्क में आने से मनुष्यों में डरमेटाइटिस, एक्ज़िमा, एलर्जी, बुखार, दमा आदि की बीमारियां हो जाती हैं।

जानकारों का कहना है कि गाजर घास पशुओं के लिये भी खतरनाक है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पशुओं द्वारा अधिक मात्रा में इसे चर लेने के कारण उन पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है।

क्यों है गाजरघास विनाशकारी : गाजर घास सब खरपतवारों में सबसे विनाशकारी खरपतवार हैं क्योंकि यह खरपतवार कई तरह की समस्याएं उत्पन्न करती है, इसकी वजह से फसलों की पैदावार 30 से 40 प्रतिशत कम हो जाती हैं, क्योंकि इस खरपतवार में ऐस्क्युटरपिन लेक्टोन नामक विषाक्त पदार्थ पाया जाता हैं, जो फसलों की अंकुरण क्षमता व बढ़ने के गुण पर विपरीत असर डालता है।