(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। भाजपा कार्यालय के सामने दुर्घटना कारित कर वहाँ से सर्किट हाउस तक एक अधेड़ को कार में फंसाकर घसीटने की घटना आम दुर्घटना नहीं बल्कि मानवता को तार तार करने वाली घटना है एवं अपराधियों द्वारा कानून और पुलिस प्रशासन को नकारा साबित करती हुई वीभत्स तस्वीर है।
उक्ताशय की बात सामाजिक कार्यकर्त्ता रविंद्र मंद्रेला द्वारा जारी विज्ञप्ति में कही गयी है। उन्होंने कहा है कि सिवनी शहर में अपराधों पर नियंत्रण करने हेतु अलग – अलग चौक पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं, किन्तु इन कैमरों का कितना लाभ हो रहा है, इस बात से किसी को कोई लेनादेना नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में किसी ने जानने की कोशिश कभी नहीं की कि इतने महंगे कैमरे लगे होने के बावजूद अपराधों पर कितना अंकुश लगा? क्या ये कैमरे रात को घटित अपराध दुर्घटना को रोक सकते हैं? किसी वाहन से अगर दुर्घटना हो जाये तो क्या ये महंगे – महंगे कैमरे उन वाहनों का नंबर देख सकते हैं?
रविंद्र मंद्रेला का कहना है कि अभी कुछ दिन पहले 03 सितंबर को रात्रि 09 बजकर 06 मिनिट पर बारापत्थर स्थित भाजपा कार्यालय के नजदीक एक स्कूटी सवार की टक्कर से सड़क पर गिरे बुजुर्ग गुलाब पाठक को उठाने कुछ युवक पहुँचे तभी उन युवकों ने देखा कि एसपी बंग्ले की ओर से तेज रफ्तार में एक कार आ रही है। इन युवकों ने कार को रूकने का इशारा भी किया लेकिन उस तेज रफ्तार कार के चालक ने उन युवकों को नजर अंदाज कर दिया जिसके बाद सड़क पर घायल पड़ा बुजुर्ग कार में फंस गया और वह सर्किट हाउस तक उस कार में फंसकर घिसटता रहा।
उन्होंने कहा कि युवकों द्वारा उस कर को दौड़कर रुकवाने का भरकस प्रयास किया गया किन्तु वह कार उस बुजुर्ग को घसीटते हुए सर्किट हाउस चौक में छोड़कर गाँधी भवन रोड की तरफ भाग गयी। उस बुजुर्ग को पीछे से दौड़कर आये युवकों के द्वारा अस्पताल ले जाकर उसका उपचार करवाया गया।
रविंद्र मंद्रेला ने आगे कहा कि इसके बाद इन युवकों के द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम में उन सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे गये जिसमें दुर्घटना करके कार भागती तो दिखायी देती है पर उसका नंबर नहीं दिख पाया! उन्होंने कहा कि अगर रात में सीसीटीवी कैमरों के द्वारा वाहन का नंबर न देखा जा सके तो इन्हें लगाने का क्या औचित्य है!
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना पहली बार कारित नहीं हुई। इसके पूर्व में भी रास्ते में खड़े वाहनों पर पत्थर फेंककर उनके कांच फोड़े गये पर अब तक आरोपी का अता पता नहीं है। आये दिन होने वाले विवादों के मामले में भी नतीजा सिफर ही है।
रविंद्र मंद्रेला का कहना है कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य होता है कि सिवनी के कथित तौर पर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के द्वारा जरा – जरा सी बात पर दिल्ली भोपाल एक कर दिया जाता है। सोशल मीडिया पर देश – प्रदेश के मसलों पर आरोप प्रत्यारोप किया जाता है पर इस तरह के संवेदनशील मामलों में इन कथित राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का मुँह क्यों सिल जाता है!
सामाजिक कार्यकर्त्ता रविंद्र मंद्रेला ने जिला प्रशासन से माँग की है कि जिला मुख्यालय में लगे समस्त सीसीटीवी कैमरों की जाँच करवायी जाये। अगर रात के समय इन कैमरों में वाहन के नंबर या व्यक्ति की पहचान नहीं होती है तो इन्हें लगाये जाने का क्या औचित्य है! उन्होंने इन कैमरों की खरीद में भ्रष्टाचार की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया है।
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