(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा जानकारी दी गयी है कि जिले में धान गेहूँ एवं अन्य फसलों की कटाई उपरान्त खेतों में फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है।
उन्होंने बताया कि नरवाई जलाने से भूमि में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु एवं पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। भूमि की जल धारण क्षमता प्रभावित होती है मृदा तापमान बढ़ता है और पर्यावरण प्रदूषित होता है। इसके साथ ही जन स्वास्थ्य पर भी हानि कारक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि जिले में बेहतर पर्यावरण, जन स्वास्थ्य एवं जीव जंतुओं की जीवन सुरक्षा हेतु नरवाई न जलायें। उन्होंने बताया कि कृषकगण नरवाई को न जलाकर रोटावेटर से मिट्टी में मिलायें जिससे यह जैविक खाद में परिवर्तित होकर उत्पादकता में वृद्धि करेगा।

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