शिक्षा विभाग की अब तक नहीं टूटी है तंद्रा!

 

 

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इस साल जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से नहीं जारी हुआ कोई आदेश!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। नये शिक्षण सत्र के आगाज होने में अभी लगभग चार दिन बाकी हैं, पर जिले में संचालित अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं के द्वारा पालकों की जेब तराशी जमकर की जा रही है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा अब तक किसी तरह का आदेश जारी न होना भी आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।

ज्ञातव्य है कि दो साल पहले जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षरों से 25 मार्च को जारी आदेश में कहा गया था कि अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं के द्वारा मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम एवं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अंतर्गत एनसीईआरटी की किताबों को न चलाया जाकर महंगी और अन्य निजि प्रकाशकों की किताबों को चलाया जा रहा है।

इस आदेश में कहा गया है कि लोक शिक्षण संचालनालय के द्वारा 19 अगस्त 2008 को एवं सीबीएसई द्वारा 23 फरवरी 2017 को जारी आदेश में इस बात को स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम और एनसीईआरटी की किताबें ही चलायी जायें। अगर जरूरी हो तब शाला प्रबंधन समिति की सहमति से ही अन्य प्रकाशकों की किताबें चलायी जायें।

इस जारी आदेश के जरिये निजि शैक्षणिक संस्थाओं को निर्देशित किया गया है कि वे विद्यालय में पहली से आठवीं तक की कक्षाओें में एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को ही प्रचलन में लायें। यदि आवश्यक हो तो अन्य प्रकाशकों की किताबें प्रचलन में लायी जा सकती हैं पर इनकी तादाद दो से अधिक नहीं होना चाहिये।

जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश में स्पष्ट तौर पर यह भी कहा गया था कि पहली से पाँचवीं तक की कक्षाओं में केवल आर्ट एवं क्राफ्ट विषय में ही अन्य प्रकाशकों की किताबें चलन में लायी जा सकती हैं। इसके अलावा कक्षा तीसरी से पाँचवीं तक की कंप्यूटर विषय की किताबें अनुशंसित किये बिना दी जा सकती हैं।

इस आदेश में यह भी कहा गया था कि सीबीएसई द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों में नवमीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों के लिये केवल एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पुस्तकें ही प्रचलन में लायी जायेंगी। यदि एनसीईआरटी के अलावा सामान्य ज्ञान, संगीत आदि विषयों पर विद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को ज्ञान दिया जाता है तो उसमें किसी तरह की आपत्ति नहीं है, बशर्ते निजि प्रकाशकों की किताबें पालक शिक्षक संघ के द्वारा अनुमोदित हों।

इधर, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस साल शैक्षणिक सत्र 01 अप्रैल से आरंभ होगा। इसकी आधिकारिक घोषणा के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा अब तक इस मामले में न तो एक भी आदेश जारी किया गया है और न ही पिछले सालों जारी हुए आदेश के पालन की बात ही कही गयी है।

सूत्रों का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा अब तक आदेश जारी न किये जाने से निजि शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पालकों पर यह दबाव बन रहा है कि वे 01 अप्रैल के पहले ही शालाओं के द्वारा कथित तौर पर निर्धारित पाठ्य पुस्तकों को अपने बच्चों के लिये खरीद लें।

इसके साथ ही सूत्रों ने कहा कि लगातार अवकाश के चलते अन्य कार्यालयों की तरह ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी अवकाश होने के चलते अब अगर औपचारिकतावश आदेश जारी भी हुआ तो वह 01 अप्रैल को ही जारी हो पायेगा और तब तक अधिकांश पालकों के द्वारा पाठ्य पुस्तकें खरीद ली जायेंगी।