(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। होलिका दहन के साथ ही रंगों की फुहार का पर्व होली धुरैड़ी गुरूवार को परंपरा के साथ मनाया जायेगा। शहर में रखी एक सैकड़ा से अधिक अधिक होलिका प्रतिमाओं का दहन विधि विधान से शुरु हुआ। पर्व को मनाने जहां युवाओं की टोली सड़कों पर घूमती रही। वहीं प्रशासन की मुस्तैद व्यवस्था के बीच समाचार लिखे जाने तक शांति का माहौल रहा।
परंपरा के इस पर्व पर होली समितियों व टोलियों ने होलिका दहन स्थल को रंगीन तोरणों से सजाया। लोगों ने विधि – विधान से पूजा अर्चना कर होलिका का दहन देर रात तक किया गया। तो दूसरे दिन शुक्रवार को पूरे शहर में जमकर रंग बरसेगा तो अबीर – गुलाल भी उड़ेगा।
शहर में रंगों का सिलसिला होलिका दहन के साथ शुरू हुआ जो आने वाले दिनों तक जारी रहेगा। होली पर शहर के तमाम गली मोहल्लों युवाओं ने रिकार्डिंग डांस, रेन डांस की भी तैयारी की है। शहर प्रमुख चौक चौराहों व गली मोहल्लों में बरसते रंगों के बीच होली खेली जायेगी तो युवा होली के गीतों पर जमकर थिरकेंगे। वहीं ग्रामीण अंचलों में ढोलक, झांझ, मजीरा पर फागुनी फुहार वाले गीतों के साथ जमकर होली होगी।
रंग गुलाल, पिचकारी की बहार : होलिका उत्सव को लेकर बुधवार को दोपहर बाद से शहर के बाजारों में भीड़ देखी गई। बाजारों में रंग, गुलाल, पिचकारी, मुखौटे, गाठी की दुकानों में लोग खरीददारी करते रहे। रंग सहित पिचकारी व मुखौटों की मांग में वृद्धि हुई है। बाजार में अनेक प्रकार के मुखौटे हैं।
देशी गुलाल व ईको फ्रेंडली कलर ग्राहकों की पहली पसंद बनी। बाजार में रंगों के साथ मिठाई की दुकानों में खासी भीड़ देखी गई। होली पर्व पर रंग गुलाल, पिचकारी की अनेक दुकानें सजी जहां पर दोपहर बाद ही लोगों की भीड़ जुटने लगी। हर वर्ग ने मुखौटा, बिग, फुंदेदार टोपी की जमकर खरीददारी की।
गठिये माला की परम्परा कायम : होली के मौके पर बाजार में रंग-बिरंगी शक्कर की मालाएं लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच रही थी। ग्रामीण अंचलों से आये ग्रामीणजनों ने रंग-बिरंगी शक्कर की माला उत्साह से खरीदा। होली में गठिए की माला की परंपरा आज भी कायम है। बड़े बुजुर्ग इस माला को पहनकर एक-दूसरे को बधाई देते थे और यह मीठी इसलिये बनाई जाती है जिससे दुश्मनी मित्रता में बदलकर मीठी हो जाये।
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि रंग खेलने में सावधानी बरतनी होगी। शरीर में फुल कपड़े पहन कर रंग खेलें, किसी के आंख में रंग न लगायें, रंग के अलावा पेंट, आयल, वारनिश आदि से बचें, और चेहरे व आंख में रंगों से जलन होने पर साफ पानी से धो लें।
बसों में पैर रखने की जगह नहीं : पर्व को लेकर आने जाने वाले यात्रियों को लेकर शहर के दोनों बस स्टैंड में यात्रियों सुविधाओं को लेकर प्रयास निराशाजनक रहे। यहां बस स्टैंड यात्री प्रतिक्षालयों में लोगों की खासी भीड़ देखने को मिली। यहां यात्रियों को अपने गतंव्य तक पहुँचने के लिये बसों में धक्के खाकर व खड़े होकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए।
सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर रोड सहित ग्रामीण अंचलों के रूटों पर बसों में यात्री खचाखच भरे दिखाई दिये। वहीं अन्य चौपहिया वाहन कमांडर,वेन आदि गाडिय़ों में यहीं हालात देखे गए। जहां कमांडरों में यात्री लटके हुए दिखाई दिए वहीं बस स्टेण्ड में यात्रियों की भरमार रही जो गंतव्य जाने के लिये बस का राह देखते रहे।