गोपी उद्धव प्रसंग सुन मंत्रमुगध हुए श्रोता

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। मौनी दादा आश्रम ग्राम मझगवा के प्रमुख सेवादार बलवंत श्र्रद्धानंद सरस्वती महाराज के संयोजकत्व में कथा के आयोजक मुख्य यजमान पं सुंदर लाल दुबे द्वारा भागवत कथा का आयोजन मौनी दादा आश्रम मे किया गया।

भागवत कथा में गोपी-उद्धव प्रसंग, बकासुर-अघासुर वध प्रसंगों का वर्णन हुआ। भागवत कथा व्यास पं मंगलमूर्ति ने प्रसंग को रोचक ढंग से सुनाते हुए गोपी-उद्धव संवाद को परिभाषित किया। जीवन का उद्धार करने हेतु भक्ति मार्ग के अनुसरण करने के लिये मार्ग दर्शन किया।

कथा व्यास पं मंगलमूर्ति ने कहा कि उद्धव चरित्र श्रीमद भागवत का बडा ही मार्मिक प्रसंग हैं प्रेम का दर्शन करवाता है। उद्धव चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होने बताया कि भगवान ने सोचा की ये उद्धव परम ज्ञानी है लेकिन अगर इस पर भक्ति रूपी रंग चढ जाये तो ज्ञान रूपी चादर बहुत अच्छी सुषोभित होगी।

आपने कहा कि भगवान सोचते है कि तो क्या मे इस उद्धव को भक्ति का उपदेष दू। फिर भगवान सोचते है की नही-नहीं भक्ति उपदेष देने से नही बल्कि भक्ति का क्रियात्मक रूप होना चाहिये। क्योकि ज्ञान पुरूशार्थ का फल है और भक्ति कृपासाध्य है। बिना भगवान की कृपा के भक्ति नही मिलती है।

कथा व्यास ने कहा कि भगवान ने सोचा की अगर कहीं भक्ति का दर्षन हो सकता है तो वह स्थान है वृन्दावन। मै इस उद्धव को वृन्दावन भेजूंगा। ऐसा विचार कर भगवान ने उद्धव को संदेष लेकर गोपियो के पास भेजा। जब गोपियो को ज्ञात हुआ कि उद्धव भगवान श्रीकृश्ण का संदेश लेकर पहुँचे है तब गोपिकाये दौडी-दोैडी अपने प्रियतम के संदेष को पाने उद्धव के पास पहुँची।

कथा व्यास ने कहा कि जब गोपियों को ज्ञात हुआ कि उद्धव भगवान श्रीकृष्ण का संदेश लेकर आये हैं, तब उन्होंने एकान्त में मिलने पर उनसे श्याम सुन्दर का समाचार पूछा। उद्धव ने गोपियों से कहा कि भगवान श्रीकृष्ण सर्वज्ञ सर्वव्यापक हैं। वे केवल तुम्हारे हृदय मे ही नही समस्त जड़-चेतन में व्याप्त हैं। उनसे तुम्हारा वियोग कभी हो ही नहीं सकता। उनमें भगवद बुद्धि करके तुम्हें सर्वत्र व्यापक श्रीकृष्ण का साक्षात्कार करना चाहिये।

कथा व्यास ने कहा कि गोपियों की अनन्यतम प्रेम भाव केवल कृष्ण के प्रति ही रहा वे उनके अतिरिक्त दूसरे किसी का नाम भी नही जानती है। उन्हें कृष्ण चर्चा के अतिरिक्त कोई चर्चा नही सुहाती। निर्गुण निराकार ब्रह्म के उपदेश पर उलटे गोपियों ने सगुण साकार श्रीकृष्ण का उपदेश देकर उद्धव के ज्ञान के अहंकार को नष्ट कर दिया।

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