0 कॉपी, किताब, गणवेश में लुटेंगे . . . 08
अभिभावकों को एक ही बुक सेलर से लेनी पड़ रहीं किताबें
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। निजि स्कूल संचालकों और पब्लिशर्स की मोनोपॉली का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें एक ही बुक सेलर से सिलेबस की किताबें लेना पड़ रही हैं। यदि अभिभावक दूसरे बुक सेलर से कॉपियां खरीद भी लेते हैं, तो स्कूल उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
पिछले साल तक अनेक शालाओं में इसी तरह के मामले प्रकाश में आये हैं। अनेक शालाओं में यहाँ प्रचलित कॉपी और किताबें सिर्फ एक ही बुक सेलर के पास मिल रही हैं। खास बात यह है कि दूसरे बुक सेलर यदि सिलेबस बेचना भी चाहें, तो उन्हें पब्लिशर किताबें नहीं दे रहे हैं।
पालकों का कहना है कि प्रशासन सब जानने के बाद भी मूकदर्शक बना बैठा है। एक पालक ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अगर वे शिकायत करेंगे तो उनके बच्चों को शाला में जबरन ही परेशान किया जायेगा, इसी कारण सब मौन ही साध लेते हैं। उन्होंने कहा कि शायद प्रशासन की जवाबदेही नहीं है कि वह शासन के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करायें!
अनेक पालकों ने शिकायत की है कि शालाओं में प्रबंधन के द्वारा बच्चों को कॉपी – किताब की कंप्यूटर से निकली फेहरिस्त थमायी जा रही है, जिसमें कॉपी तक के साईज लिखे गये हैं। पालकों का कहना है कि जब वे बुक सेलर के पास जाकर शाला की कॉपी किताबें माँगते हैं तो उन्हें बने बनाये गट्ठर थमा दिये जाते हैं। पालकों का कहना है कि शालाओं में दो से पाँच हजार रूपये तक की कोर्स की किताबें खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
एक बुक सेलर के द्वारा अपनी व्यथा बताते हुए पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा गया कि उनके द्वारा पब्लिशर्स से बात कर माल बुलाना चाहा गया पर बुक सेलर्स की मिली भगत के चलते बुक पब्लिशर्स उन्हें किताबें ही नहीं दे रहे हैं।
इस संबंध में जब जिला शिक्षा अधिकारी से 26 मार्च को चर्चा की गयी थी तब उन्होंने इस आशय के आदेश जारी करने की बात कही थी। सोमवार को एक बार फिर जब उनसे यह जानना चाहा गया कि इस मामले में क्या हुआ तो उन्होंने रटा रटाया जवाब ही दिया कि जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिये जायेंगे।