दूरदराज के क्षेत्रों से पानी लाने को मजबूर हैं ग्रामीण
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। अप्रैल में पड़ रही भीषण गर्मी से जहाँ जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में छाये पेयजल संकट ने ग्रामीणों की समस्याएं और बढ़ा दी हैं। किसी वार्ड में कचरा युक्त पानी आ रहा है तो कहीं, पानी की पतली धार भी लोगों को नसीब नहीं हो पा रही है।
लोगों का कहना है कि सिवनी शहर में नवीन जलावर्धन योजना के ठेकेदार के द्वारा जिस मंथर गति से काम को अंजाम दिया जा रहा है उसके चलते पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है। ऐन गर्मी के मौसम में ठेकेदार के द्वारा नयी जलावर्धन योजना से पुरानी जलावर्धन योजना की पाईप लाईन को जोड़ा जा रहा है जिससे परेशानी हो रही है।
लोगों का कहना है कि पता नहीं क्यों नगर पालिका परिषद के द्वारा ठेकेदार को बार – बार समय पर समय दिया जा रहा है। अगर ठेकेदार के द्वारा समय सीमा में काम नहीं किया गया था तो पहले ही ठेकेदार को काली सूची में डालकर उससे वसूली की जाती, तो कम से कम अब तक लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल सकती थी।
लोगों का यह भी कहना है कि पालिका में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के चुने हुए प्रतिनिधियों का इस मामले में मौन भी समझ से परे ही है। इतना ही नहीं भाजपा की जिला और नगर ईकाई सहित विधायकों को भी लोगों को होने वाली समस्या से ज्यादा सरोकार नजर नहीं आ रहा है।
लोग इस बात पर भी आश्चर्य कर रहे हैं कि पालिका में विपक्ष में बैठी काँग्रेस के द्वारा नवीन जलावर्धन योजना पर इन चार पाँच सालों मेें आवाज बुलंद क्यों नहीं की गयी। काँग्रेस के जिला और नगर संगठनों को भी देश – प्रदेश की चिंता करने से फुर्सत नहीं मिली है ताकि वे इस ज्वलंत समस्या पर ध्यान दे पाते।
यह योजना तीन साल विलंब से चल रही है फिर भी सभी अपने जबड़े भींचे हुए दिख रहे हैं। काँग्रेस के अंदर चल रहीं चर्चाओं के अनुसार जलावर्धन योजना के ठेकेदार को अगर काली सूची में डालने का काम किया जाता है तो फिर नये सिरे से निविदा प्रक्रिया को अंजाम दिया जाना होगा।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वैसे भी तीन साल विलंब से यह योजना चल रही है, अगर तीन साल पहले ही ठेकेदार को काली सूची में डालने का काम कर दिया जाता और निविदा प्रक्रिया कर ली जाती तो अब तक नया ठेकेदार इसे पूरा भी कर चुका होता।
इस जलावर्धन योजना में तत्कालीन जिलाधिकारी भरत यादव, धनराजू एस., गोपाल चंद्र डाड के द्वारा रूचि नहीं ली गयी। वर्तमान जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा इस योजना को आरंभ करने के लिये 28 फरवरी की मियाद तय की गयी थी, जिसे बीते अब 44 दिन बीत चुके हैं, पर यह योजना अभी भी परवान नहीं चढ़ पायी है।